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दिल्ली पुलिस की इस चेतावनी के बाद अब किसान आंदोलन का क्या होगा?

किसान आंदोलन को एक बार फिर धार मिलती दिखाई दे रही है. इस से पहले टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन को धार दे दी थी. दिल्ली पुलिस की ओर से एक पोस्टर जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि चले जाओ वरना बड़ी कार्यवाही होगी. इसके बाद माना यह जा रहा है कि किसान और बड़े पैमाने पर संगठित हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस द्वारा टिकरी सीमा पर लगाए गए होल्डिंग्स से प्रदर्शनकारी किसान नेताओं के बीच एक नई बहस की शुरुआत शुरू हो गई है. पुलिस द्वारा लगाए गए पोस्टर में पंजाबी और हिंदी इस्तेमाल की गई है जिसमें चेतावनी दी गई है. कहा गया है कि यहां इकट्ठा होना आपका अवैध है. आप को चेतावनी दी जा रही है. अन्यथा अगर आप यहां से नहीं जाते हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

By: वतन समाचार डेस्क

 

  • दिल्ली पुलिस की इस चेतावनी के बाद अब किसान आंदोलन का क्या होगा?

 

किसान आंदोलन को एक बार फिर धार मिलती दिखाई दे रही है. इस से पहले टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन को धार दे दी थी. दिल्ली पुलिस की ओर से एक पोस्टर जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि चले जाओ वरना बड़ी कार्यवाही होगी. इसके बाद माना यह जा रहा है कि किसान और बड़े पैमाने पर संगठित हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस द्वारा टिकरी सीमा पर लगाए गए होल्डिंग्स से प्रदर्शनकारी किसान नेताओं के बीच एक नई बहस की शुरुआत शुरू हो गई है. पुलिस द्वारा लगाए गए पोस्टर में पंजाबी और हिंदी इस्तेमाल की गई है जिसमें चेतावनी दी गई है. कहा गया है कि यहां इकट्ठा होना आपका अवैध है. आप को चेतावनी दी जा रही है. अन्यथा अगर आप यहां से नहीं जाते हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

 

 

 

जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार "दिल्ली पुलिस द्वारा टिकरी सीमा पर लगाए गए होर्डिंग्स ने प्रदर्शनकारियों और किसान नेताओं के बीच मतभेद पैदा कर दिया है। पुलिस द्वारा लगाए गए पोस्टरों में हिन्दी और पंजाबी में लिखा है वैधानिक चेतावनी, आप सभी का यहां इकट्ठा होना अवैध है। आपको चेतावनी दी जा रही है, अन्यथा आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संघों ने राष्ट्रीय राजधानी के टीकरी बॉर्डर स्थिति प्रदर्शन स्थल पर दिल्ली पुलिस की तरफ से लगाए गए इन चेतावनी वाले पोस्टरों पर आपत्ति जताई है। पुलिस ने हालांकि दावा किया कि ये पोस्टर नए नहीं हैं और इनमें प्रदर्शनकारियों को सिर्फ यह सूचित किया गया है कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी।

 

 

अतिरिक्त डीसीपी (आउटर) सुधांशु धामा ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद बोर्ड लगाए गए थे। किसान संगठनों के सामूहिक निकाय ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने एक बयान में कहा कि वह पुलिस के कदम का विरोध करता है क्योंकि प्रदर्शनकारी अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं और किसानों से शांतिपूर्वक अपना प्रदर्शन जारी रखने की अपील की। हजारों की संख्या में किसान करीब 90 दिनों से दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं - सिंघू, टीकरी और गाजीपुर- पर डटे हुए हैं और तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

 

 

 इन किसानों में से अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। मोर्चे ने एक बयान में कहा, “दिल्ली पुलिस ने टीकरी बॉर्डर के प्रदर्शन स्थल पर कुछ पोस्टर लगाए हैं जिसमें किसानों को चेतावनी दी गई है कि उन्हें यह इलाका खाली करना होगा। ये पोस्टर अप्रासंगिक हैं क्योंकि किसान अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं…।

 

 

 

” बयान में कहा गया, “हम इस तरह की धमकियों और चेतावनियों के जरिये प्रदर्शन को खत्म करने की साजिशों का विरोध करेंगे।” पोस्टरों में पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को इलाका खाली करने के लिये कोई समयसीमा नहीं दी है। वहीं दिल्ली पुलिस इसे “नियमित” प्रक्रिया बता रही है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “प्रदर्शन शुरू होने पर सीमावर्ती इलाकों में यह पोस्टर चिपकाए गए थे। यह एक नियमित कवायद है।

 

 

 पुलिस ने पोस्टरों के जरिये उन्हें यह बताया है कि वे हरियाणा के न्यायाधिकार क्षेत्र में हैं और उन्हें गैरकानूनी तरीके से राष्ट्रीय राजधानी में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। किसान संघों के आह्वान पर 26 जनवरी को आयोजित ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों और पुलिस में हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।",

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