कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध लगातार बना हुआ है. पिछले 10 दौर की बैठक के बाद आज 11 दौर की जब बैठक शुरू हुई तो ऐसा लग रहा था कि शायद सरकार और किसानों के बीच किसी बात पर सहमति बन सकती है लेकिन एक तरफ जहां किसान इस बात के लिए अड़े हुए हैं कि तीनों क़ानूनों को पहले खत्म किया जाएं उसके बाद ही सरकार से आगे नए कानून के लिए बातचीत होगी, लेकिन आज 11 वे दौर की बैठक में सरकार का रुख पहले के मुकाबले कडा नजर आया.
सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इससे अच्छा किसानों के लिए नहीं कर सकते, लेकिन सवाल यह बना हुआ है कि जब किसान इतना अच्छा नहीं चाहते हैं तो फिर सरकार इतना अच्छा किसानों को देने के लिए क्यों अड़ी हुई है. सरकार का अड़ियल लुक ही किसानों के मन में संदेह पैदा कर रहा है.
आज कृषि मंत्री ने बैठक के बाद कहा कि 11 बैठकों में 45 घंटे चर्चा हो चुकी है. हमारा लक्ष्य किसानों की प्रगति है, लेकिन सवाल वहीं पर खड़ा होता है कि जब किसान सरकार से वह प्रगति नहीं चाहते जो सरकार देना चाहती है और नए कानून की मांग कर रहे हैं तो सरकार उस कानून को किसानों पर थोपने के लिए क्यों अड़ी हुई है, जो किसानों से पूछे बगैर सरकार ले करके आई थी और जिस पर अध्यादेश जारी किया गया था.
वही किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड निकालने के लिए अड़े हुए हैं. किसान संगठन ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कह रहे हैं, हालांकि दिल्ली पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी है. बीते रोज़ दिल्ली पुलिस और किसानों में बैठक बेनतीजा रही. किसान दिल्ली के रिंग रोड पर रैली निकालने को अड़े हैं. पुलिस किसानों को केएमपी एक्सप्रेसवे का ऑप्शन दे रही है. आंदोलन कर रहे किसान नेता श्रवण सिंह ने कहा कि हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा.
साथ ही गणतंत्र दिवस के दिन ट्रेक्टर रैली भी निकलेगी लेकिन अब सवाल यह है कि आज जब किसान और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा रही और इससे पहले दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच बातचीत बेनतीजा हो चुकी है तो फिर सरकार आगे क्या रुख अपनाती है यह देखना दिलचस्प होगा.
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