योगी सरकार में हो रही पत्रकारों से बदसलूकी
बिसरख थाना पुलिस ने की बदसलूकी
मामूली बात पर रात भर रखा थाने में
गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र का है मामला
नोएडा / ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहाँ एक और पुलिस द्वारा नागरिकों के साथ अच्छे व्यवहार और सुरक्षा व्यवस्था का दावा करते आये हैं वहीँ गौतम बुद्ध नगर की बिसरख थाना पुलिस उनके दावों की पोल खोलती नज़र आ रही है, जहाँ एक वरिष्ठ पत्रकार को मामूली बात पर रात भर थाने में बैठाकर रखा और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.
उपरोक्त मामला शनिवार की सुबह से चर्चा में आया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार शकील अहमद सैफी ने पुलिकर्मियों के चंगुल से निकलकर आप बीती मीडिया में बताई. सैफी ने बताया कि उन्होंने दिनांक 22/04/22 को एक पिज़्ज़ा ऑर्डर किया पिज़्ज़ा नियत समय से काफ़ी देर से पहुंचा तो उन्होंने डिलीवरी बॉय से विनम्र भाषा में देरी का कारण पूछा तो उसने अकड़ व ऐंठ में जवाब दिए.
जिस पर पत्रकार ने डिलीवरी बॉय से सभ्य भाषा का प्रयोग करने को कहा गया, इतने पर भी डिलीवरी बॉय नहीं माना और उसने गाली गलौच शुरु कर दी. इस पर पत्रकार सैफी ने 112 नम्बर पर कॉल कर दिया उसके बाद डिलीवरी बॉय ने भी 112 नम्बर पर कॉल कर दिया.
तत्पश्चात पुलिस की गाड़ी आयी और पत्रकार और डिलीवरी बॉय दोनों को उठा-कर ले गयी,
थाने आने तक दोनों पक्षकार वाद ख़त्म करने को राज़ी हो गये. इस बात की जानकारी दोनों पक्षकारों ने पुलिस को दी. जिस पर बिसरख थाना पुलिस ने टाल मटोली की और पत्रकार का मोबाइल फोन व पर्स आदि ज़ब्त करके थाने में रख लिए.
दोनों पक्षकारों को रात भर मच्छरों से भरे कोठरी में बैठा कर रखा. न कुछ खाने को दिया न ही एक कॉल करके को फोन दिया. पत्रकार शकील अहमद सैफी ने नाईट ड्यूटी में मौजूद पुलिसकर्मियों से लाख मिन्नते की कि उन दोनों का राज़ीनामा हो गया है और आगे कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते. इतना बोलने पर भी ये कहकर रात भर प्रताड़ित किया कि सुबह एस एच ओ साहब आएंगे तभी आपको जाने दिया जाएगा. इस पर जब कुछ और बोलते पुलिस कर्मी पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार यानि गाली गलौच पर उतारू हो गये.
अंततः सुबह हुई और नाईट ड्यूटी वाले थाने से गये. दूसरे पुलिस कर्मी ड्यूटी पर आये तब वही राज़ीनामा जो रात भर नज़रअंदाज़ होता रहा के आधार पर दोनों पक्षकारों को बिना एस एच ओ साहब के आये छोड़ दिया गया.
थाने से बाहर आकर सैफी ने पत्रकारों को बताया कि उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया जो किसी शातिर अपराधी के साथ भी नहीं किया जाता. अपने अधिवक्ता / परिजनों को कम से कम एक कॉल करने की इजाज़त तो हर क़ानून देता है. बिसरख थाना पुलिस ने उनसे वो अधिकार भी छीन लिया और रात भर पानी तक नहीं दिया. मच्छरों भरी कोठरी में सड़ने को फेंक दिया,
अब सवाल ये उठता है कि जब पत्रकारों के साथ यूपी पुलिस ऐसा कर सकती है तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा ये इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है.
जब एक पत्रकार को रात भर मामूली बात पर थाने में बैठाकर रखा जाता है, योगी लाख सिस्टम ठीक करने का प्रयास करें, लेकिन आरोप है कि यूपी पुलिस उनके सिस्टम में छेद करने से बाज़ नहीं आ रही.
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