दिल्ली में प्रदूषण और जाम की समस्या के पीछे भाजपा का षड्यंत्र
भाजपा द्वारा सार्यातायात की स्थितियों को दिल्ली में खराब करने और दिल्ली शहर को जाम व प्रदूषण की ओर धकेलने पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कई बड़े खुलासे किए।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सौरव भारद्वाज ने बताया कि -
‘ 2 साल पहले केंद्र की भाजपा सरकार ने मई और अक्टूबर 2017 में दिल्ली मेट्रो के किराए 6 महीने के अंदर दोगुने कर दिये थे। आम आदमी पार्टी ने हर स्तर पर इस प्रस्ताव का विरोध किया था क्योंकि हमें पता था कि इसकी वजह से जनता को समस्या होगी और न सिर्फ मेट्रो में राइडरशिप घटेगी बल्कि दिल्ली की सड़कों पर जाम और प्रदूषण की समस्या की बढ़ेगी। 2 साल से अधिक का समय बीत चुका है और अब समय है जब देखा जाए कि वास्तव में क्या हुआ है।’
दिल्ली मेट्रो बढ़े किराए की वजह राइडरशिप के आंकड़ों पर सीधा प्रभाव पड़ा है और इसकी संख्या मार्च 2017 के मुकाबले 3 लाख कम हो गई है और जब की कुल मिलाकर राइडरशिप 15 लाख घटी है क्योंकि फेस 3 का काम पूरा हो चुका है।
मार्च 2017 में दिल्ली मेट्रो की राइडरशिप 28 लाख यात्री प्रतिदिन थी जबकि दिसंबर 2018 में यह संख्या सिर्फ 25 लाख रह गई यानि की प्रतिदिन 3 लाख यात्रियों की कमी। जबकि इस अवधि के दौरान दिल्ली मेट्रो की कुल लंबाई 212 किलोमीटर से बढ़कर 327 किलोमीटर हो गई है यानी 55 प्रतिशत की कुल वृद्धि हुई है इसके साथ साथ दिल्ली मेट्रो को सुविधाजनक बनाने के हिसाब से विभिन्न जगहों पर इंटरचेंज पॉइंट भी बनाए गए।
दिल्ली मेट्रो के फेस 3 के पूरा होने पर राइडर शिप का निर्धारित लक्ष्य 40 लाख यात्री प्रतिदिन था और चुकी अब फ़ेज़ 3 पूरा हो चुका है तो यदि 25 लाख यात्रियों के हिसाब से देखें तो प्रतिदिन 15 लाख यात्रियों की संख्या में गिरावट आई है।
ऊपर के इन सभी बिन्दुओं से साफ होता है कि मेट्रो किराया में हुई बढ़ोतरी दिल्ली के लिए घातक साबित हुई है जिसकी वजह से दिल्ली मेट्रो में राइडरशिप ऐतिहासिक रूप से घटी है और दिल्ली के मेट्रो के वित्तीय योजना का मजाक बना है और साथ-साथ लोग अपने निजी वाहनों का प्रयोग करने को मजबूर हुए हैं जिससे दिल्ली में जाम और प्रदूषण की समस्या बढ़ी है।
दिल्ली मेट्रो में किराए के निर्धारण की प्रक्रिया और तर्क को पूरी तरह से बदल कर सुधार करने की जरूरत है। सौरभ भारद्वाज ने इस प्रेस वार्ता के दौरान यह भी कहा कि पूरे विश्व में जिन भी शहरों में मेट्रो सेवाएं चलाई जाती हैं वहां पर उनके किराया का निर्धारण उस शहर की न्यूनतम मजदूरी के आधार पर किया जाता है। इसके लिए सौरभ भारद्वाज ने दुनिया की तमाम देशों जैसे कि बीजिंग न्यू यार्क, पेरिस टोक्यो और सिंगापुर के मेट्रो किरायों की तुलना की।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मेट्रो के संचालन का पूरा खर्च गरीब जनता से वसूलने की भाजपा की नीति दिल्ली वालों पर भारी पड़ रही है | उन्होंने सिंगापुर के मेट्रो किराया में से तुलना करते हुए कहा कि अगर देखा जाए तो सिंगापुर की तुलना में दिल्ली मेट्रो के किराए दोगुने हैं जबकि दुनिया की कई शहरों के मुकाबले यह तीन गुनी है।
उदाहरण के तौर पर सिंगापुर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी $48 है जबकि वहां पर अधिकतम से अधिकतम दूरी के लिए मेट्रो का किराया ₹5 है या नहीं कुल न्यूनतम मजदूरी का मात्र 10.5% वहीं अगर दिल्ली की न्यूनतम मजदूरी की बात करें तो यह ₹513 है जबकि दिल्ली मेट्रो का राउंड ट्रिप अधिकतम किराया ₹108 बनता है यानी कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी का 21.10%
तो इस तरह तमाम योग्य सांसदों को छोड़कर एक सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट और तथाकथित बुद्धिमान मंत्री जगदीश पुरी जी की नीतियों के कारण दिल्ली मेट्रो की राइडरशिप 15 लाख व्यक्ति प्रतिदिन अपने लक्ष्य की तुलना में गिरी है जिसका खामियाजा दिल्ली के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि आज लोग दिल्ली के विभिन्न इलाकों में स्कूटर, मोटरसाइकिल, बस, रिक्शा से जाना पसंद करते हैं और कहते हैं कि मेट्रो के किराए बहुत ज्यादा है लोगों के निजी वाहनों के सड़क पर आने से दिल्ली की जनता जाम और प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है जिसकी हर तरह से जिम्मेदार भाजपा और उसका अड़ियल रवैया है।
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