Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

बस्तर बोलता भी है: वर्तमान दौर के प्रतिरोध का प्रतीक

साहित्य की हर विधा अपने समय का प्रतिनिधित्व करती है. इसीलिए साहित्य केवल अपने शिल्प और कथ्य की वजह से ही नहीं बल्कि तथ्य की वजह से ऐतिहासिक दस्तावेज में भी परिवर्तित हो जाता है. ऐसी ही एक काव्य संग्रह "बस्तर बोलता भी है" का शनिवार को नई दिल्ली में लोकार्पण किया गया. यह काव्य संग्रह प्रगतीशील किसान व कवि डॉ राजाराम त्रिपाठी द्वारा रचित है. डॉ त्रिपाठी की यह पांचवीं कृति है.

By: Press Release
  • बस्तर बोलता भी है: वर्तमान दौर के प्रतिरोध का प्रतीक

 

नई दिल्लीः साहित्य की हर विधा अपने समय का प्रतिनिधित्व करती है. इसीलिए साहित्य केवल अपने शिल्प और कथ्य की वजह से ही नहीं बल्कि तथ्य की वजह से ऐतिहासिक दस्तावेज में भी परिवर्तित हो जाता है. ऐसी ही एक काव्य संग्रह "बस्तर बोलता भी है" का शनिवार को नई दिल्ली में लोकार्पण किया गया. यह काव्य संग्रह प्रगतीशील किसान व कवि डॉ राजाराम त्रिपाठी द्वारा रचित है. डॉ त्रिपाठी की यह पांचवीं कृति है.

 

 

लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात पत्रकार व पर्यावरणविद् पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि ‘बस्तर बोलता भी है’ संग्रह केवल बस्तर नहीं बल्कि देश के सभी आदिवासी बहुल क्षेत्रों के जनमानस के प्रतिरोध का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि सिर्फ सस्ते चावल का लालच देकर सत्ता प्रतिष्ठान उनका जीवन हरण करने की परिपाटी पर वर्षों से चला रहा है औऱ अब आदिवासी जनसमूह सचेत हुआ है और अब अपने प्रतिरोध को सार्वजनिक तौर पर लाने लगा है. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए पूरी दुनिया में सत्ता के साथ मिल कर पूंजीपति समूह उदात्त है, ऐसे में क्या बस्तर और क्या लोहरदगा, हर जगह इसकी वजह से समाज के वंचित व आदिवासी समूह अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत है औऱ उस संघर्ष से उपजे आक्रोश की अभिव्यक्ति है डॉ राजाराम त्रिपाठी की यह काव्य संग्रह.

 

 

RP.jpg

 

 

वरिष्ठ आलोचक डॉ संदीप अवस्थी ने कहा कि संग्रह की हर कविता एक अलग आयाम प्रस्तुत करती है, जिसके बरअक्श बस्तर को समग्रता के साथ देखा जाए. बस्तर केवल एक स्थान भर नहीं है बल्कि आदिवासी बहुल यह क्षेत्र अपनी गरिमामयी पंरपरा, प्रकृति प्रेम, अनूठी संस्कृति, सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा उपेक्षित और उपेक्षा के दंश से आक्रोशित समूह है.

 

 

 

कल्ट करंट के संपादक व कवि श्रीराजेश ने लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह काव्य संग्रह प्रतिरोध का सशक्त हुंकार है. उन्होंने कहा कि डॉ त्रिपाठी के इस संग्रह से पहले उनके पहले काव्य संग्रह ‘बस्तर बोल रहा है’ पर भी नजर दौड़ानी होगी.  ‘बस्तर बोलता भी है’ उसी संग्रह की अगली कड़ी है और वह भी पूरे विद्रोह के साथ. ‘बस्तर बोल रहा है’ के जरिये कवि ने वहां कि कथा-व्यथा को सामने लाने की कोशिश की थी लेकिन जब सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा बस्तर के सौम्य स्वर को नजर अंदाज किया जाता है तो फिर बस्तर हुंकारते हुए कहता है- ‘बस्तर बोलता भी है’.

 

 

इन दोनों काव्य संग्रह के बीच की यात्रा लोकतंत्र के लोकविमुखता के पक्ष को निर्ममता के साथ उजागर करता है. संग्रह की एक कविता की चंद पंक्तियां- *‘उठा ले जाओ चाहे/ अपनी सड़कें, खंभे, दुकानें/ उठा ले जाओ चाहे/  ये चमचमाती शराब की दुकानें/ बिना सांकल के बालिकाश्रम/ बिना डॉक्टर और दवाई के अस्पताल/ बिना गुरु जी के स्कूल/ बंद कर दो चाहे भीख की रसद.’* मखमली खोल के नीचे फटे ओढन को बेपर्दा करती है.

 

 

 

वरिष्ठ लेखक व पत्रकार बृहस्पति कुमार पाण्डेय ने कहा कि इस संग्रह की कविताएं पढ़ते हुए बस्तर को समग्रता के साथ जानने-समझने की एक नई दृष्टि विकसित होती है. ‘बस्तर बोलता भी है’ यह पुस्तक डॉ. राजाराम त्रिपाठी द्वारा लिखित केवल काव्य संग्रह ही नहीं है बल्कि छत्तीसगढ़ के एक ऐसे जिले से मुलाकात है जिसके बारे में, उसमें रहने वाले आदिवासियों, उनकी समस्याओं, वहां की संस्कृति, संपदा, को भावों के साथ उकेरा गया है. इस पुस्तक में उस बस्तर का चित्रण किया गया है, जिसके बारे जानने की फुर्सत किसी को नहीं है. यह संग्रह आपको उस बस्तर से मिलवाती है जिसका सरकारों ने और पूंजीपतियों ने सिर्फ दोहन ही किया है.

 

 

 

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोलकाता से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार व उपन्यासकार अनवर हुसैन ने कहा कि संग्रह की कविता बस्तर के भीतर सुलगते प्रतिरोध को प्रतिविंवित करती है. जहां आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन उनके अधिकार से निकल रहे हैं, उनके अधिकार को संकुचित किया जाना केवल किसी क्षेत्र विशेष का नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए एक चेतावनी है. थोथे सरकारी लोकलुभावन योजनाओं के जरिये आदिवासियों को ठगे जाने की सदियों से चली आ रही कुप्रथा को विरोध समय की मांग है.

 

 

 

कलकत्ता विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राम प्रवेश रजक ने कहा कि यह काव्य संग्रह दर्शाता है कि बस्तर को और वहाँ के रहने वाले भोले भाले लोगों को सरकारों ने सिर्फ ठगा ही है. डॉ राजा राम द्वारा रचित इस काव्य संग्रह की जो सबसे बड़ी ख़ासियत है वह यह है कि इस संग्रह की सभी रचनाओं में बस्तर के स्थानीय बोली, भाषा और संस्कृति का पुट झलकता है. यहां के बोली भाषा के शब्दों से संग्रह की कविताएं अलंकृत की गई है. मेला, मड़ई, घोटुल, मांदर, सोमारू, भतरी, हल्बी, मुंडेर, सरली, कुड़ी, कांदा, हाजून जैसे सैकड़ों शब्दों का प्रयोग कर बस्तर की आंचलिकता को जीवंत किया है.

 

 

 

समारोह को प्रोफेसर अखिलेश त्रिपाठी, वरिष्ठ आलोचक अजय चंद्रवंशी, रोहित आनंद सहित कई वक्ताओं ने भी समारोह को संबोधित किया. समारोह का संचालन वरिष्ठ बाल साहित्यकार कुसुमलता सिंह ने किया तथा सभी आगत अतिथियों का डॉ राजाराम त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम में जनजातीय चेतना के लिए समर्पित मासिक पत्रिका ककसाड़ के नवीनतम अंक का भी लोकार्पण किया गया. संग्रह को दिल्ली की लिटिल बर्ड पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है.

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.