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बिहार: ओवैसी बने ग्रांड फ्रंट का हिस्सा, बिहार की राजनीति में नया मोड़?

बिहार की चुनावी राजनीति हर रोज नई करवट ले रही है. एक तरफ जहां कांग्रेस आरजेडी और वामदलों का गठबंधन है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में बीजेपी जीतन राम मांझी नीतीश कुमार और सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल हैं. तीसरी तरफ चिराग पासवान अपने दम पर अकेले ताल ठोक रहे हैं और यह आरोप झेल रहे हैं कि वह बीजेपी के इशारे पर बिहार में नीतीश कुमार को हराना चाहते हैं, हालांकि बीजेपी बार-बार इन आरोपों का खंडन करती आई है और बीजेपी ने खुलकर यह स्पष्ट किया है कि नीतीश के खिलाफ कोई भी बयान बाजी स्वीकार्य नहीं होगी.

By: वतन समाचार डेस्क
  • बिहार: ओवैसी बने ग्रांड फ्रंट का हिस्सा, बिहार की राजनीति में नया मोड़?

 

बिहार की चुनावी राजनीति हर रोज नई करवट ले रही है. एक तरफ जहां कांग्रेस आरजेडी और वामदलों का गठबंधन है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में बीजेपी जीतन राम मांझी नीतीश कुमार और सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल हैं. तीसरी तरफ चिराग पासवान अपने दम पर अकेले ताल ठोक रहे हैं और यह आरोप झेल रहे हैं कि वह बीजेपी के इशारे पर बिहार में नीतीश कुमार को हराना चाहते हैं, हालांकि बीजेपी बार-बार इन आरोपों का खंडन करती आई है और बीजेपी ने खुलकर यह स्पष्ट किया है कि नीतीश के खिलाफ कोई भी बयान बाजी स्वीकार्य नहीं होगी.

 

 

वहीं अब एक और गठबंधन बिहार में सामने आया है. इस नए ग्रांड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM एम आई एम उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी समेत कई दल शामिल हैं. आज औपचारिक रूप से इसकी घोषणा भी कर दी गई. इस गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री का चेहरा उपेंद्र कुशवाहा को पेश किया है. माना यह जा रहा है कि सीमांचल और मिथलांचल की कई सीटों पर यह गठबंधन प्रभावशाली हो सकता है.

 

 

खबरों के अनुसार हाल ही में, राज्य में दो नए गठबंधन बनाए गए हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के असदुद्दीन ओवैसी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के उपेंद्र कुशवाहा ने मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर अलायंस बनाया है। बहुजन समाज पार्टी और राजद के पूर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दल (लोकतांत्रिक) भी गठबंधन का हिस्सा है, जिसने कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। राज्य में 2015 के विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम ने जिन छह सीटों पर चुनाव लड़ा था उनमें से सिर्फ एक में जीत हासिल की थी, पार्टी को पिछले साल बिहार में नजर आया जब उसने अक्टूबर में किशनगंज उपचुनाव जीता था।

 

 

अब देखना यह है कि बिहार की जनता इस गठबंधन के बारे में क्या सोचती है और वोटर किस ओर वोट देने जाते हैं? लेकिन गठबंधन चाहे यूपीए का हो या एनडीए का, दोनों गठबंधन को इस तीसरे गठबंधन को हल्के में लेना बड़ी भूल होगी, इसलिए उन्हें अपनी राजनीतिक बिसात इसी तरह बिछानी होगी ताकि वह अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकें, वरना यह गठबंधन उनका खेल बिगाड़ सकता है, क्योंकि यूपीए के गठबंधन से जहां कुशवाहा बाहर आए हैं, वहीं एनडीए के गठबंधन से चिराग बाहर आए हैं, अब दोनों क्या असर डालेंगे यह तो समय बताएगा.

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