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काला धन: देश को गुमराह कर रही है मोदी सरकार: कांग्रेस

Black money: Modi government is misguiding the country: Congress

By: वतन समाचार डेस्क
Prof. Rajeev Gowda, MP and Prof. Gourav Vallabh, Media Panelist addressed the media at Parliament House today.

New Delhi: प्रो. गौरव वल्लभ ने मीडिया से बात चीत करते हुए आज कहा कि “आज हम दो विषयों पर बात करना चाहते हैं और सरकार से दो विषयों पर सवाल पुछना चाहते हैं। पहला विषय है कि जिस तरह से कल वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने एक अंग्रेजी मे शब्द है सेलेक्टिव स्टेटिस्टिक्स देश के सामने प्रस्तुत किया। क्या ये सेलेक्टिव स्टेटिस्टिक्स प्रजेंट कर के आप देश का काला धन वापस लाना चाहते हो। मैं आपको एक चीज बताना चाहता हूं साथियों कि दो तरह की स्टेटिस्टिक्स स्विटजरलैंड सरकार से आती है। एक तो स्विस नेशनल बैंक से आती है और कल जो प्रस्तुत की गयी उसे बीआईएस का डाटा बोलते हैं। स्विस नेशनल बैंक, स्विटजरलैंड सरकार का केन्द्रीय बैंक है जो कह रहा है कि भारतीयों का पैसा स्विस बैंक में पचास प्रतिशत बढ़ा है, पिछले साल औऱ बीआईएस का डाटा जिसका कल हवाला दिया गया, जो कि बैंक फौर इंटरनेशनल सैटलमेंट का डाटा है वो कह रहा है कि भारतीयों का डाटा स्विस बैंक्स में कम हुआ है”।

 

जब हमने इसका गहनता से अध्ययन किया तो हमने पाया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योकि बीआईएस के डाटा में नॉन डिपोजिट लाइबलिटी इंक्लूड नहीं की जाती है। मैं आपको एक उदाहरण के तौर पर बताता हूं कि अगर भारतीय कोई काला धन लेकर के स्विटजरलैंड के बैंक में जमा कर आता है और वो डिपोजिट होता है तो वो बीआईएस और एसएनबी दोनों के आंकडों मे आयेगा पर अगर कोई स्विटजरलैंड की बैंक का बौंड खरीद लेता है डिबेंचर खरीद लेता है, म्यूचुअल फंड खरीद लेता है तो वो बीआईएस के डाटा में नहीं आयेगा पर वो एसएनबी के डाटा में आयेगा। 

 

तो क्या वो काला धन नहीं है? क्यों आप देश को हमेशा गुमराह करने का कोशिश करते हो सैलेक्टिव स्टेटेटिक्स देकर? ये तो वो ही हादसा पर बात हो गई कि आपने अनएम्पलायमेंट को कम करने के लिए एम्प्लॉयमेंट बढ़ाने के लिए डाटा ले आये कि 60 से 65 साल के लोगों ने अनएम्पलायमेंट कम हुआ है। इन चीजों से समस्या का समाधान नहीं होता है आपने देश से जो  वादा किया था कि 80 लाख करोड़ रुपया आप जनता का स्विस बैंक से लायेंगे वो वादा का 80 लाख करोड़ का डाटा भी स्विस नेशनल बैंक का डाटा भी आप बार-बार कोट कर रहे थे। अब आपको वो डाटा पसंद नहीं आ रहा अब आप बीआईएस के डाटा पर जा रहे हो। ये देश के साथ एक तरह से धोखा है। 

 

दूसरी बात जैसा कि हमारे वरिष्ठ साथी श्री गौड़ा जी ने बताया कि सेलेक्टिव क्वार्टर फोर तक की आपने स्टेटिस्टिक्स बता दी कि क्वार्टर फोर तक का डाटा जो कम हुआ है। क्वार्टर फोर 2017 तक कम हुआ है 2018 के क्वार्टर वन में वही बीआईएस की वेबसाइट पर भीरतीयों का पैसा स्विस बैंक्स मे 23 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 

 

तीसरी बात जो कि वहुत ही रोचक चीज है कि आप क्यों देश को ऐसे समझते हैं। कोई काला धन मान लो भारत से बाहर जाता है तो भारत से सीधा ज्यूरिस नहीं जाता है वो टैक्स हैवन्स में घुमता-घामता जाता है। यहां से कोई केमन आईलैंड या लक्जमबर्ग या मॉरीशस या हाँगकाँग जैसे कई टेक्स हैवन से होता हुआ जाता है। वहां पर जब अगर केमन आईलैंड से पैसा जाता है तो वो भारतीय का पैसा स्विस बैंक्स में नहीं गिना जायेगा। वो केमन आईलैंड का पैसा गिना जायेगा औऱ इस बात का प्रमाण ये है कि स्विस बैंक्स मे आज सबसे ज्यादा पैसा किस देश का है आपको पता है ब्रिटेन का, क्यों है? क्योंकि ये जो टैक्स हैवन्स है वो ब्रिटेन के अधीन है, तो आप देश को गुमराह मत कीजिये। आप कहिये कि काले धन के मुद्दे पर हमने जो वादा किया था 80 लाख करोड़ का उसमें से 8 रुपये भी हम नहीं ला पाये इसका हमें खेद है। जनता के सामने स्पष्ट औऱ सच बोलिये।

 

दूसरी बात एक भगौड़ा कानून पर आज संसद में भी चर्चा हुई। आदरणीय गौड़ा जी ने भी उसके बारे मे अभी राज्यसभा में हमारी पार्टी का पक्ष प्रस्तुत किया। आप देखिये भगौड़ा कानून के साथ किस तरह का खिलवाड़ हो रहा है। आज जो भगौड़ा कानून है वो आज के कानूनो से एक रत्ती भर भी उसमें अंतर नहीं है और जैसा गौड़ा जी ने भी बोला और हम बोलते है, सरकार को चैलेंज करते है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व एक भी भगौडे को वापस ले आईये। ऐसा क्यों नहीं हो सकता क्योंकि जहां-जहां आप जाते हो वहां-वहां कि नागरिकता भगौडों को मिल जाती है। 

 

आप एंटीगुआ गये, आज भगौड़ा नम्बर एक चौकसी को वहां कि नागरिकता मिल गई। आप कभी और कोई अफ्रीका के देश जाओगे हो सकता है कि आने वाले समय में हम देखें कि अफ्रीका के कुछ देशों में भगौडों को नागरिकता मिल गई। आप कमिटमेंट से काम करीये आपने दो मुद्दे जिसके बूते पर पूरा चुनाव पूरा जुमलाबाजी की थी, उन दोनों मुद्दों पर आप बुरी तरह से फेल हुए हैं। आपके अधीन, आपके रहते हुए लोग भारत छोड़ कर भाग रहे है और आप बोल रहे हैं कि हम उनको वापस लायेंगे, जरुर लायेंगे। ये खोखली बातों से, जुमलों से देश नहीं चलता है; देश चलता है एक्शन से। कांग्रेस पार्टी सरकार से और मोदी जी से और वित्त मंत्री जी से पूछना चाहती है कि कितना काला धन आया और क्यो आप झूठी- झूठी सेलेक्टिव स्टेटिस्टिक्स देकर देश को गुमराह करना चाहते हो? इन दो मुद्दों पर आज हम सरकार से प्रश्न पूछना चाहते हैं। 

 

एक प्रश्न के उत्तर में प्रो. वल्लभ ने कहा कि आपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। देश की जनता को समझना चाहिए कि एक डेटा होता है रिजर्व बैंक की सेंट्रल बैंक का जिसमें कि भारत का कालाधन स्विस बैंकों में 50 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। जो डेटा पिछले महिने आया और उसके बाद किस तरह से बयानबाजी हुई, उस पर भी देश को हंसी आ रही है। बोला गया कि जो स्विट्जरलैंड में पड़ा है, वो कालाधन नहीं होता, वो कोई और धन भी हो सकता है। जब वो कालाधन नहीं है तो कौन सा धन है? ये पीला धन है या नीला धन है, देश को बताएं?

 

दूसरी बात आपने बोली कि कल क्या बयान दिया गया? कल बयान दिया गया वित्त मंत्री द्वारा, उसमें बीआईएस का डेटा, बीआईएस क्या है, एक संस्था है, जिसमें विश्व के कई सेंट्रल बैंक उस संस्था के सदस्य हैं। वो कोई स्विट्जरलैंड सरकार की संस्था नहीं है। वो बीआईएस डेटा में आपने बोला कि 34 प्रतिशत कम हुआ। क्यों कम हुआ उसका कारण हमने बताया और हम देश की जनता को भी बताना चाहते हैं। कम इसलिए हुआ क्योंकि, आपने उसमें नोन-डिपोजिट लाइबिलिटी (Non deposit liabilities), जैसा कि मैंने उदाहरण आपको दिया कि अगर भारत का कोई व्यक्ति जिसके पास कालाधन है, वो वहाँ जाकर उस बैंक में म्यूचुअल फंड के रुप में निवेश कर दे। वो जाकर उस बैंक में बांड और डिबेंचर (bond debenture) के रुप में निवेश कर दे, तो वो बीआईएस के डेटा में नहीं आएगा, वो स्विस नेशनल बैंक, जो कि वहाँ सेंट्रल बैंक है, उसके डेटा में आएगा और उस डेटा के हिसाब से आपका 50 प्रतिशत कालाधन बढ़ा है। आप पूरी तरह से कोई एक्शन लेते नहीं है, कोई आपके पास कार्यप्रणाली नहीं है, आप सिलेक्टिव स्टेटिस्टिक्स (Selective statistics) का हवाला देकर देश के गुमराह नहीं कर सकते। 

 

और आपने स्विट्जरलैंड ट्रिटी के बारे में पूछा, वो ट्रिटी भी बड़े हास्यपद हैं। उसमें ये लिखा गया है कि 2018 में जिन-जिन लोगों के एक जनवरी को नाम हैं, उनके नाम 2019 के सितंबर में बताया जाएगा। ये क्या मतलब? आप ये बोल रहे हैं कि जिनके पास कालाधन है 2018, 1 जनवरी को, वो स्विट्जरलैंड से पैसा लेकर कोई और टैक्स हैवन में जाकर लगा दें। आप इस बात का अध्ययन करेंगे, क्योंकि मैंने इस बात की पूरी रिसर्च की है और एक बहुत रोचक आंकड़ा उसमें आया है, कि जिस दौरान बीआईएस का हवाला देकर वित्त मंत्री जी ने कहा कि कालाधन कम हुआ है, उसी वेबसाईट में अगर देखेंगे तो पाएंगे कि भारतीयों का लक्जमबर्ग में पैसा अचानक से चार गुना बढ़ गया है, four times increase! वो बातें आप नहीं बता रहे हैं। आप वो देश देखते हैं, जहाँ पर आपको स्टेटिस्टिक्स सूट करती है। वो आप संसद के पटल पर आकर बोल देते हैं। इन चीजों से डॉयवर्ट, ड्यूप और डिसीव हम बार-बार कहते हैं, देश का ध्यान मत भटकाओ, आप पूरी तरह से कालेधन के मुद्दे पर और ये जो भगौड़े और पकौड़े जो आमतौर पर बोलते हैं, ये जो भाग रहे हैं, इनको कब लेकर आएंगे? एक तारीख दीजिए, कि हम इस दिन तक इतने लोग लेकर आएंगे, अन्यथा नियम पर, कानून पर कानून आप अपनी बातों का विरोधाभास करते हैं। पहले तो आपने बोला कि हम कानून कम करेंगे, अब पिछले कुछ समय से देख रहे हैं, कानून पर कानून, कोई भी चीज आई, इस पर कानून ले आते हैं। इससे चीजों का हल नहीं होगा।     

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