नयी दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और एंटॉप हिल (Mumbai) से बीएमसी में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे सुफियान नियाज़ ए वाणु ने आज सोशल मीडिया पर जारी अपने एक बयान में कहा है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से विचारों में मतभेद होना यह सामान्य बात है. उन्होंने कहा कि लेकिन विचारों के मतभेद के बीच अगर कोई किसी के व्यक्तित्व पर प्रहार करता है तो व्यक्तित्व पर प्रहार करने वाला आदमी हारा हुआ होता है, क्योंकि जो आदमी संस्कारी होता है वह राजनीतिक मतभेद रखता है लेकिन वह किसी के व्यक्तित्व पर प्रहार नहीं करता है.
सुफियान नियाज़ ए वाणु ने कहा कि राजनीति हो या आम जीवन एक दूसरे का सम्मान अनिवार्य है और यही भारत की सभ्यता है जो सूफी संतों से लेकर हमारे आजादी के महान योद्धाओं की शिक्षा है जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए बलिदान दिया.
ज्ञात रहे कि सुफियान नियाज़ ए वाणु की छवि एक ऐसे राजनीतिक नेता की है जो काम करने के लिए जाने जाते हैं. सुफियान नियाज़ ए वाणु ने एंटोप हिल से बीएमसी का सदस्य बनने के बाद जिस तरह से अपने क्षेत्र के विकास के लिए जात और धर्म से ऊपर उठकर के काम किया है उसकी पूरे महाराष्ट्र ही में नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा हो रही है और वो शिक्षा के साथ-साथ डेवलपमेंट और जन सुविधाओं पर ज्यादा फोकस करते हैं, जिससे आम जीवन जुड़ा हुआ होता है.
सुफियान नियाज़ ए वाणु की सोच है कि गरीब के बच्चे को शिक्षा दी जाए और गरीबों को वह सुविधाएं दी जाएं जिसका हमारे संविधान निर्माताओं ने सपना देखा था और संविधान जिस की गारंटी देता है. उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि वह किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है, चाहे वह एम आई एम हो या कोई और. भारत राष्ट्र में सभी को अपनी पार्टी बनाने चलाने का पूरा अधिकार हासिल है, लेकिन वह उस सोच के खिलाफ हैं जो लोगों को हिंदू और मुस्लिम के नाम पर बांटती है. जो लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित करती है.
सुफियान नियाज़ ए वाणु ने कहा कि भारत की गंगा जमुनी तहजीब उसका सबसे बड़ा ताना-बाना और धरोहर है. हमें यह समझना होगा! अगर हम जज्बात में इसे नहीं समझ पाए तो आने वाले दिनों में हम सब को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह से उन बयानों का फायदा राजनितिक दल उठाते हैं जो धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करने के लिए दिए जाते हैं.
सुफियान नियाज़ ए वाणु ने कहा कि एक बयान दिया जाता हैं कि "15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो" फिर क्या होगा. उन्होंने कहा कि इसी तरह के बयान चुनाव में एलईडी स्क्रीन पर बिहार के गांव गांव में चलाए गए और लोगों को उत्तेजित किया गया और धर्म के आधार पर लोगों को एकत्रित करके उनसे वोट मांगा गया.
उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि इस तरह के बयान देश समाज या संविधान के हित में नहीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह से मोदी भक्त हैं उसी तरह से एम आई एम भक्त हैं. हमें भक्तों की राजनीति से ऊपर उठकर के अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होगा. उन्होंने कहा कि जब ईश्वर ने हमें दिमाग दिया है तो सोचने के लिए है. उसका हमें उपयोग करना होगा.
उन्होंने प्रश्न उठाते हुए कहा कि जो लोग बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस को दोषी मानते हैं मैं उन भक्तों से पूछना चाहता हूं कि 1992 से लेकर 2014 तक लगभग 22 साल क्या एम आई एम के लोग यह नहीं समझ पाए थे कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. क्यों वह कांग्रेस की गोद में बैठे रहे? क्यों उन्होंने हैदराबाद में अपना मेयर कांग्रेस के समर्थन से बनाया? उन्होंने कहा कि सवाल पूछा जाना चाहिए कि असद भाई ओवैसी यूपीए-ii में UPA चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी से मंत्री का पद क्यों मांगने गए थे?
उन्होंने कहा कि यह भी सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्यों असदुद्दीन ओवैसी ने डॉ मनमोहन सिंह को देश का सबसे शक्तिशाली और बेहतरीन प्रधानमंत्री बताया था? यह सारे के सारे बयान आज भी सोशल मीडिया और यूट्यूब पर मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में बहुत सारी गलतियां राजनेताओं और राजनीतिक दलों से होती हैं, लेकिन जो सोच भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए है उस सोच पर हमें काम करना होगा और उसी सोच को आगे बढ़ाना होगा.
अगर हिंदू और मुसलमानों के नाम पर विभाजन हुआ तो हमें यह समझना होगा कि इसकी कीमत देश का हर व्यक्ति चुकाएगा. क्यों कि इस से देश मजबूत होने के बजाय कमजोर हो जाएगा और देश की जड़ें खोखली हो जाएंगी. ऐसी सूरत में एक्सटर्नल Security से ज्यादा इंटरनल सिक्योरिटी बड़ा चैलेंज हो जाएगी. इसलिए हमें देश को एक रखना है. देश के सभी लोगों को एक रखना है.
ज्ञात रहे कि जिस तरह आज एम आई एम और बीजेपी पर आपस में पर्दे के पीछे एक दूसरे को सपोर्ट करने का आरोप है और बीजेपी पर आरोप है कि वह वोटों के ध्रुवीकरण के लिए असदुद्दीन ओवैसी को राष्ट्रीय नेता बनाने में लगी हुई है, ताकि सेक्युलर राजनीतिक दल कमजोर हो जाए और धर्म के आधार पर मतों का विभाजन हो जाए, उसी तरह से देश के विभाजन से पहले हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने मिलकर के सरकार बनाई और फिर देश को इसकी इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी कि देश के दो टुकड़े हो गए. इसलिए लोगों को इस खतरे को समझना होगा और देश में भाई चारे के लिए काम करना होगा.
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