नई दिल्ली, 12 मार्च 2020। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में जमाअत इस्लामी हिन्द की स्वंयसेवक टीमें बड़े पैमाने पर राहती काम अंजाम दे रही है। संगठन ने चिकित्सा सहायता, क़ानूनी मामले को देखने, नुक़सानों का सर्वे करने, हिंसा कैसे भड़की इसका सही आकलन करने के लिए और पुनर्वास के लिए अलग अलग टीमें गठित की है। जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद अहमद को पर्यवेक्षक के तौर यह कार्यभार सौंप गया है। मोहम्मद अहमद ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खां से मिलकर हर संभव सहयोग देने की बात कही। मोहम्मद अहमद ने बोर्ड के चेयरमैन से कहा कि 8 किलोमीटर में फैली हिंसा का दुष्य अत्यंत भयावह और क्रूर था। 2002 के गुजरात दंगा की तर्ज़ पर इबादतगाहों को निशाना बनाया गया 19 मस्जिदों में आग लगायी गई और नुक़सान पहुंचाया गया। मस्जिदों को उड़ाने के लिए विस्फोटक सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया। लोगों का कहना है कि बाहरी तत्व आए और मुसलमानों पर तबाही मचाने लगे। मुसलमानों के मकानों और दुकानों को चुन चुन कर निशाना बनाया गया जिससे इशारा मिलता है कि यह योजनाबद्ध हमला था जिसमें एकतरफा कार्रवाई हुई। मोहम्मद अहमद ने कहा कि अफसोसनाक बात यह है कि जो लौग भय और आतंक की वजह से जान बचाकर भाग गए थे अब वे अपने जले हुए मकानों और सामानों को देखने के लिए वापस आते हैं तो पुलिस उन्हें दंगाई होने के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है और उनपर 370 जैसा संगीन दफा लगा कर गिरफ्तार कर लेती है और उनपर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करती है। इलाक़ों में ख़ौफ का वातावरण बना हुआ है। नौजवानों को हमेशा संदेह बना रहता है कि कब पुलिस आकर उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। इस एकतरफा कार्रवाई ने मुसलमानों में अन्याय की भावना पैदा कर दी है।
इस उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे जमाअत के राष्ट्रीय सचिव मलिक मोतसिम खां ने कहा कि अगर पुलिस गंभीरता से अपने कर्तव्यों का पालन करती तो इस तबाही को रोका जा सकता था। इसमें पूरे तौर पर मुसलमानों का नरसंहार करने का प्रयास किया गया है। हैरत की बात यह है कि पुलिस ऐसे मुसलमानों को गिरफ्तार कर रही है जिन्होंने अपने मोहल्ले के मंदिरों की सुरक्षा की थी। उन्होंने बताया कि स्थिति ऐसी भयावह हो गयी है कि हिंसा में जख़्मी होने वाले अपना इलाज कराने से घबराते हैं कि कहीं पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर ले।
प्रभावित इलाकों में कई संगठनें अपने अपने तौर पर काम कर रही हैं। जमाअत इस्लामी हिन्द बिना किसी भेदभाव के राहत पहुंचाने के लिए एसबीएफ (सोसायटी फॉर ब्राइट फ्यूचर) और एपीसीआर (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन फॉर सिविल राइट) के सौजन्य से प्रभावितों को मदद पहुंचा रही है। जमाअत ने डाक्टरों की एक टीम तैयार की और दो हज़ार से 1500 जख़्मियों का इलाज कराया। गंभीर रूप से 19 जख़्मियों को अलशिफा अस्पताल में भर्ती किया गया और अपनी निगरानी में उनका इलाज करवाया। ईदगाह में पंद्रह सौ शरणार्थियों में खाने पीने की सामग्रियों के अतिरिक्त कपड़े, बच्चों के ज़रूरत के सामान की व्यवस्था की गयी। जिनका एफआईआर दर्ज नहीं हो रहा था वकीलों द्वारा उनका एफआईआर दर्ज करवाया गया।
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