एक उर्दू अखबार को दिए अपने साक्षात्कार में जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आर एस एस और दुसरे संगठनों से साथ बातचीत जारी रहने पर बल दिया है. ज्ञात रहे कि कुछ महीने पूर्व मौलाना सैयद अरशद मदनी ने खुद आर एस एस (संघ) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी, जिसके बाद मीडिया में कई तरह की खबरें आई थीं. मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अब कहा है कि हालात ने आगे नहीं बढ़ने दिया उसका उन्हें दुख भी है. मौलाना मदनी ने शिशु मंदिर में मुस्लिम बच्चों के के शिक्षा लेने पर भी चिंता प्रकट की है. उन्होंने कहा है कि शिशु मंदिर में जिस तरह मुस्लिम बच्चे जाते हैं और वहां के रीति रिवाज के हिसाब से सुबह पूजा प्रार्थना करते हैं वह ठीक नहीं है. सभी को सुबह की पूजा प्रार्थना में हिस्सा लेना अनिवार्य होता है.
मौलाना सैयद अरशद मदनी ने पढ़े-लिखे और पैसे वाले मुसलमानों से अपील की है कि कुछ लोग मिलकर के एक जॉइंट एफर्ट करें, जिससे अच्छे स्कूल और अच्छे कॉलेज बन सकें. मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि उन्होंने बीते वर्षों में बच्चे बच्चियों के लिए जो कॉलेजेस जो संस्थान और जो आईआईटी या बीएड कालेज स्थापित किए थे अब उसके अच्छे नतीजे दिखने लगे हैं. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर इसी तरह का हमारा प्रयास जारी रहा तो आने वाले दिनों में इस के अच्छे नतीजे होंगे. मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमारा प्रयास ही हमें उच्च स्थान दिलाएगा.
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस्लाम धर्म के हिसाब से अपने जीवन को बिताना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह इस्लाम धर्म में दूसरों के साथ प्यार प्रेम की बातें कही गई हैं उसी तरह हमें प्यार मोहब्बत संप्रदायिक सद्भाव के साथ अपने जीवन को आगे लेजाना चाहिए और किसी को किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं पहुंचानी चाहिए. मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आतंकवाद के आरोपी मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारीयों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि एक समय जब इन निर्देशों के लिए बोलना जुर्म था उस वक्त भी जमीयत उलेमा हिंद ने पूरी ताकत से आवाज उठाई और आज उसके अच्छे परिणाम हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि भारत की मिट्टी में हमारे पूर्वजों का खून है. हमें मायूस होने की कोई जरूरत नहीं है. निरंतर सही दिशा में प्रयास जारी रहना चाहिए और लोगों को अच्छी शिक्षा लेने के लिए प्रेरित करते रहना होगा और हर स्तर पर लोगों की मदद करनी होगी. मौलाना मदनी ने कहा कि भीड़ तंत्र में सिर्फ मुसलमान नहीं मारे जाते हैं बल्कि दलित और ईसाई और दूसरे लोग भी मारे जाते हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी केंद्र सरकार ने इस दिशा में कानून बनाने के लिए कोई काम नहीं किया, जबकि तीन तलाक के मामले में जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई वह दुनिया ने देखा.
जिससे केंद्र सरकार के "सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास" के नारे पर सवाल उठना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग गांधी के सिद्धांतों की बात जरूर करते हैं, लेकिन जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं और जिस तरह के सत्ताधारी दल के नेताओं की ओर से वक्तव्य दिए जाते हैं, दोनों में विरोधाभास बहुत सारे सवाल खड़े करता है. मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा हिंद जात धर्म समुदाय से ऊपर उठकर के पहले दिन से ही सभी धर्मों के लोगों की सहायता करती चली आई है और यह हमारे मेनिफेस्टो का अभिन्न अंग है और आगे भी हम इसी तरह का काम करते रहेंगे.
उन्होंने देशवासियों से अपील की कि धार्मिक सौहार्द बनाए रखें और किसी के झूठे प्रोपेगेंडा से प्रभावित ना हों और भारत की पुरानी सभ्यता को जीवित करें और उस समय को याद करें जब हमारे पूर्वजों ने एक साथ मिलकर के देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों को देश से निकाल कर बाहर फेंक दिया. मौलाना मदनी ने इस अवसर पर कहा कि पहले लोग कहते थे "आधी रोटी खाएंगे - बच्चों को पढ़ाएंगे" लेकिन अब हमें इस नारे को बदलना होगा "पेट पर पत्थर बांधकर भी बच्चों को पढ़ाने" के लिए आगे आना होगा. तभी हमारा भविष्य उज्जवल हो सकता है. मदनी ने बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि फैसले ने बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं.
उन्होंने कहा कि जब न्यायालय ने इस बात को स्वीकारा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनायी गयी उसके बाद मस्जिद की ज़मीन मंदिर को दिया जाना समझ से बाहर है. उन्होंने बाबरी मस्जिद शहीद करने के दोषियों को न्यायालय से बरी किए जाने पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि लिब्राहन कमीशन ने जब इस बात को स्वीकारा था कि सुनियोजित साजिश थी उसके बावजूद जिस तरह का फैसला आया है उस फैसले से जनता न्यायालय पर कैसे विश्वास रह सकेगा, यह समझने की जरूरत है.
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