(मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी (महासचिव मुशावरत)
NEW DELHI: तीन तलाक़ पर क़ासिम रसूल इलियास के जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोर्ड को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के बाद (मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी (महासचिव मुशावरत) ने कहा है कि "उसी 15 सितंबर के कार्यक्रम में, हमने कहा था कि तलाक के संबंध में अध्यादेश आने वाला है, हमें खुद को एक बेहतर मसौदा देना चाहिए, और हमें इस से अच्छा मसौदा देना चाहिए.
हम यह बात काफी समय से कह रहे हैं, लेकिन हम तालिब इल्मों (छात्रों) के शब्दों पर कौन ध्यान केंद्रित करेगा? तज़र्बा यह बताता है कि रिपोर्ट में पूरी बात नहीं आती. एक आध जुमला आ जाता. मैंने कहा कि लोगों की जरूरतों के आधार पर इस्लामी नियम तर्क संगत और न्याय पर आधारित हैं. हम ने इस के लिए तर्क दिए थे. लेकिन उन में से कुछ भी नहीं आया.
डॉ। कासिम रसूल इलियास ने कहा था कि यदि तलाक के संबंध में दूसरे मसलक/ मौक़िफ़ को रखा जाता तो फैसला कुछ और आ सकता था.
यह फैसला अभी किसी मसलक के अनुसार नहीं है… आने वाले दिन और अधिक कठिन होंगे, हमारे यहां अपनों को किनारे लगाने की कोशिश में हम अपना वजन कम कर रहे हैं. कोई भी दूसरों को सहन करने के लिए तैयार नहीं है. हमारे काम की सब को खबर है. मोहन भागुत ने कुछ गलत नहीं कहा था "शिकारी कुत्तों, की फौज अकेले चलते शेर का शिकार कर लेती है.
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