नयी दिल्ली: एक महीने से भी ज्यादा लंबे समय से जारी किसान आंदोलन के आगे आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पूरी तरह से बेबस नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर रेलवे मंत्री पीयूष गोयल समेत सरकार के तमाम दिग्गजों से किसानों की कई राउंड हुई बातचीत के बाद जब मामला सुलझता नहीं दिखाई दिया तो अब सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान अपने हाथ में ले ली है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने फैसला किया है कि वह 25 दिसंबर को किसानों के साथ संवाद करेंगे. इस बीच किसान यूनियनों का कहना है कि हमें आशा है कि सरकार खुले दिमाग के साथ टेबल पर बातचीत के लिए आएगी. ज्ञात रहे कि किसानों का कहना है कि सरकार जब तक कृषि सुधार संबंधित तीनों नए कानून वापस नहीं ले लेती है उस वक्त तक किसान अपने धरने को खत्म नहीं करेंगे और किसानों का धरना जारी रहेगा.
साथ ही किसानों की यह भी डिमांड है कि सरकार कृषि सुधार संबंधित नया बिल किसानों से संवाद के बाद ही लाए और उसमें इस बात का प्रावधान हो कि जो भी एमएसपी से कम कीमत पर खरीदेगा उसे 5 साल की सजा होगी. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार की मंशा कारपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने की है जबकि वह ऐसा होने नहीं देंगे और वह अपनी खेती और अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे.
जबकि सरकार का कहना है कि वह खेती किसानी के क्षेत्र में इतिहासिक बदलाव चाहती है और इससे किसानों को काफी फायदा होगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को 6 राज्यों के किसानों से बातचीत करेंगे और इसके लिए जुम्मा का दिन तय किया गया है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी 18000 करोड रुपए 9 लाख किसानों के खाते में डिजिटली ट्रांसफर करेंगे और यह पैसा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम द्वारा दिया जाएगा.
इस अवसर पर किसान प्रधानमंत्री मोदी के साथ पीएम किसान स्कीम के बारे में भी अपनी जानकारियां और अपने तजुर्बे साझा करेंगे. पीएमओ की ओर से दिए गए एक बयान में कहा गया है कि इस मौके पर किसान सरकार के साथ किसानों के की भलाई के लिए शुरू की गई सरकारी स्कीमों के साथ अपने एक्सपीरियंस को भी साझा करेंगे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के साथ किसान संवाद सभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित होंगे. इस बीच किसानों का कहना है कि उन्हें आशा है कि सरकार खुले मन के साथ टेबल पर उनके साथ संवाद करेगी. किसानों का यह भी कहना है कि कृषि सुधार संबंधित तीनों नए कानूनों को खत्म करने के लिए उनकी इस डिमांड में किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है और उनका एक ही उद्देश्य है कि जब तक यह तीनों कानून वापस नहीं ले लिए जाते हैं तब तक उनका धरना जारी रहेगा.
इधर सरकार की तरफ से बार-बार किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश हो रही है कि नए कानून से उनको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. उधर सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से यह कह चुका है कि सरकार यह बताएं कि क्या नए कानूनों पर कार्यान्वयन स्थगित किया जा सकता है.
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