किसानों का कहना है कि जिस तरह सरकार ने धीरे-धीरे बीएसएनल को कमजोर कर दिया और अब पूरा सिस्टम कारपोरेट के हवाले हो गया उसी तरह से आने वाले दो-तीन सालों में मंडी सिस्टम को कमजोर कर के किसानों को पूजी पतियों के सहारे छोड़ दिया जाएगा और यह पूंजीपति जैसे चाहेंगे किसानों को वैसे घूमाएंगे, फिर किसानों के पास कोई चारा नहीं रह जाएगा.
नयी दिल्ली: लगातार कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद आखिरकार केंद्र सरकार झुकती नजर आ रही है. ऑल इंडिया फॉर्म अलायन्स के संस्थापक और इंडियन चैम्बर ऑफ़ फूड एंड एग्रीकल्चर ICFA के चेयरमैन डॉक्टर MJ खान के द्वारा दी गई सूचना के अनुसार भारत सरकार ने किसानों से संवाद का फैसला किया है.
डॉक्टर एम जे खान द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार आज शाम 7:00 बजे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टकैत और दूसरे किसान नेताओं के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व भारत सरकार के लोग के बीच बातचीत होगी, जिसके बाद किसानों की समस्याओं के समाधान को लेकर के आगे का फैसला किया जाएगा, लेकिन बड़ा प्रश्न यह है कि अभी तक सरकार बिल वापस लेने को लेकर कोई भी फैसला नहीं कर पा रही है.
सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने इस पूरे मामले में किसानों के साथ संवाद के लिए समिति बनाने का फैसला किया है, जबकि किसान इस बात के लिए अड़े हुए हैं कि सरकार इस बात को सुनिश्चित करे कि वह एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य करेगी. किसानों का कहना है कि सरकार यह तीनों अध्यादेश वापस ले, क्योंकि यह अध्यादेश 2 - 3 पूजी पतियों के लिए लाया गया है और किसानों की जमीनों को बर्बाद करने के लिए लाया गया है.
आरोप है कि आने वाले दिनों में यह पूंजीपति किसान की जमीनों के मालिक भी हो जाएंगे और जल जमीन जंगल तीनों इन पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा. किसानों का आरोप है कि सरकार इस बात को अनिवार्य करे कि अगर कोई एमएसपी पर नहीं खरीदता है तो उसको जेल का प्रावधान होगा, लेकिन सरकार इस बात पर अभी तक कोई फैसला नहीं कर पा रही है.
किसानों की मांगों को अब पूरे देश से समर्थन मिलने लगा है और किसान आंदोलन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. कई धार्मिक और सामाजिक संगठन भी किसानों के आंदोलन के समर्थन में उतर आए हैं. किसानों का कहना है कि जिस तरह सरकार ने धीरे-धीरे बीएसएनल को कमजोर कर दिया और अब पूरा सिस्टम कारपोरेट के हवाले हो गया उसी तरह से आने वाले दो-तीन सालों में मंडी सिस्टम को कमजोर कर के किसानों को पूजी पतियों के सहारे छोड़ दिया जाएगा और यह पूंजीपति जैसे चाहेंगे किसानों को वैसे घूमाएंगे, फिर किसानों के पास कोई चारा नहीं रह जाएगा.
किसानों का कहना है कि जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छे दिनों का वादा किया था और उन्होंने 1500000 रुपए देने और 2 करोड लोगों को हर साल रोजगार देने का वादा किया था उसी तरह से प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि यह बिल किसानों के हित में है, लेकिन सरकार की नीतियां किसानों के विरुद्ध हैं.
उनका यह भी आरोप है कि जिस तरह से इस सरकार ने किसानों के विकास संबंधित कुछ कानूनों में संशोधन किया है उससे इस सरकार की नियत पर शक करना अनिवार्य हो गया है. इसलिए सरकार जब तक इस बिल को वापस नहीं लेती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
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