नयी दिल्ली: अपनी सियासत के शुरुआती दौर से ही कांग्रेस के आलोचक रहे पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आजमी ने आज वतन समाचार से विशेष बातचीत में कहा है कि कांग्रेस और भाजपा में यह फर्क है कि अगर जिस तरह का विरोध मैं ने इंदिरा गांधी के जमाने में कम्युनिस्टों के साथ मिलकर के अफगानिस्तान के हक में और रूस के विरोध में किया था अगर आज की मौजूदा सरकार उस तरह का विरोध देखती तो हमें जेल में डाल देती.
इलियास आजमी ने कहा कि इंदिरा सरकार ने ऐसा नहीं किया और हमने पूरी ताकत के साथ उसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि मैं ने लोकसभा में इस बात को उठाया था कि आज नहीं तो कल हमारा तालिबान के साथ वास्ता जरूर पड़ेगा और यह बात दीवार पर लिखे मोटे अक्षरों में समझी जानी चाहिए और संसद की कार्यवाही लिखने वाले मेरे इन शब्दों को मोटे मोटे अक्षरों में लिख लें.
उन्होंने कहा कि आज हम उसी मोड़ पर खड़े हैं. आज़मी ने कहा कि तालिबान को हराने के लिए हमें इस्लाम की सही व्याख्या करनी पड़ेगी, ताकत के दम पर जब रूस और अमेरिका तालिबान को नहीं हरा सके तो फिर हम कौन होते हैं? उन्होंने कहा कि अगर हम इस्लाम की सही व्याख्या करके उनको बताएं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गरीब अवाम का $3 अरब डॉलर पेट काट कर के तुम्हारे देश की संसद से लेकर सड़क, स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल बनाए हैं. कौन सा इस्लाम इस बात की अनुमति देता है कि तुम उसको हड़प जाओ? तो वह जरूर इस बात को मानेंगे और हमारे साथ आने के लिए मजबूर होंगे.
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ तालिबान के जाने की बात कही जा रही है तो प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि हिंदुस्तानी मुसलमानों को लायबिलिटी पर ना लें, बल्कि उनको एसेट के तौर पर समझें और अगर फौज में पाकिस्तान के लोगों को तालिबान भर्ती करता है तो भारत में भी मुसलमानों की कमी नहीं है और हम तालिबान को बताएं कि भारत भी अफगानिस्तान का अच्छा दोस्त है. उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान में मूर्तियां तोड़ी जा रही थी तो उस वक्त भी हम ने खुद अपने घर साउथ एक्स में एक अफगानी को बुलाकर कहा था कि कौन सा इस्लाम इसकी अनुमति देता है? तो उसने कहा... कि जाकर के में तालिबान के नेताओं से इस की बात करूंगा. उस ने जाने के बाद पाकिस्तान से हम को फोन करके बताया कि हमारी बात मुल्ला उमर से तो नहीं हो सकी लेकिन नीचे वालों से हुई है और सब ने इस बात को माना है कि जब काब बिन अशरफ के घर को जो सबसे बड़ा यहूदी रसूल का दुश्मन था, जिसे कत्ल किया गया, उसके घर को धरोहर के तौर पर खुलफाये राशेदीन ने यूज किया और उसको गिरा या नहीं तो फिर हम क्यों मूर्तियों को तोड़ें तो इसको उन्होंने माना.
उन्होंने कहा कि इस्लाम के मानने वाले भारत में सही इस्लाम की तारीफ बयान कर के ही तालिबान को राम कर सकते हैं और इसके अलावा उनको मनाने का कोई जरिया नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर हम ताकत के बल पर या उनसे यह कहें कि आप इस्लाम को छोड़ दो तो हम तालिबान के साथ बातचीत में असफल होंगे. श्री आज़मी ने कहा कि तालिबान की एक बड़ी तादाद उर्दू जानती है और उनको उस पर बात करके तैयार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह काम मैं खुद भी कर सकता हूं और यह काम हर इस्लाम का जानकार जो इस्लाम की सही तस्वीर जानता है वह कर सकता है.
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.