नयी दिल्ली, 23 सितंबर: तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार के हालिया अध्यादेश की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि की ''निकाह हलाला'' प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए इसे भी संसद में लंबित ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘धर्म के दुरुपयोग’ के जरिए चलाई जा रही इस तरह की प्रथा पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब लोगों को सजा होगी।
रेखा ने ‘भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘अगर कुछ मामलों में सजा हो जाएगी तो निश्चित रूप से इस पर (हलाला) रोक लग सकेगी। मेरा मानना है कि इसको तीन तलाक विरोधी विधेयक में शामिल किया जाना चहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं, जबकि हर धर्म महिलाओं के सम्मान और बराबरी की बात करता है। दुखद है कि इसका लोग दुरुपयोग कर रहे हैं।’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत बुधवार को एक साथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके साथ ही यह कानून लागू हो गया।
इस अध्यादेश के लागू होने से एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) अब अपराध होगा और इसके लिए तीन साल की सजा होगी।
महिला आयोग की प्रमुख का बयान उस वक्त आया है जब कुछ दिनों पहले ही ‘हलाला’ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाली महिला शबनम पर बुलंद शहर में तेजाब हमला किया गया था जिसमें वह झुलस गई।
रेखा ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, ‘‘हमने स्थानीय प्रशासन से इस मामले में सख्त कार्रवाई के लिए कहा है।’’
''निकाह हलाला'' की प्रथा के मुताबिक अगर एक पुरुष ने औरत को तलाक दे दिया है तो वो उसी औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता जब तक वह औरत किसी दूसरे पुरुष से शादी कर तलाक न ले ले।
महिला आयोग की प्रमुख ने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों मिलकर तीन तलाक विरोधी विधेयक को संसद से पारित करना चाहिए। लोकसभा से पारित हो चुका यह विधेयक फिलहाल राज्यसभा में लंबित है।
यौन उत्पीड़न के मामले में कुछ धर्मगुरुओं की कथित संलिप्तता को लेकर रेखा ने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है कि जिन लोगों पर लोगों को रास्ता दिखाने की जिम्मेदारी है, वही इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। इस पर सभी धर्मों के लोगों को सोचना चाहिए कि कुछ धर्मगुरु किस तरह से लोगों की आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बलात्कार के मामलों के खिलाफ सामाजिक चेतना पैदा करनी होगी। समाज मे लड़कियों को भी लड़कों के बराबर मानने की सोच से ही चीजें बदली जा सकती हैं।’’
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