नई दिल्ली 20 सितम्बर (प्रेस विज्ञप्ति) इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में कवि और शायर श्याम सुंदर सिंह की हिंदी और उर्दू शायरी की दो किताबों का विमोचन हुआ
उर्दू शायरी की किताब एहसास ए निहाँ : खिरद ओ रवायत का विमोचन सलमान खुर्शीद साहब ने किया तो हिंदी की कविता संग्रह दिन दुनिया का विमोचन वेद प्रताप वैदिक ने किया |
इस अवसर पर वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि जो बातें हम अपने भाषणों में या लेखों में लिखना चाहते हैं ,वो बहुत छोटे में ,संक्षेप में श्याम सुंदर ने अपनी कविताओं में कह दी हैं |इन्होने हिंदी और उर्दू की मुश्तरका तहजीब की जिंदा मिसाल हिंदी और उर्दू दोनों में एक साथ लिख कर पेश किया है |
सलमान खुर्शीद ने कहा की श्याम सुंदर की यह कोशिश हिंदुस्तान की सांझी विरासत का आइना है |जिस आज हम सब उसी साझा विरासत को संभालने की कोशिश में लगे हुए हैं।
इस मौके पर जाने माने अफसाना निगार मुशरफ आलम ज़ौकी ने श्याम सुंदर की शायरी बदलते वक़्त की और वक़्त को बदल देने वाली शायरी कहा |प्रोफेसर देवेन्द्र चौबे ने कहा कि श्याम सुंदर की शायरी एक बहुत बड़े फलक पे सवालों को उठाती है |
जे एन यू के प्रोफेसर मनिन्द्र नाथ ठाकुर ने ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ और ‘वो भी ग़ज़ब के थे दंगे’ कविता पे चर्चा करते हुए कहा कि श्याम सुंदर के पास जो सियासत, फलसफे और समाज की गहरी समझ है , वो दुसरे शायरों में नहीं मिलता | यह उन्हें आम सोशल साइंटिस्टो से अलग करती है |
इस अवसर पर नवाब काजिम अली खां ने कहा कि श्याम सुन्दर गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है। उनकी कोशिशों ने एक बार फिर हिंदी उर्दू को एक साथ पेश करके भारतीय राष्ट्र होने का सबूत प्रदान किया है .आज ऐसे कवियों और लेखकों की आवश्यकता है जो समाज के मिठास को समझते हुए दोनों भाषाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें यही हिन्दी उर्दू की जोड़ी ने दुनिया में शांति और प्रेम के संदेश को आम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है .राष्ट्र में आपसी भाईचारे का माहौल परवान चढ़ाने के इस तरह के प्रयास की सराहना करने के लिए खुशी है।
इस अवसर पर जेएनयू के प्रोफेसर संहिता आहन, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर खालिद अल्वी, सत्यपाल ग्रोवर, कशल किशोर, अतहर हुसैन अंसारी, मोहम्मद आलम, ऑल इंडिया रेडियो उर्दू नेशनल चैनल इफ्तेखारज़्ज़ामा , फलाहउद्दीन फलाही , कामरान खान, मोहम्मद फरीद खान सहित सैकड़ों लोग थे।
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