बाबरी मस्जिद मालिकाना मुकदमा
नई दिल्ली 10 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मालिकाना सुनवाई आगामी 29 /जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी, आज जब सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच के सामने यह मामला पेश हुआ तो जमीअत उलेमा हिंद के नेतृत्व मीटर सिविल सुनवाई पीटेशन नंबर 10866- 10867/2010 ( हाफ़िज़ मोहम्मद सिद्दीक़ महासचिव जमीअत उलेमा उत्तरप्रदेश) में पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर राजीव धवन वरिष्ठ एडवोकेट राजोराम चंद्रन, वरिष्ठ एडवोकेट वीरन्दागरोर और एडवोकेट ऑनलाइन रिकार्ड एजाज़ मकबूल तथा अन्य वकील पेश हुये डॉक्टर राजीव धवन सबसे ने पहले अदालत में 20/11/1997 के एक आदेश नोटिस पेश करते हुए अदालत को बताया कि न्यायमूर्ति यूयू ललित पीठ में बेंच शामिल है जो बाबरी मस्जिद की शहादत में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील रह चुके हैं, उन्होंने कहा कि यह मेरी जिम्मेदारी थी कि यह बात अदालत के ज्ञान में लायी जाये लेकिन अगर जस्टिस यूयू ललित सुनवाई करते हैं तो हमें इस पर कोई आपत्ति भी नहीं है यह बात अब उनके विवेक पर है कि क्या वह मामले की सुनवाई करेंगे या नहीं, इस पर चीफ जस्टिस ने यह बताया कि जस्टिस यूयू ललित ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस मेटर को नहीं सुनना चाहते है इसके बाद डॉक्टर राजीव धवन ने इससे पहले, अदालत के समक्ष पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने इस मामले को हमारे अनुरोध पर व्यापक अध्ययन के लिए संदर्भित करने से इनकार कर दिया। दिया था, उन्होंने कहा कि वह अदालत में यह बात याद के तौर कह रहे हैं और बेहतर होगा कि इस संबंध में एक न्यायिक ऑर्डर पास किया जाए इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि चीफ जस्टिस को यह इख्तियार है कि वह किसी मामला को किसी भी नंबर ऑफ बेंच के हवाले कर सकता है, मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि बेंच में पांचो न्यायाधीश शामिल के बाद आइंदा 29 /जनवरी को मुकदमा अगली सुनवाई के लिये लाये अमल तय होगा मुकदमा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुकदमें के ताल्लुक हजारों पन्नों में सबूत है और हाईकोर्ट का फैसला 4000 हजार पन्नों और 8000 से अधिक पृष्टों पर छपा है।और हाईकोर्ट का रिकॉर्ड भी जो कई भाषाओं में हैं रिकॉर्ड रूम में कई टरनकों है, अब सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री तय करेगी कि उनका उपयुक्त तरीके से अनुवाद हुआ है या नहीं, इस पर पार्टी विरोधी वकील श्री हरीश साल्वे ने कहा कि अनुवाद का काम पहले ही पूरा हो चुका है, उन्होंने यह भी कहा कि इस सिलसिले में अधिवक्ता रजिस्ट्री में मदद कर सकते हैं, उनकी इस पेशकश को खंडपीठ ने खारिज कर दिया और कहा कि रजिस्ट्री खुद इस कार्य को अंजाम देगी ।
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के सदर हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आज की प्रगति पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हम जल्दी ही इस पक्ष में हैं कि मुकदमा प्रगति और संवेदनशीलता को देखते हुए कोई बड़ी बेंच उसकी सुनवाई करेगा, हमारे वकील इस सिलसिले में अदालत से बारहा अनुरोध भी करते रहे हैं, लेकिन तब अदालत ने हमारे इस आवेदन मुस्तरद कर दिया था, उन्होंने कहा कि हमें इस बात की बेहद खुशी है कि अब इस मामले की सुनवाई एक पांच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी, मौलाना मदनी ने कहा कि आज जिस तरह हमारे वकीलों ने बेंच में जस्टिस यूयू ललित का केस उठाया, वह दिखाता है कि हमारे वकील कोर्ट में जाते हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाते हैं और मुकदमा के हर पहलू पर उनकी पैनी निगाह रहती है उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिन्द अपना रुख पहले ही साफ कर चुकी है कि वह कानून के अनुसार जो भी फैसला आएगा उसका सम्मान करेगी और मेरा भी यही स्टैंड है कि सरकारें कानून से ही चलती हैं और अगर कानून का सम्मान नहीं होगा तो सरकार चाहे कितनी ही मजबूत और ताकतवर हो वो तबाही का शिकार हो सकती है, उन्होंने यह भी कहा कि पांच सदस्यीय बेंच के हवाले से चीफ जस्टिस ने जो कुछ कहा है इससे यह बात तो साफ हो गई कि अदालत अपना फैसला देने से पहले उन सभी महत्वपूर्ण कागजात जो सबूत के रूप में हैं बड़ी बारीकी से उसका अध्ययन करना चाहती है ताकि कोई पहलू ना रह सके यह एक स्वागत योग्य बात है, मौलाना मदनी ने आख़िर में कहा कि पांच सदस्यीय बेंच के गठन का में स्वागत करता हूँ।
गौरतलब है जमीयत उलमा हिन्द की ओर से आज अदालत में वरिष्ठ एडवोकेट डॉक्टर राजीव धवन , वरिष्ठ एडवोकेट राजूराम चंद्रन, वरिष्ठ एडवोकेट विरन्दगरूर और उनकी सहायता के लिये एडवोकेट ऑनलाइन रिकॉर्ड एजाज मकबूल, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट जॉर्ज, एडवोकेट तान्या श्री, एडवोकेट आकृति चौबे , एडवोकेट कुर्रतुलएन, एडवोकेट वासिफ़ रहमान, एडवोकेट मुजाहिद अहमद, एडवोकेट ज़ेन मकबूल, एडवोकेट ऐवानी मकबूल, एडवोकेट कंवर आदित्य, एडवोकेट हमसीनिय शंकर, एडवोकेट परियानशिय जायसवाल व अन्य मौजूद थे।