बिहार पर पिछले लंबे समय से बीमारू राज्य होने का आरोप लगता रहा है. भाजपा ने सत्ता में आने के बाद एक बड़े पैकेज का वादा भी किया था लेकिन अभी तक सब कुछ हवा-हवाई है. बिहार में विकास को भी ढूंढा जा रहा है लेकिन अभी तक लोगों ने विकास को देखा नहीं है. इस बीच बिहार में शिक्षा दर को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार में 31 पर्सेंट लोग और 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में 24.61 परसेंट लोग 30 साल से कम आयु के थे.
आंकड़े बताते हैं कि बिहार में उच्च शिक्षा को सिरे से नजरअंदाज किया गया है, जो अब तक जारी है और स्तिथि पिछले 10 साल में और भी डरावनी हुयी है. ऑल इंडिया हायर एजुकेशन सर्वे All India Higher Education Survey (AISHE), की रिपोर्ट जो 2019 में जारी की गई थी उसके अनुसार बिहार में उच्च शिक्षा का दर चौंकाने वाला. ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (GER) के अनुसार बिहार में यह दर 13.6 परसेंट है जो देश में सबसे कम है.
ज्ञात रहे कि All India Higher Education Survey (AISHE), एकमात्र ऐसी संस्था देश में है जो देश में उच्च शिक्षा के अस्तर को लेकर सर्वे करती है. सर्वे के अनुसार 18 से 23 साल की आयु के 100 बच्चों में से मात्र 13 बच्चे बिहार में उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ते हैं और यह राष्ट्रीय स्तर पर 26.3 परसेंट के दर से काफी कम है, जबकि बिहार से ही अलग हुये झारखंड की स्थिति कुछ बेहतर है और राज्य में यह आंकड़ा 19% है. साथ ही महिलाओं को लेकर किया गया सर्वे और भी चौंकाने वाला है.
महिलाओं का enrollment 12 परसेंट है जबकि पुरुषों का रेशियो 15 परसेंट है. बिहार में महिलाओं के बीच उच्च शिक्षा की खराब पहुंचे इसके लिंग समानता सूचकांक में भी परिलक्षित होती है जो देश में सबसे कम 0.79 है. आंकड़ों के अनुसार लगभग उच्च शिक्षा में नामांकित 16 लाख छात्रों में से 6 पॉइंट 8 लाख महिलाएं और 9 पॉइंट 2 लाख पुरुष हैं. कम शिक्षा का कारण बिहार में शिक्षण संस्थानों का ना होना भी है.
इसके अलावा निजी शिक्षा क्षेत्र में भी बिहार में कोई कमाल नहीं हुआ है, क्योंकि प्राइवेट शिक्षण संस्थान GER को बेहतर बनाते हैं. बिहार जहां 33 यूनिवर्सिटियां हैं, वहां एक भी प्राइवेट स्टेट यूनिवर्सिटी या प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटी नहीं है. चौंकाने वाली बात यह है कि पर कॉलेज बिहार में मात्र 1600 स्टूडेंट का इनरोलमेंट किया जाता है, जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में यह आंकड़ा 1875 है.
चौंकाने वाली बात यह है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्र और अध्यापक का रेशियो 61 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26 है. All India Higher Education Survey (AISHE), के आंकड़ों के अनुसार यह एक ऐसा पैरामीटर है जिसके अनुसार पिछले 8 वर्षों में राज्य की स्थिति काफी दयनीय रही है. यह आंकड़े 2012 13 में 61 की जगह 53 थे.
अब ऐसे में बिहार में सुशासन और विकास को आप ढूंढते रहिए और देखिए कि बिहार में क्या कुछ हो रहा है. क्या इसीलिए सरकारें उच्च शिक्षा का बंदोबस्त नहीं करती हैं ताकि लोग पढ़ लिख कर के लोग सवाल ना करें. यह आपको सोचना है, क्योंकि आने वाले दिनों में जब दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI और टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ेगी और आपके पास शिक्षा नहीं होगी तो आप क्या करेंगे?
एक बार दिल पर हाथ रख कर सोचिएगा कि आप अपने बच्चों के भविष्य को किस ओर ले जाना चाहते हैं? याद रखिए हिंदू मुस्लिम को आपस में लड़ाने की राजनीतिक दलों की कहानी बहुत देर तक नहीं चल सकती. क्योंकि एक दिन जब आपकी आंख खुलेगी उस वक्त बहुत देर हो चुकी होगी और फिर ऐसा ना हो कि आपके लिए आगे बढ़ना असंभव हो जाए और आपके सामने पछताने के सिवा कुछ ना हो, उस वक़्त आप अपने बच्चों को क्या जवाब देंगे.
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