नयी दिल्ली, 6 जून: देश में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने और गैर मुस्लिमों को अपनी तहजीब से रू-ब-रू कराने के इरादे से लेखिका नाजिया इरम द्वारा शुरू की गई ‘इंटर फेथ’ इफ्तार की अनोखी पहल परवान चढ़ने लगी है और इस बार कई मुस्लिम पेशेवर महिलाएं भी इसका हिस्सा बन गई हैं।
नाजिया ने पिछले साल एक फेसबुकर पोस्ट के जरिए अपनी इस अनोखी मुहिम की शुरूआत की थी। इस पहल में उनके अलावा अलावा पत्रकार सादिया अलीम, इतिहासकार राना सफवी, पायलट हाना मोहसीन खान, पत्रकार मारया फातिमा, दास्तानगो मीरा रिजवी, ब्लॉगर रूखसार सलीम, सुबल खान, साराह रहमान और बाइकर फिरदोस शेख शामिल हुईं।
इन महिलाओं का मानना है कि इंटरफेथ इफ्तार से दोनों समुदायों के बीच की दूरियां और गलतफहमियां कम होंगी और दोनों एक दूसरे की संस्कृति से रू-ब-रू होंगे।
नाजिया ने मीडिया से कहा, ‘‘हम सबके गैर मुस्लिम दोस्त होते हैं, लेकिन वह इफ्तार के लिए कभी हमारे घरों में नहीं आते हैं, क्योंकि मुसलमानों के बारे में काफी गलत धारणाएं फैली हुई हैं। इस तरह के इफ्तार का आयोजन करके हम उनकी गलतफहमियों को दूर कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम बच्चों को प्यार और भाइचारे से सबके साथ मिल जुलकर रहना सिखाएंगे तो कल वह एक बेहतर समाज का निर्माण करेंगे।’’
उनका कहना है कि इस पूरी पहल को फेसबुक और सोशल मीडिया के जरिए अमली जामा पहनाया गया। इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ नफरत ही नहीं बल्कि मोहब्बत का पैगाम देने के लिए भी किया जा सकता है।
पेशे से मीडिया कर्मी और हैपीनेंस ट्रस्ट की संचालक सादिया अलीम ने कहा, ‘‘रमजान बरकत का महीना है। हम अल्लाह से जुड़कर अपने अंदर की बुराई को खत्म करके बेहतर इंसान बनने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी इस पहल का मकसद भारत की गंगा जमुना तहजीब के रंगों और महक को कायम रखना है।
पहली बार किसी मुस्लिम के घर इफ्तार में आई गृहिणी अनंदिता ने कहा, ‘‘ हमारे देश में अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। हम एक दस्तरखां पर बैठकर अपने दिलों की दूरियों को दूर कर सकते हैं और एक दूसरे के बारे में जान सकते हैं।’’
निजी कंपनी में काम करने वाले दिनेश लाल ने कहा कि अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ बैठकर इफ्तार करके आप उनके बारे में बेहतर तरीके से जान सकते हैं। यहां आकर हम अपने कई सवालों के जवाब हासिल कर सकते हैं।
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