नयी दिल्ली: कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के फिर से कांग्रेस के साथ आने की अटकलों खारिज करते हुए कहा है कि 'जोगी के लिए पार्टी के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं।'
मायावती के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के दौरान एक समय उनके भरोसेमंद अधिकारी रहे पुनिया ने यह भी दावा किया कि ' जोगी और बसपा के बीच कोई गठबंधन नहीं हो रहा है , बल्कि यह अफवाह फैलाई गई है क्योंकि जोगी एवं भाजपा अफवाह फैलाने के मास्टर हैं।'' पुनिया ने 'भाषा' के साथ बातचीत में कहा, ''झीरम घाटी नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ का हमारा शीर्ष नेतृत्व चला गया। इस मामले जोगी पर अंगुली उठी और यह बात सार्वजिनक पटल पर है। इसलिए उनको माफ नहीं किया जा सकता। उनके लिए कांग्रेस के सभी दरवाजे बंद हो चुके हैं।''
पुनिया का यह बयान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हाल के समय में सियासी गलियारों और मीडिया के एक हिस्से में यह चर्चा रही है कि चुनाव से पहले कांग्रेस जोगी को साथ ले सकती है ताकि इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा नहीं हो।
कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी ने बसपा के साथ गठबंधन की पैरवी करते हुए कहा है कि मायावती की पार्टी के साथ आने से राज्य में कांग्रेस की स्थिति और मजबूत हो जाएगी तथा तालमेल के लिए 'उचित स्तर' पर बातचीत जरूर होगी। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से जुड़े वरिष्ठ नेताओं की बैठक की थी जिसमें इन तीनों राज्यों में बसपा के साथ तालमेल की बात उठी थी।
पुनिया ने कहा, ''कांग्रेस अध्यक्ष ने कुछ दिनों पहले कहा था कि भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा रोकना होगा और इसके लिये समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाना होगा। बसपा समान विचारधारा वाली पार्टी है। अगर वह साथ आती है तो हम निश्चित तौर पर और मजबूत होंगे।'' उन्होंने कहा, ''छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में बसपा का असर है। वह जीत नहीं सकती लेकिन हार-जीत को प्रभावित कर सकती है।''
यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा नेतृत्व के साथ कोई बातचीत हो रही है तो उन्होंने कहा, ''अभी बातचीत नहीं हुई है, लेकिन आगे जरूर होगी और उचित स्तर पर होगी।''
गौरतलब है कि कांग्रेस जोगी की पार्टी 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' के नुकसान पहुंचाने की आशंका और राज्य में 12 फीसदी दलित मतदाताओं की बात को ध्यान में रखकर बसपा से गठबंधन की कोशिश में है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उसे 4.3 फीसदी मत और एक सीट हासिल हुई थी।
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