हलाल चौपाया जानवरों की कुर्बानी देना इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। और अल्लाह के महबूब मुहम्मद स अ व की सुन्नत ए मुअक्दा । लेकिन क्या आपने कभी यह सोचने की कोशिश की है कि एक जानवर की बलि से अल्लाह को क्या हासिल होता होगा ?
क्या अल्लाह आपके एक जानवर की कुर्बानी का मोहतात है? अल्लाह ने कुरान में अपने तमाम बंदों से कह दिया है कि हम तुम्हें आजमाएंगे ( 29:3 , 47:31) जैसे पहले भी लोगों को आजमाया है। और जब अल्लाह ने अपने पैगम्बर इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आजमाने के लिए बेटे की कुर्बानी मांगी तो वह बिना किसी किंतु परंतु के अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए।
और इस तरह पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम अल्लाह की आजमाईश में पास हुए। अल्लाह ने उनके बेटे की कुर्बानी नहीं लिया,सिर्फ़ आजमाया । अल्लाह तो बस यह देखना चाहता था कि क्या इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने अल्लाह के लिए सबसे कीमती चीज़ कुर्बान कर सकता है या नहीं। और यही जज्बा एहसास कराने के लिए इस सुन्नत ए इब्राहिमी का आगाज़ हुआ। जिसकी हमारे नबी मूहम्मद स अ व ने भी पाबंदी की।
अब जरा सोचिए एक जानवर की कुर्बानी देने के बाद क्या हमारे अंदर अल्लाह की राह में कीमती चीजों की कुर्बानी देने का जज्बा पैदा हो जाता है? किसी भी व्यक्ति के लिए आज सबसे कीमती चीज़ औलाद और दौलत है। औलाद के लिए तो अल्लाह ने तभी मना कर दिया। अब रही बात दौलत की , तो दिल पर हाथ रख कर कभी सोचिएगा कि अल्लाह की राह में एक जानवर की कुर्बानी करके कुर्बानी वाली प्रैक्टिस जो हम आप करते हैं क्या हम आप वाकई दौलत की भी कुर्बानी अल्लाह की राह में दे रहे हैं?
क्या यह सच नहीं है कि जानवरों की कुर्बानी हम गोश्त खाने के लिए दे रहे हैं? अगर कुर्बानी का गोश्त खाने का हुक्म न होता तो क्या हम आप जानवरों की भी कुर्बानी दे रहे होते ?
अगर यह आंकलन ग़लत है तो फिर हम आप हर साल जानवरों की कुर्बानी देने के बाद अल्लाह की राह में सबसे कीमती चीज़ यानी दौलत की भी कुर्बानी दे रहे होते। हम आप फिर दौलत को गिन गिन कर दांतों से पकङ कर रख नहीं रख रहे होते।
खिलाड़ी मैदान में प्रैक्टिस करता है ताकि वह मैच में अच्छा परफॉर्मेंस दे सके । लेकिन क्या हमारा प्रैक्टिस और परफॉर्मेंस मेल खाता है? अल्लाह कुरान में फरमाता है कि तुम रोजे रखो ताकि तुम परहेजगार बन सको। यानी अल्लाह आपको परहेजगार बनाने के लिए एक महीने की प्रैक्टिस करवाता है। लेकिन रमज़ान के बाद हमारा परफॉर्मेंस कैसा है, हम आप बखुबी समझते हैं। अल्लाह कुरान में फरमाता है कि न तुम्हारा गोश्त पहुंचता है और न ही खुन , लेकिन तुम्हारी नियत , तुम्हारा तकवा पहुंचता है।
यानी एक जानवर की कुर्बानी लेकर अल्लाह आपको तकवा वाला बनाना चाहता है। लेकिन क्या हमारा परफॉर्मेंस भी वैसा ही है ? अच्छे से समझ लीजिए, अल्लाह हमसे जानवरों की कुर्बानी तो प्रैक्टिस के लिए करवाता है, असल मकसद आपके अंदर अल्लाह की राह में सबसे कीमती चीज़ खर्च करने का जज्बा पैदा करना है।
और यदि हमारे अंदर यह जज्बा पैदा नहीं होता है तो फिर हम आप कुर्बानी सिर्फ़ और सिर्फ़ गोश्त खाने और समाजिक दबाव में दे रहे हैं। ईद उल अजहा आप तमाम लोगों को मुबारक हो । अल्लाह हम आप को हर बला व आफत से महफ़ूज रखे । आमीन ।
#Eid_ul_Azha
Qamar Kranti
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