दिल्ली में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक में फिर से इस बात को दोहराया गया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद है और वह मुसलमानों की नज़र में हमेशा मस्जिद रहेगी। दारुल क़ज़ा को लेकर आ रही खबरों पर भी बोर्ड ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी और कहा कि बोर्ड देश में कोई समानांतर अदालत नहीं खोलने जा रहा, बल्कि दारुल क़ज़ा मुल्कभर में पहले से ही चल रहे है। बोर्ड की मीटिंग में बोर्ड के महासचिव वली रहमानी, सचिव जफरयाब जिलानी, कमाल फ़ारूक़ी समेत कई लोग मौजूद रहे।
बोर्ड बीजेपी-आरएसएस का एजेंट नहीं- जफरयाब जिलानी
तीन तलाक़, निकाह हलाला जैसे मुद्दों पर घिरे पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मामले पर भी सफाई पेश की। जफरयाब जिलानी ने कहा कि बोर्ड को बदनाम करने के किए ऐसे बेतुके शगूफे छोड़े जाते है। बोर्ड अपनी जिम्मेदारी समझते हुए काम कर रहा और करता रहेगा।
मुस्लिम औरतों के लिए बयान नहीं काम करने की जरूरत- बोर्ड
तीन तलाक़ मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पीएम मोदी को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि मुस्लिम महिलाओं को लेकर अगर वाक़ई पीएम फ़िक्रमंद है तो उन्हें राज्यों के वक़्फ़ बोर्डो को मद्दद देनी चाहिए ताकि यहाँ से मुस्लिम औरतों को पेंशन मिल सके। बैठक के दौरान तीन तलाक़ बिल की मुखलाफ़त की गई और तलाक़ बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाली मुस्लिम औरतों का हवाला दिया गया।
मिल्कियत की बुनियाद पर आए अयोध्या का फैसला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा यह मामला मिल्कियत का मामला है और इसी की बुनियाद पर फैसला आना चाहिए। बोर्ड ने अपनी मीटिंग में एलान किया कि वह अयोध्या मामले में कानूनी लड़ाई और मजबूती से लड़ेगा। 2019स के पहले राम मंदिर निर्माण मामले में बोर्ड की तरफ से कहा गया कि मामला कोर्ट में है, जो फैसला वहाँ से आएगा वह सबकों मंजूर होना चाहिए।
दारुल क़ज़ा की इज़ाज़त सुप्रीम कोर्ट देता है
बोर्ड की बैठक में सामने आया कि देश के 3 शहरों में हाल ही में दारुल क़ज़ा कायम किए गए हैं, जिसमें कन्नौज भी शामिल है। इसके अलावा देश भर के करीब 10 शहरों से दारुल क़ज़ा खोलने के प्रस्ताव आए हैं, जिन को मंज़ूरी दे दी गयी हैं, और उस में से 6 जल्द ही बनाये जायेंगे। दारुल क़ज़ा को लेकर चल रहे विवाद पर बोर्ड की तरफ से कहा गया कि देश में मुकदमों का वजन कम करने के लिए दारुल क़ज़ा जरूरी है, यह कोई समानांतर कोर्ट नहीं बल्कि कुरान और हदीस की रोशनी में मुसलमानों के आपसी मामलों को निपटाने का यह मंच है। हालांकि भारत मे दारुल क़ज़ा की कोई कानूनी हैसियत नहीं है।
समलैंगिकता जुर्म है- बोर्ड
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी बैठक में समलैंगिकता के खिलाफ प्रस्ताव पास करते हुए इसे जुर्म करार दिया। बोर्ड की तरफ से कहा गया कि सरकार को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे समलैंगिकता को बढ़ावा मिले।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जदीद पर बोर्ड का मत
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नाम से खुलने वाले संग़ठनो को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जफरयाब जिलानी ने कहा कि सबकों अपने अपने तरीके से काम करने का हक़ हासिल है, लेकिन वह कोई इस सिलसिले में व्यक्तिगत अटैक नहीं करेंगे। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड "जदीद" ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधा था, जिसपर आज पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वह बरेली का बोर्ड कई साल से चल रहा है।
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