ये कहानी है दुनिया की सबसे बड़ी सिंचाई पंपिंग स्टेशन की, जो जमीन की सतह से काफी गहराई में अवस्थित है। करीमनगर के लक्ष्मीपुर गांव में जमीन के नीचे 330 मीटर गहराई में स्थित इस पंपिंग स्टेशन की हम यहां चर्चा कर रहे हैं, जो न सिर्फ इंजीनियरिंग चमत्कार है बल्कि आस पास के जिलों और गांवों के सैंकड़ों किसानों के लिए संजीवनी है.
Kaleshwaram lift project will launch new revolution of irrigation in Telangana
आम तौर पर लिफ्ट इरिगेशन परियोजनाओं के लिए पंप हाउस नदियों के किनारे या ऊंचाई पर बनाया जाता है। वहीं, कालेश्वरम लिफ्ट सिचांई परियोजना अपने आप में एक इतिहास लिखने जा रहा है. एक किलोमीटर के तिहाई हिस्से में जमीन के नीचे स्थित है. इस तरह की बड़ी संरचना इतनी गहराई में संचालित करना वैश्विक स्तर पर पहला है. इस पंप हाउस का निर्माण 3 टीएमसी पानी प्रति दिन खींचने की क्षमता रखता है.
रामादुर्गा पंपिंग स्टेशन कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन स्कीम (KLIS) के चार स्टेजेज में एक है। ये विश्व में सबसे बड़ी परियोजना है. इसके तहत कुल सात पंप होंगे जिसकी हरेक की क्षमता 139 MW होगी। अकेली इलेक्ट्रिक पंप की पानी छोड़ने की क्षमता इतनी अधिक होगी कि कुछ ही दिनों में हैदराबाद स्थित हुसैनसागर को पानी से लबालब कर देगा. जबकि अगर सातों पंप को एक साथ चालू कर दिया जाय तो इससे 21,000 क्यूसेक पानी का बहाव होगा.
'कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना' को मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) बीएचईएल के साथ मिलकर तैयार कर रही है. तेलंगाना की केसीआर सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में राज्य के 13 जिलों में 18 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाना है. इसके अलावा हैदराबाद और सिकंदराबाद में पीने का पानी और कई जिलों में फैक्ट्रियों को भी इसके जरिए पानी सप्लाई किया जाएगा.
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक बी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि कालेश्वरम परियोजना के तहत निर्माणाधीन पैकेज आठ का विस्तार आपको चौंका देगा. ये वास्तव में जमीन के भीतर कई मंजिलों वाले शॉपिंग मॉल की परिकल्पना का साकार रूप है। जमीन के भतर 330 मीटर की गहराई में इस संचरना का निर्माण कराया जा रहा है।
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक बी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि इसके लिए 110 मीटर का बड़ा पिट खोदा जा रहा है, जिसके जरिए पंप हाउस और सर्ज पुल के पानी का संग्रहण किया जाएगा. पंप और मोटर लगाया जा रहा है ताकि पानी को जमीन के भीतर से खींचा जा सके. पैकेज आठ के इस निर्माण की प्रक्रिया काफी अहम है जो KLIS के जरिए पूरा किया जा रहा हैय वैज्ञानिक और तकनीकी तौर पर ये अभियंत्रण आश्चर्य है जिसमें मानव निर्मित भूतल पंपिंग स्टेशन का निर्माण कराया जा रहा है। इस काम में 330 मीटर गहराई में 21.6 लाख क्यूबिक मीटर के दायरे में जमीन की खुदाई कराई जा रही है। काम में कुल 4.75 लाख क्यूबिक मीटर को कंक्रीट कार्यों से ढका जाएगा। इस तरह की इंजीनियरिंग संरचना पूरे विश्व में कम ही देखनों को मिलती है। पंपिंग स्टेशन का हरेक पंप 89.14 Cumecs पानी खींचने की क्षमता रखता है। कुल सातों पंप मिलकर 624 Cumecs पानी खींच सकता है।
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक बी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि पंप हाउस के प्रति फ्लोर के लिए 87,995 स्क्वैयर फीट कंक्रीट का काम पूरा करना है। हरेक फ्लोर पर पांच इकाइयां होंगी। जिसके फेज वन में 57,049 स्क्वैयर फिट में निर्माण कार्य कराया जा रहा है। हरेक फ्लोर पर दो यूनिटों का निर्मा फेज 2 में कराया जाएगा जिसके लिए 30,946 स्क्वैयर फिट के दायरे में काम कराया जाएगा। इस चार तल्ले पंप हाउस में ट्रांस्फॉर्मर बे, नियंत्रण कक्ष, बैटरी रूम, एलटी पैनेल्स, पंप फ्लोर और कॉम्प्रेसर की व्यवस्था होगी।
BHEL के सक्रिय सहयोग से MEIL ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। काम का करीब 40 फीसदी हिस्सा BHEL द्वारा कार्यांवित किया जा रहा है जिसके तहत मोटर, पंप और मेकैनिकल इक्विपमेंट्स और अन्य सामग्रियों को भेल मुहैया करा रहा है। MEIL के 25 सालों के इलेक्ट्रो मेकैनिकल कार्य के अनुभव से इस कार्य को दक्षतापूर्वक कार्यान्वित कराया जा रहा है। पंप हाउस का अहम हिस्सा है पंप को लगाना, टनेल्स का निर्माण, सर्ज पूल और टनेल खोदना। ये पूरा काम बेहद सावधानी और दक्षता के साथ अंजाम दिया जा रहा है। 330 मीटर की गहराईई, 25 मीटर की चौड़ाई और 65 मीटर की ऊंचाई में संरचना का निर्माण चल रहा है जिसमें कई सर्ज पूल समाहित होंगे।
सिंचाई स्कीम के इतिहास में पूरी दुनिया में इस पंप हाउस को सुपर स्ट्रक्चर की मान्यता प्राप्त है। पंप हाउस का सर्विस बे 221 मीटर भूतल में स्थित है। जबकि पंप बे 190.5 मीटर की गहराई में स्थित है। नियंत्रण कक्ष 209 मीटर की गहराई में स्थित है। कुल सात पंप और मोटर पैकेज आठ के तहत निर्माण कराए जाने हैं। इसके अलावा पांच इकाइयों को निर्माण फेज वन के तहत, फेज दो के तहत दो इकाइयों का निर्माण कराया जाएगा। कुल पांच में चार इकाइयों में काम शुरू है और शुरुआती ट्रायल रन की स्थिति पर यहां काम चल रहा है। फेज वन के तहत 1 और 2 इकाइयों पर जोर शोर से काम चल रहा है। जबकि इकाई तीन का काम भी संचालित किया जा रहा है।
पंप और मोटर को संचालित करने के लिए ड्राफ्ट ट्यूब्स को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया करनी होती है। जिसके जरिए पानी का संवहन होता है। कुल सात ड्राफ्ट ट्यूब में पहले की एसेंब्लिंग का काम पूरा हो चुका है। जिसके गेट के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। 2 और 3 ड्राफ्ट ट्यूब्स को जोड़ने के लिए 54 मीटर का सिइड वॉल तैयार कराया जा रहा है। 4 और 5 ड्राफ्ट ट्यूब्स को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जबकि इसके लिए साइड वॉल तैयार कराया जा रहा है। वहीं 6 और 7 ड्राफ्ट ट्यूब्स के स्थापना का काम लगभग पूरा कर लिया गया है।
पंप हाउस के दोनों तरफ दो सुरंग बने होंगे। इसे दायां और बायां टनेल कहा जाता है। हरेक टनेल की ऊंचाई 11 मीटर चौड़ाई 8 मीटर और लंबाई 4,133 मीटर का काम पूरा हो चुका है। जबकि इसकी लाइनिंग का काम चल रहा है। इसमें इलेक्ट्रो मेकैनिकल काम सबसे अहम है। हरेक मोटर में 139 MW बिजली चालन की क्षमता होनी है। इस ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए ट्रांस्फॉर्मर सिस्टम का निर्माण कराया जा रहा है। 160 KVA क्षमता का पंप ट्रॉन्सफॉर्मर जिसके साथ कमप्रेशर भी लगा है पांचवी इकाई के लिए सफतलापूर्वक स्थापित किया जा चुका है।
इस परियोजना में सर्ज पूल बेहद आश्चर्यजन संरचना है। सर्ज पूल में जमा पानी ही पंप में जाता है। ड्राफ्ट ट्यूब के जरिए पानी छोड़ा जाता है जो पंप से ही गुजरता है। लगातार पानी के संवहन को सुनिश्चित करने के लिए बड़े आकार के सर्ज पूल में भारी मात्रा में पानी का स्टोरेज करना जरूरी है। इसके लिए तीन सर्ज पूल का निर्माण कराया गया है। मुख्य सर्ज पूल की संरचना 200x20x67.8 मीटर है। अतिरिक्त सर्ज पूल की संरचना 60x20x69.5 मीटर है। इसी तरह ट्रांस्फॉर्मर बे का निर्माण कराया गया है। जो सर्ज पूल के नीचे स्थित है। हरेक पंप मोटर का वजन करीब 2,376 मिट्रिक टन होगी।
MEIL इस वृहत और जटिल संरचना को मूर्तरूप देने के काम में जुटा हुआ है। इंजीनियरिंग टीम और दक्ष कर्मी इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिन रात एक कर काम कर रहे हैं। ताकि किसानों और बाकी पानी की जरूरतों को सही समय और उचित मात्रा में पूरी की जा सके।
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