देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने एक प्राइवेट टीवी चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकारा है कि सरकार ने पहले ही चेताया था कि कोरोना से निमटने के लिए अगर सोशल वैक्सीन का प्रयोग नहीं किया गया और लोगों ने कोरोना के अनुसार अपना बर्ताव नहीं किया तो त्योहारों के मौसम में कोरोना के मामले में वृद्धि हो सकती है. ज्ञात रहे कि दिवाली के शुभ अवसर पर सरकार की तरफ से की गयी तमाम कोशिशों के बावजूद जिस तरह से बड़े पैमाने पर बाजारों में शॉपिंग देखने को मिली है और उस के बाद जिस तरह से दिल्ली और नॉर्थ इंडिया के शहरों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है वह दुखद है.
इस पूरे मामले में इम्पार (IMPAR) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दीपावली के बाद मामलों में वृद्धि हुयी और उस पर ना ही कोई डिबेट हुयी ना कोई हंगामा और पूरी तरह से खामोशी छाई रही यह अच्छा है. इम्पार ने मीडिया के इस जिम्मेदाराना बर्ताव की प्रशंसा करते हुए कहा है कि अगर मीडिया का यही रवैया कोरोना के शुरूआती दिनों में होता तो देश में इस तरह से नफरत नहीं फैलती जिस तरह की नफरत मीडिया के एक धड़े की चूक के कारण फैली.
इम्पार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे यह बात स्पष्ट शब्दों में समझ में आती है कि पिछले 6 महीने में हमारे उन टीवी चैनलों को कोरोना की संगीनी अच्छी तरह से समझ आयी है जो एक विशेष समुदाय के लोगों को कोरोना फैलाने का शुरूआती दिनों में जिम्मेदार बता रहे थे.
इम्पार ने आगे कहा है कि अच्छी बात यह रही कि मीडिया ने दो समुदायों के बीच पिछले 6 महीने में करोना को लेकर के लड़ाने का कोई काम नहीं किया है और ना ही दो समुदायों के बीच आंख मचोली वाला गेम आयोजित करने की कोशिश की, बल्कि मीडिया ने जिम्मेदारी के साथ अपना काम करने की कोशिश की है जो सराहनीय और प्रशंसनीय है.
इम्पार ने अपने बयान में यह भी कहा है कि जिस तरह से कोरोना जिहाद मामले में मुंबई, चेन्नई व अन्य उच्च न्यायालयों की ओर से मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर के उनको लताड़ लगते हुए कहा गया था कि तब्लीगी जमात वाले एपिसोड में मीडिया ने दुष्ट प्रचार किया और तब्लीग़ी जमात वालों को गलत ढंग से फंसाया गया उस से सीख लेते हुए जिस तरह से मीडिया के रवैया में दीपावली के अवसर पर बदलाव देखने को मिला, वह अत्यंत सराहनीय है कि मीडिया के बदले तेवर की वजह से अदालतों का समय इस बार बर्बाद होने से बच गया है.
इम्पार ने कहा है कि हमें मार्च 2020 के आखरी और अप्रैल 2020 के शुरुआती दिनों को देखने की जरूरत है जब मीडिया के एक धड़े ने एक विशेष समुदाय के लोगों को कोरोना जिहादी और एक विशेष जगह को कोरोना जिहाद का सेंटर बता कर के समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की थी.
इम्पार ने कहा है कि जिस तरह से सेक्युलर अरविंद केजरीवाल तब्लीगी जमात मामले के लोगों के लिए कोरोना का अलग से बुलेटिन जारी करते थे, लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि उन्होंने दीपावली के शुभ अवसर पर ऐसा नहीं किया और अपनी पुरानी चूक से सीख ली जिस के लिए वह बधाई के पात्र हैं.
इम्पार ने कहा है कि कुछ चैनलों की ओर से कोरोना जिहाद जैसी डिबेट कराए जाने से मुसलमानों को काफी तकलीफ पहुंची है और माहौल भी काफी खराब हुआ है और इसकी वजह से समुदायों के बीच तनाव भी पैदा हुआ है और देश में कम्युनल वातावरण को बढ़ावा मिला है. इम्पार ने मीडिया को बधाई देते हुए कहा है कि जिस तरह से दीपावली जैसे त्योहारों में मीडिया ने इस तरह के प्रोग्राम आयोजन ना करके जिम्मेदारी का सबूत दिया है वह काफी सराहनीय है और इम्पार को पूर्ण विश्वास है कि मीडिया का भविष्य में भी यह जिम्मेदाराना रवैया जारी रहेगा, जिससे सभी समुदायों के बीच बेहतर वातावरण बनेगा.
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