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किसान आंदोलन: सरकार की ज़िद यह बताने के लिए काफी है कि यह बिल पूंजीपतियों के लिए है: तारिक़ अनवर ने तर्क संगत तरीके से मोदी सरकार को घेरा

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह सरकार गैर इंसानी हो कर काम कर रही है उससे कई बार यह शंका प्रकट होने लगी है कि सरकार का लोकतंत्र और डेमोक्रेसी में विश्वास है भी कि नहीं. उन्होंने कहा कि लगता है कि इस सरकार को जन शक्ति में विश्वास नहीं है और उसे जनता की ताकत का एहसास नहीं है.

By: वतन समाचार डेस्क
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व लोकसभा सांसद तारिक अनवर

 

  • किसान आंदोलन: सरकार की ज़िद यह बताने के लिए काफी है कि यह बिल पूंजीपतियों के लिए है: तारिक़ अनवर ने तर्क संगत तरीके से मोदी सरकार को घेरा 

 

नयी दिल्ली: अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह सरकार गैर इंसानी हो कर काम कर रही है उससे कई बार यह शंका प्रकट होने लगी है कि सरकार का लोकतंत्र और डेमोक्रेसी में विश्वास है भी कि नहीं. उन्होंने कहा कि लगता है कि इस   सरकार को जन शक्ति में विश्वास नहीं है और उसे जनता की ताकत का एहसास नहीं है.

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि जिस तरह से किसान आंदोलन में महिलाएं और बच्चे शामिल हो रहे हैं यह दर्शाता है कि यह आंदोलन कितना मजबूत और इनकी मांग कितनी जायज है. उन्होंने कहा कि जब सरकार यह कह रही है कि वह किसानों के हित में काम करना चाहती है तो फिर सवाल यह पैदा होता है कि उसने बिल लाने से पहले किसानों से संवाद क्यों नहीं किया? सिर्फ कुछ पूजी पतियों से संवाद करके बिल क्यों लाई? जिससे इस शंका को बल मिलता है कि यह बिल पूरी तरह से पूंजीपतियों के लिए ही है.

 

 

श्री अनवर ने कहा कि अब सरकार के लोग भी इस बात को मान रहे हैं कि इस बिल में कमियां और खामियां हैं. पहले तो यह इस बिल की खूबियां गिना रहे थे, लेकिन अब कमियों और खामियों को मानने के लिए तैयार हो रहे हैं, जो यह बताता है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है. उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा कम हुआ है कि जब सरकार गैर इंसानी तौर पर सोचती हो. उन्होंने पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जिस तरह आप लोगों का कहना है कि सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने की किसानों की मांग को गृह मंत्री अमित शाह ने ठुकरा दी है और कहा है कि इससे 17 लाख करोड़ का बोझ उत्पन्न होगा, यह दर्शाता है कि इस सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है.

 

 

वह एमएसपी पर क्या करना चाहती है? उन्होंने कहा कि यह सरकार MSP को ही खत्म करना चाहती है और धीरे-धीरे इसके परिणाम सामने आने लगे हैं. 17 लाख करोड़ का बोझ होने की दलील यह दर्शाता है कि यह सरकार आने वाले दिनों में एमएसपी खत्म कर देगी. उन्होंने कहा कि पूँजी पतियों के लाखों करोड़ों रुपए माफ किए जा रहे हैं, इस पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन देश का अन्नदाता जो संकट के समय में पॉजिटिव ग्रोथ दे रहा था उसके साथ सौतेला बर्ताव, यह निंदनीय और शर्मनाक है.

 

 

 उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का पद सबसे सर्वश्रेष्ठ पद होता है और उसकी अपनी एक अलग गरिमा होती है, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य आ रहे हैं और उन पर बार-बार झूठ बोलने का आरोप लग रहा है वह बहुत ही दुखद है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बिल को वापस लेकर के नया कानून किसानों से संवाद के बाद लाना चाहिए.

 

 

 उन्होंने कहा कि जिस तरह से चोर दरवाजे से किसानों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश हुई है वह शर्मनाक है. उन्होंने प्रशंसा व्यक्त की कि अभी तक किसान आंदोलन उग्र नहीं हुआ है. उन्होंने कहा जिस तरह से भारत बंद शांतिपूर्ण संपन्न हो गया, यह दर्शाता है कि किसान किस तरह से संगठित हैं और यह उन लोगों पर तमाचा है जो उन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.

 

 

उन्होंने कहा कि किसानों ने अहिंसा उपवास का जो रास्ता अपनाया है वही सब से बेहतर रास्ता है और शांति में जो शक्ति है वह कहीं और नहीं मिलती. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सरकार एक दिन जरूर किसानों के आगे झुकेगी.

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