Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

जानिए महमूद मदनी ने क्यों दिया इस्तीफा

इधर 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि मौलाना के इस्तीफे के बाद उनकी दूसरी प्रतिक्रिया आई, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे को अध्यक्ष कारी सय्यद उस्मान मंसूरपुरी ने नामंजूर किया है और 7 फरवरी को वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई है, तब तक मौलाना महमूद मदनी अपने पद पर बने रहेंगे. अब देखना यह है कि इस मामले में 7 फरवरी के बाद क्या बात सामने आती है

By: वतन समाचार डेस्क
मौलाना महमूद मदनी

नयी दिल्ली, 17 जनवरी: जमीअत उलेमा के महासचिव के पद से मौलाना महमूद मदनी के इस्तीफा देने की खबर मानव जंगल में आग की तरह फैल गई हो. मौलाना के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. कुछ लोगों ने मौलाना के इस्तीफे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मौलाना के बगैर जमीअत उलेमा ए हिंद का कांसेप्ट अधूरा है. कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि जमीअत उलेमा ए हिंद का दूसरा नाम ही मौलाना महमूद मदनी है. कुछ लोगों ने मौलाना महमूद मदनी के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मौलाना का इस्तीफा समझ से बाहर है, क्योंकि जमीअत उलेमा ए हिंद में मौलाना के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है. कुछ लोग मौलाना के इस्तीफे पर खामोश रहने की सलाह दे रहे हैं.

 

 इधर 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि मौलाना के इस्तीफे के बाद उनकी दूसरी प्रतिक्रिया आई, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे को अध्यक्ष कारी सय्यद उस्मान मंसूरपुरी ने नामंजूर किया है और 7 फरवरी को वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई है, तब तक मौलाना महमूद मदनी अपने पद पर बने रहेंगे. अब देखना यह है कि इस मामले में 7 फरवरी के बाद क्या बात सामने आती है, क्योंकि मौलाना का इस्तीफा बहरहाल समझ से बाहर है और यह बात लोगों को हजम नहीं हो पा रही है.

 

 याद रहे कि जमीअत उलेमा ए हिंद दो धड़ों में बट चुकी है. पहले धड़े का नेतृत्व मौलाना सैयद अरशद मदनी कर रहे हैं, जबकि पुराने धड़े का नेतृत्व कारी सय्यद उस्मान मंसूरपुरी कर रहे हैं जिसका अहम चेहरा मौलाना महमूद मदनी है. पिछले कुछ सालों में यह खबरें भी मीडिया में आती रही हैं कि जमीयत के दोनों धड़ों में विलय की संभावना है.

 

 बीते दिनों यह खबर भी आई थी कि महमूद मदनी ग्रुप ने एक प्रस्ताव पारित करके अरशद मदनी ग्रुप को जमीयत के विलय के बारे में भेजा है. हालांकि उसके बाद से इस मामले में कोई और खबर सामने नहीं आ सकी. लोगों का मानना है कि दोनों धड़ों का विलय परिस्थितियों को देखते हुए असंभव लग रहा है, क्योंकि जहां मौलाना सैयद अरशद मदनी का झुकाव कांग्रेस जैसी सियासी संस्थाओं की ओर है, वही मौलाना महमूद मदनी एक लिबरल नेतृत्व के मालिक कह जाते हैं और मौलाना के इस नेतृत्व की काफी प्रशंसा भी होती रही है.

 

 हालांकि मौलाना सैयद अरशद मदनी ने पिछले कुछ सालों में जेलों में बंद मासूम युवाओं की रिहाई के लिए जो काम किया है उसकी देश दुनिया में प्रशंसा हो रही है. ऐसे में कहा यह जा सकता है कि जमीयत उलेमा ए हिंद के दोनों धड़ों की अपनी अपनी अहमियत है और किसी को किसी से काम नहीं आंका जा सकता है.

 

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.