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इम्पार के अध्यक्ष डॉ एम जे खान ने डॉ ज़फरुल इस्लाम खान के मामले में देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को लिखा तथ्यों पर आधारित पत्र

भारत और भारतीय मूल के दुनिया के अलग-अलग कोनों में रहने वाले 1000 से ज़्यादा शिक्षित मुसलमानों पर आधारित इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स के अध्यक्ष डॉक्टर MJ खान ने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को लिखे अपने पत्र में कहा है कि में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खान के विरुद्ध एनआईए (NIA) की कार्रवाइयों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि 72 साल के डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान एक ऐसे भारतीय हैं जो न सिर्फ पत्रकार और राइट हैं बल्कि उन्होंने हमेशा अरब देशों के समक्ष पाकिस्तान को बेनकाब करने और भारत के पक्ष को मजबूती के साथ रखने का काम किया है.

By: वतन समाचार डेस्क

 

  • इम्पार के अध्यक्ष डॉ एम जे खान ने डॉ ज़फरुल इस्लाम खान के मामले में देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को लिखा तथ्यों पर आधारित पत्र   

 

भारत और भारतीय मूल के दुनिया के अलग-अलग कोनों में रहने वाले 1000 से ज़्यादा शिक्षित मुसलमानों पर आधारित इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स के अध्यक्ष डॉक्टर MJ खान ने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को लिखे अपने पत्र में कहा है कि में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खान के विरुद्ध एनआईए (NIA) की कार्रवाइयों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि 72 साल के डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान एक ऐसे भारतीय हैं जो न सिर्फ पत्रकार और राइट हैं बल्कि उन्होंने हमेशा अरब देशों के समक्ष पाकिस्तान को बेनकाब करने और भारत के पक्ष को मजबूती के साथ रखने का काम किया है.

 

डॉक्टर एम जे खान ने श्री अजीत डोवाल को लिखे अपने पत्र में कहा है कि डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान दुनिया की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी अल अजहर से पढ़े हुए हैं और उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी यूके से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है. डॉ एम जे खान ने अपने पत्र में आगे कहा है कि कुवैत की अलमुजतमा मैगजीन में अगस्त 1998 में उन्होंने अपने लेख में जिस तरह से कश्मीर के मुद्दे को लेकर के भारत का पक्ष रखा था और पकिस्तान को बेनक़ाब किया था वह मैगजीन को भी पसंद नहीं आया और उस आर्टिकल का काउंटर करने के लिए एक पाकिस्तानी राइटर से मैगजीन ने एक आर्टिकल लिखवा करके दोनों को साथ छापा, जो बात डॉक्टर खान को पसंद नहीं आई और उन्होंने विरोध दर्ज करते हुए उस मैगजीन में 1998 से ही लिखना बंद कर दिया.

 

 

 डॉक्टर एम जे खान ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि जब मरकज निजामुद्दीन को करोना जिहाद से जोड़ने की कोशिश की गई और मुसलमानों के एक बड़े धड़े को दुश्मन बना कर तथाकथित मीडिया के जरिए पेश करने की कोशिश हुयी उस वक्त डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खान ने एक ट्वीट किया जिसके बाद उनके विरुद्ध शिकायत की गई और बाद में उन्होंने अपने ट्वीट के संदर्भों को देश के सामने रखा और उस पर माफी भी मांगी, लेकिन इसके बाद जिस तरह से एनआईए ने उनके और उनकी संस्था के खिलाफ कार्यवाही शुरू की है उस पर बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं और देश के नामचीन लोगों ने उसपर अपनी चिंता प्रकट की है. 

 

 

इम्पार की ओर से लिखे गए पत्र में आगे कहा गया है कि हम भारत सरकार से इस बात की अपेक्षा करते हैं कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो, ताकि दूध का दूध पानी का पानी सामने आ सके, क्योंकि इतने महान आदमी से इस बात की अपेक्षा कभी नहीं की जा सकती है और वह आदमी जिस ने बीबीसी से लेकर अल जजीरा पर अरब देशों के समक्ष अरबी में भारत का पक्ष कश्मीर से लेकर के  अलग अलग मुद्दों पर रखा हो और भारतीय मुसलमानों के पक्ष को दुनिया के बताया हो उसको ऐसे आरोपों में सम्मिलित करना समझ से परे है.

 

 

इम्पार  की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि डॉक्टर खान ने प्रधानमंत्री मोदी के जम्हूरियत कश्मीरियत और इंसानियत के ही मूल्यों को आगे रखते हुए जब कश्मीर में 2014 में आपदा आयी तो आपदा से पीड़ित लोगों को कंबल दवाएं और कुछ खाने के किट बांटे थे, इसके अलावा डॉ खान का स्पष्ट शब्दों में यह कहना है कि उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया था जिससे भारत के गौरव को ठेस पहुंचे. इम्पार के अध्यक्ष डॉक्टर एम जे खान ने अपने पत्र में आगे कहा है कि डॉ ज़फरुल इस्लाम खान के पिता मौलाना वहीदुद्दीन खान भारत के एक सम्मानित नागरिक हैं जो भारत सरकार की ओर से सम्मानित किए जा चुके हैं और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई उनका काफी सम्मान करते थे.

 

 

इम्पार ने अपने पत्र में आगे कहा है कि बहुत सारे अलग-अलग समुदायों के धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने भी डॉक्टर खान के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की है, ऐसे में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से इस बात की अपेक्षा की जाती है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और डॉक्टर खान को पेश आने वाली दिक़्क़तों से उन्हें बचाने का प्रयास करेंगे.

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