नयी दिल्ली : दिल्ली के आर्चबिशप अनिल क्यूटो की एक हालिया टिप्पणी को लेकर खड़े हुए राजनीतिक बवाल के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सौहार्द और सहिष्णुता भारत के डीएनए में है, लेकिन चर्चों और दलितों पर हो रही घटनाओं को लेकर नक़वी ने कुछ नहीं कहा. आर्कबिशप के बयान की वाइट पोलिश में लगे नक़वी का यह दूसरा बयान है.
नक़वी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को भारत में दुनिया के किसी भी देश की तुलना में ज्यादा संवैधानिक एवं धार्मिक सुरक्षा प्राप्त है, लेकिन रोहित वेमुला से लेकर चर्चों पर हुए हमले पर नक़वी मौन रहे।
ईसाई समुदाय से जुड़े संगठन 'डायोसिस ऑफ डेल्ही-चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद नकवी ने कहा, ''नरेंद्र मोदी की सरकार बिना किसी भेदभाव के "सबका साथ, सबका विकास" और "सम्मान के साथ सशक्तिकरण" के संकल्प को पूरा करने के लिए ईमानदारी के साथ काम कर रही है।
हालाँकि नक़वी का यह क़दम कितना कारगर होगा और आर्चबिशप अनिल क्यूटो के बयान को वह ईसाई समुदाय से जुड़े संगठन 'डायोसिस ऑफ डेल्ही-चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कितना हल्का कर पाएंगे यह तो आने वाला वक़्त बताये गा. लेकिन अहम् सवाल यह है कि कहीं नक़वी अपने इस क़दम से चर्चों में गुट बाज़ी कि कोशिश तो नहीं कर रहे हैं.
नक़वी ने कहा, '' हमारी सरकार सभी संवैधानिक संस्थाओं, लोकतान्त्रिक मूल्यों, धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हमें उन ताकतों से होशियार रहना होगा जो राजनीतिक पूर्वाग्रह एवं निहित स्वार्थ के लिए प्रगति एवं विकास के सकारात्मक माहौल को खराब करना चाहती हैं।
नकवी ने कहा, ''धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सौहार्द, सहिष्णुता" भारत के डीएनए में है और अल्पसंख्यकों को भारत में दुनिया के किसी भी देश की तुलना में ज्यादा संवैधानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक सुरक्षा प्राप्त है।
मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दिल्ली के आर्चबिशप अनिल क्यूटो की एक हालिया टिप्पणी को लेकर राजनीतिक बवाल उठ खड़ा हुआ है।
क्यूटो ने 12 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनावों से कुछ दिनों पहले दिल्ली में अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले सभी चर्चों के पादरियों और धार्मिक संस्थानों को एक पत्र लिखा था तथा 2019 के आम चुनावों के मद्देनजर ''प्रार्थना अभियान चलाने की अपील की। उन्होंने कहा था कि देश में ''अशांत राजनीतिक माहौल ने भारत के संवैधानिक सिद्धांतों और धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के समक्ष खतरा पैदा किया है।
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