नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत से समर्थक गरचे उन्हें हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर पेश करते हों, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर अपनी छवि एक उदारवादी नेता के तौर पर पेश की है. यह सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभालने के बाद कई अवसर पर ऐसी बातें कही हैं जिससे यह साबित होता है कि वह एक उदारवादी नेता हैं. चाहे रमजान और ईद की बधाई का मामला हो या अरब देशों के दौरे का मामला या फिर गौरक्षकों को डांट फटकार लगाने का मामला, लेकिन एक तस्वीर प्रधानमंत्री की ऐसी भी है जिस से शायद ही आप वाक़िफ़ हों.
मधुर संदेश संगम के स्टाल पर मोदी.
केंद्र की सत्ता में आने से ठीक कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री और उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में लगे एक किताब मेले का उद्घाटन किया था. इस किताब मेले में मधुर संदेश संगम की ओर से उसके उपाध्यक्ष नसीम गाजी (जिन्हों ने बचपन में इस्लाम क़बूल किया था) भी मौजूद थे, जिन्हों ने अपना स्टाल लगाया था.
"इस्लाम" नाम देख कर तेज़ी से बढ़े मोदी.
नसीम गाजी ने वतन समाचार से बातचीत ने बताया कि प्रधानमंत्री के उद्घाटन की वजह से उस दिन किताब मेले में उद्घाटन के समय तक आम लोगों के आने पर रोक थी. उन्होंने कहा कि उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किताब मेले में अंदर आये. उन की नजर हमारे स्टॉल पर गई जहां पर यह बोर्ड लगा था कि "इस्लामी किताबों का सेंटर" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेज़ी से हमारे स्टॉल की तरफ बढ़े और मौके को गनीमत जानते हुए हमारे लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुरान शरीफ हदिया किया.
क़ुरआन साथ ले कर गए मोदी.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 7-8 मिनट तक क़ुरआन के पन्नों को पलटते रहे और जाते वक्त वह उसे साथ लेकर गए. उन्होंने कहा कि थोड़ी ही देर के बाद प्रधानमंत्री मोदी के एक एडवाइजर हमसे मिलने आये. उन्होंने हमें अपना कार्ड दिया और कहा कि अगर आप लोगों को किसी तरह की कोई दिक्कत हो तो आप इस संबंध में हमसे बात कर सकते हैं. आप हमारे राज्य में आए हैं. आप हमारे मेहमान हैं. आपको किसी तरह की हम परेशानी नहीं होने देंगे.
न्योता मिलने के बाद फैसला करना मुश्किल था: गाज़ी
नसीम गाज़ी के अनुसार जब उन्हें किताब मेले में आने का न्योता मिला तो पहले वह इफ और बट में थे, लेकिन काफी सोच विचार के बाद उन्होंने यह फैसला किया कि वह मेले में जरूर जाएंगे और गए भी.
स्वच्छता और इस्लाम नाम की किताब पर पीएमओ का जवाब.
नसीम गाज़ी ने बताया कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश की सत्ता संभाली और स्वच्छ भारत मिशन का आगाज किया उस वक्त भी हमने उन्हें हिंदी में कुछ किताबें स्वच्छता और इस्लाम को लेकर भेजीं और कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब आया कि हमें आपकी किताबें मिल गई हैं. किताबें भेजने के लिए बहुत शुक्रिया.
हमेशा पीएमओ ने दिया जवाब
उन्होंने बताया कि जब भी हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को कोई चीज भेजी चाहे वह मोदी हों, या अटल बिहारी वाजपेई हमें जरूर जवाब मिला है. इसके लिए हम आभारी हैं. उन्होंने कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं. बाकी लोगों से हमारी अपील है कि वह अपना काम करें, ताकि इस्लाम का शांति का पैगाम सब को पहुंचे.
सिर्फ किरदार से बने गी बात.
इस्लाम को अगर 1 शब्दों में बयान किया जाए तो वह सिर्फ और सिर्फ किरदार का नाम है, और हमें अपने किरदार और अखलाक से इस्लाम हो जाहिर करना है.
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