नयी दिल्ली: जुमा के खुत्बे में मौलाना अजहर मदनी ने आज कहा कि अल्लाह के रसूल ने गाने और बजाने को हराम करार दिया है. उन्होंने कहा कि जो लोग गाने बजाने को जायज़ समझते हैं या गाने और बजाने के आदी हैं या गाने और बजाने को पसंद करते हैं वह अल्लाह के आजाब का इंतजार करें. उन्होंने कहा कि इस से पहले कि अल्लाह का अज़ाब आए हमें तोबा करना चाहिए और आगे इस तरह के हराम काम ना करने का अल्लाह से वादा करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर हमारी यह हरकत बाकी रही तो याद रखें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस है कि जो लोग गाने और बजाने को पसंद करते हैं या इसकी मदद करते हैं अल्लाह रब्बुल आलमीन उनके चेहरों को बर्बाद कर देगा यानी बदल देगा. उन्होंने कहा कि उन पर अल्लाह रब्बुल आलमीन पत्थरों की बारिश भी कर सकता है और उन्हें जमीन के अंदर जमीन फाड़कर धंसा भी सकता है.
उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल की हदीस है कि अल्लाह ऐसे लोगों के चेहरों को ख़िन्ज़ीर (PIG) और बंदर भी बना देगा. उन्होंने कहा कि इमाम आजम आबू हनीफा के सबसे बड़े विद्यार्थी अबू यूसुफ जो हारून रशीद के जमाने में चीफ जस्टिस थे उनका कहना था कि जिस रास्ते से मैं गुजरता हूं अगर उस रास्ते के किसी घर से गाने और बजाने की आवाज आती है तो मैं बगैर इजाजत के उस घर में घुस जाता हूं और लोगों को गाने और बजाने से सख्ती से रोकता हूं.
अज़हर मदनी ने कहा कि इमामे यूसुफ का कहना यह भी है कि जो लोग गाने और बजाने को जाएज़ समझते हैं बावजूद इसके कि वह जिम्मी हैं यानि टैक्स देते हैं उन पर भी गाने और बजाने कि पाबन्दी लगा दी जाये और उन्होंने अपने जमाने में फतवा दिया था कि हुकूमत को इन पर पाबंदी लगा देनी चाहिए कि वह गाने और बजाने से दूर रहें. उन्होंने कहा कि जो दिल गाने और बजाने का आदी होता हैं और जिस दिल में शिर्क अपनी जगह ले लेता है उस दिल को अल्लाह तौहीद से खली कर देता है.
उन्होंने कहा कि शैतान ने अल्लाह से यह वादा लिया है कि वह हर नुक्कड़ और हर चौराहे पर अपना पहरा बैठाये गा और अल्लाह के बंदों को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने घरों को कुरान और अल्लाह के जिक्र से आबाद करें और गाने और बजाने से तौबा करें.
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