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ग्लोबल पीस सिटीजन अवार्ड मिलने के बाद बोले पठान अगर विनम्रता नहीं आई तो समझ लीजिये...

इस अवसर पर वतन समाचार से बातचीत करते हुए रईस खान पठान ने कहा कि वह सम्मान देने वाली संस्था और मिनिस्टर ऑफ स्टेट स्वतंत्र प्रभार श्री नायक दोनों के आभारी हैं कि उन्हें उनके हाथों सम्मान मिला. उन्होंने कहा कि सम्मान छोटा हो या बड़ा यह जिम्मेदारी को बढ़ा देता है. रईस खान पठान ने कहा कि सम्मान मिलना अच्छी बात है लेकिन सम्मान मिलने के बाद आदमी को अहंकारी नहीं होना चाहिए बल्कि उसके अंदर और विनम्रता आ जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सम्मान से अगर विनम्रता आती है तो समझ लीजिए आदमी अच्छी दिशा में चल रहा है लेकिन अगर अहंकार आता है तो यह भी समझ लीजिए कि आदमी के बर्बाद होने का समय आ गया है.

By: Mohammad Ahmad

नयी दिल्ली: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार के तत्वधान में काम करने वाली संस्था सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल के सदस्य रईस खान पठान को यूनिवर्सल पीस फेडरेशन की ओर से बीते रोज़ ग्लोबल पीस सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान मिनिस्टर ऑफ स्टेट स्वतंत्र प्रभार यशो पद नाईक के हाथों विज्ञान भवन में दिया गया.

 

 इस अवसर पर वतन समाचार से बातचीत करते हुए रईस खान पठान ने कहा कि वह सम्मान देने वाली संस्था और मिनिस्टर ऑफ स्टेट स्वतंत्र प्रभार श्री नायक दोनों के आभारी हैं कि उन्हें उनके हाथों सम्मान मिला. उन्होंने कहा कि सम्मान छोटा हो या बड़ा यह जिम्मेदारी को बढ़ा देता है. रईस खान पठान ने कहा कि सम्मान मिलना अच्छी बात है लेकिन सम्मान मिलने के बाद आदमी को अहंकारी नहीं होना चाहिए बल्कि उसके अंदर और विनम्रता आ जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सम्मान से अगर विनम्रता आती है तो समझ लीजिए आदमी अच्छी दिशा में चल रहा है लेकिन अगर अहंकार आता है तो यह भी समझ लीजिए कि आदमी के बर्बाद होने का समय आ गया है.

 

श्री पठान ने कहा कि हमें अपने पांव जमीन पर रखने चाहिए. रईस खान पठान ने कहा कि हमारी कोशिश यही है कि हम समाज के हर वर्ग की सेवा करें. उन्होंने कहा कि हम हमेशा जमीन से जुड़े रहे और हमें जब भी अवसर मिला हमने हमेशा लोगों को सम्मान देने और दिलाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अगर हमें लोग पहचानते हैं वह सिर्फ और सिर्फ हमारे सेवा भाव की वजह से है. उन्होंने कहा कि हमारे ऑफिस में जब भी कोई कहीं से किसी समाज का आता है हम किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं करते. हम उसे पूरा सम्मान देते हैं और सम्मान के साथ विदा करते हैं.

 

 उन्होंने कहा कि हम हमेशा यह सोचते हैं कि अगर हम किसी के काम आ गए तो समझ लीजिए कि हम सबसे अच्छे हैं क्योंकि मौला अली का कहना है कि अगर आप किसी के काम आ गए या कोई आपकी तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है तो आप अल्लाह का शुक्र अदा कीजिये.

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