वारिस पठान और गोली मारो का नारा देने वालों के कनेक्शन को समझना होगा, मेरे भारत के लोगो
जिस तरह से एक बार फिर वारिस पठान के बयान के जरिए भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच खाई को गहरा करने की कोशिश हो रही है वह इनतिहाई शर्मनाक है. देशवासियों को इस क्रोनोलॉजी को समझना होगा कि पहले दिल्ली इलेक्शन में भाजपा के नेताओं ने नारा दिया देश के गद्दारों को जूते मारो सालों को, उनकी तरफ से कहा गया कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आपके घरों में घुस आएंगे, आपकी बहन बेटियों का रेप करेंगे, हालांकि उन्होंने इस बयान से अपनी बहन बेटियों और अपने घरों को अलग कर लिया. इस क्रोनोलॉजी को देशवासियों को समझने की जरूरत है कि तथाकथित राम भक्त को जामिया मिल्लिया इस्लामिया भेजा गया. उसने खुद को रामभक्त बताते हुए एक छात्र पर गोली चलाई और छात्र जख्मी हो गया.
फिर जब बात इससे भी ना बनी और दंगा नहीं हुआ तो एक व्यक्ति को शाहीन बाग भेजा गया और उसने बैक टू बैक कई फायर किए और हिंदू मुस्लिम दंगा कराने की कोशिश हुई, लेकिन जब बात इससे भी नहीं बनी तो श्रीमति गुंजा आईं फिर हिन्दुत्त्व से जुड़े लोग आए लेकिन दंगा नहीं हुआ और लोगों ने सब्र और हिकमत से काम लिया.
दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद यह बयान दिया कि शाहीन बाग सहयोग नहीं बल्कि प्रयोग है और देश के गृहमंत्री ने कहा कि बटन इतना तेज दबाना कि करंट शाहीबाग तक जाए. जब इन सब से हिंदू मुस्लिम के बीच दूरी बढ़ने के बजाय और नज़दीकी दोनों समुदायों के बीच आयी तो फिर दंगाइयों को यह चीज भी रास नहीं आई और वारिस पठान की शक्ल में एक और अनासिर सामने लाया गया, क्योंकि सामने बिहार का इलेक्शन है. इसलिए देशवासियों को समझने की जरूरत है कि अब देश में डेवलपमेंट पर नहीं बल्कि हिंदू मुस्लिम 100 करोड़ बनाम 15 करोड़ जैसे नारे दिए जाएंगे और समुदायों को आपस में लड़ा कर धर्म के तवे पर राजनीतिक रोटियां सेंक कर नेता सत्ता को हथियाने में कामयाब हो जाएंगे लेकिन जनता को राम रहीम भरोसे छोड़कर मैदान से चले जाएंगे.
हमें यह समझना होगा कि आखिर जिन लोगों ने देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को जैसे नारे लगाए, उन पर देशद्रोह का केस क्यों नहीं दर्ज हुआ? वारिस पठान ने इतना खतरनाक बयान दिया जिससे समुदायों के बीच में दूरी बढ़ सकती है तो वारिस पठान पर अब तक कानून का शिकंजा क्यों नहीं कसा गया? क्यों नहीं उसको सबक सिखाया गया? यह जनता है, यह सब जान रही है. यह सब समझ रही है और जो लोग हिंदू और मुसलमान के बीच में दूरी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं अब उनका चिराग बुझने से पहले भभक रहा है और जल्द हमेशा के लिए बुझ जायेगा. नफरत नफरत है चाहे वह किसी की तरफ से हो. चाहे वह हिंदू की तरफ से हो या मुसलमान की तरफ से. उसको जायज नहीं ठहराया जा सकता. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. भारत में विचारों की आजादी सबको हासिल है, लेकिन ऐसी आजादी नहीं जो किसी मजहब को ठेस पहुंचाती हो. किसी को आघात देती हो.
आप जीने वाली आजादी मांग सकते हैं लेकिन जिन्ना वाली आजादी नहीं मांग सकते. उसी तरह जिस तरह आप संविधान की बात तो कर सकते हैं पर आप मनुवाद की बात नहीं कर सकते. ना ही आप यह कह सकते हैं कि गांधी का सत्याग्रह नाटक था. इसलिए देशवासियों को यह समझना होगा कि नफरत के जो भी सौदागर हैं उनको मुंहतोड़ जवाब देना होगा और न्यायालयों को सोमोटो लेकर उन्हें कानून के शिकंजे तक पहुंचाना होगा. खुशी इस बात की है कि देश के सभी मुसलमानों और सभी हिंदुओं ने वारिस पठान के बयान को कंडम करते हुए उन पर सरकारों से एक्शन लेने की अपील की है. इस तरह के बयान को जायज नहीं ठहराया जा सकता. यह सभी समुदायों की तरफ से अस्पष्ट रुप में कह दिया गया है. अंत में जीत भारत की होगी, लेकिन बिहार इलेक्शन तक आप को होशियार रहना होगा, क्योंकि इलेक्शन का एलान होते ही धर्म खतरे में आ जायेगा. आपने अपने धर्म की रक्षा ज़रूर कीजिये, लेकिन सब को मिलका उन लोगों को सबक़ अपने वोट की ताक़त से सिखाना होगा जो हम को और आप को लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
By Mohd Ahmad
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