नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन करने वाले तारिक अनवर ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. उन्होंने लोकसभा सदस्य पद से भी इस्तीफा दे दिया है. तारिक अनवर ने कहा, शरद पवार का राफेल पर दिया गया बयान मुझे ठीक नहीं लगा. एनसीपी की तरफ से जो सफाई दी गई वो सही नहीं थी. पवार ने जब बयान दिया था तो खुद उनको सफाई देनी चाहिए थी. हालांकि उनकी तरफ से खुद कोई सफाई नहीं आई तो मैंने इस्तीफा दे दिया.
एनसीपी छोड़ने के बाद किस पार्टी में जाएंगे इस सवाल पर तारिक अनवर ने कहा कि ये अभी तय नहीं है. समर्थकों से बात करने के बाद तय करूंगा. इसके बाद बताउंगा.
It is a sad day for us that our senior colleague has decided to quit Lok Sabha&also NCP. It's very surprising because he has based his decision on an interview by Sharad Pawar to news channel wherein facts are very clear on #Rafale :Praful Patel, NCP on Tariq Anwar quitting party pic.twitter.com/k8GKxxPbPE
— ANI (@ANI) September 28, 2018
पटेल ने जताया खेद
तारिक़ अनवर के इस्तीफे पर एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, यह बहुत खेद की बात है कि हमारे एक वरिष्ठ नेता ने लोकसभा और एनसीपी से इस्तीफा देने का फैसला किया. ताज्जुब की बात है कि उन्होंने पवार की ओर से एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू पर यह फैसला किया, जबकि राफेल के बारे में सारे तथ्य लगभग स्पष्ट हैं.
तारिक अनवर का सियासी सफर
सीताराम केसरी के सानिध्य में तारिक अनवर ने राजनीतिक सफर शुरू किया था. 1977 में कटिहार लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन वो जीत नहीं पाए. तीन साल के बाद 1980 में जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1985 में दोबारा जीत हासिल की.
तारिक अनवर राजनीति में तेजी से अपनी जगह बनाते गए. संसद बनते ही यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. 1988 में वे कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. 1989 में वे बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और 1993 में कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.
तारिक अनवर 1996 में वे तीसरी बार संसद चुने गए और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष पीवी नरसिंहा राव के राजनीतिक सचिव बने. इसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष सीताराम केसरी बने तो तारिक अनवर को 1997 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य चुना गया. तारिक अनवर 1998 में वे एक बार फिर लोकसभा चुनाव जीते.
राज्यसभा संसद रहते हुए मनमोहन सिंह सरकार UPA-ii में कृषि और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के राज्यमंत्री बने. इसके बाद 2009 के चुनाव मे वह लोकसभा हार गए, लेकिन बाद में राज्यसभा सदस्य बने. इसके बाद 2014 के लोकसभा में फिर जीतकर संसद पहुंचे.
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