इम्पार ने भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट की अफवाहों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जिस तरह की बातें सोशल मीडिया पर चलाई जा रही है कि "1965 में पाकिस्तान के विरुद्ध जंग में मुस्लिम रेजिमेंट ने लड़ने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे खत्म कर दिया गया" यह निंदनीय है. इम्पार के अध्यक्ष डॉ एम जे खान ने कहा कि जिस तरह से हमारे देश और हमारे सशस्त्र बलों के विरुद्ध कुछ व्यक्तियों और समूहों द्वारा इस तरह का प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है वह देश की एकता पर प्रहार है. इम्पार ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि इस तरह के प्रोपेगेंडा की शुरुआत 2013 में हुई थी. @120croreHindus - ‘World Hindus United’ ट्वीटर हैंडल से 19 मई 2013 को सुबह 9:57 पर ट्वीट करते हुए कहा गया कि 1965 में भारतीय सेना में मुस्लिम रेजीमेंट के नाम की टुकड़ी थी, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने से इंकार कर दिया और उसके बाद उसे खत्म कर दिया गया.
इम्पार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में ट्वीटर लिंक [https://mobile.twitter.com/120crorehindus/status/335975010877464576?lang=en]. को साझा करते हुए कहा गया है कि उपरोक्त ट्वीट से यह स्पष्ट उद्देश्य देना है कि मुसलमानों की भारत के बजाय पाकिस्तान के प्रति निष्ठा है. इम्पार ने कहा है कि मुस्लिम रेजिमेंट वाले ट्वीट को कई बार रिट्वीट व शेयर किया गया. इम्पार ने इस पूरे मामले में कई सोशल मीडिया लिंक भी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दिए हैं. इम्पार ने मुस्लिम रेजीमेंट वाली खबरों को अफवाह और निराधार बताते हुए कहा कि भारतीय सेना में 1965 की जंग में मुस्लिम रेजिमेंट थी ही नहीं और ना ही विभाजन की बाद ऐसा कुछ था. इम्पार ने कहा है कि सेना के कई सीनियर अधिकारियों ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है कि भारतीय सेना में कोई मुस्लिम रेजिमेंट थी.
इम्पार ने लेफ्टिनेंट जनरल एस ए हसनैन के टाइम्स ऑफ इंडिया के 30 नवंबर 2017 के ब्लॉग को कोट करते हुए कहा है कि मुस्लिम रेजिमेंट की बात सही नहीं है. 1965 में या इस से पहले कोई मुस्लिम रेजिमेंट थी ही नहीं. पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ने वाले मुस्लिम फौजियों ने देश के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा और पूर्ण प्रतिबद्धता को साबित किया था. बहु वर्ग रेजीमेंट के साथ मुस्लिम फौजियों ने पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा की और क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र से 1965 की जंग में उनकी सेवाओं के लिए ही दिया गया था. इम्पार ने कहा है कि 1965 ही की जंग में अपनी सेवाओं को देने के लिए मेजर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जकी और मेजर अब्दुल राफे को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया जबकि वह अपने चाचा मेजर जनरल साहिबजादा याकूब द्वारा निर्देशित पाकिस्तानी डिवीजन के खिलाफ लड़ रहे थे लड़े थे.
इम्पार ने कहा है कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने पाकिस्तान आने के जिन्नाह के निमंत्रण को भी ठुकरा दिया था और उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध नौशेरा और झांगड़ में जो किया क्या उसे इतिहास के पन्नों से मिटाया जा सकता है. वह उन अति वरिष्ठ अधिकारियों में से एक थे जो 1948 में शहीद हुए थे और उनको मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि "जय हिंद" का नारा भी ब्रिगेडियर उस्मान ही ने दिया था.
इम्पार ने कहा है कि मुस्लिम रेजीमेंट जिसका वजूद ही नहीं है उसको गढ़ करके अब्दुल हमीद और ब्रिगेडियर उस्मान जैसे उन लाखों मुस्लिम सैनिकों की देश के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धा और निष्ठा पर उंगली उठाना है जो उन्होंने देश की एकता को अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी शहादत दी. इसके साथ ही यह भारत के सैनिकों के मनोबल पर भी हमला है और यह बताने की कोशिश है कि उनकी क्षमता पाकिस्तानियों के विरुद्ध लड़ने की नहीं है.
इम्पार ने कहा है कि इस प्रोपेगेंडा के जरिए से यह भी बताने की जनता को कोशिश हो रही है कि जब मुस्लिम सैनिक देश के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं रखते हैं, तो अन्य मुसलमान भी इसी तरह के हैं. यह समुदायों के बीच अविश्वास और नफरत को बढ़ाने का प्रयास है. इम्पार ने कहा है कि जब बार-बार मुस्लिम रेजिमेंट की मनगढ़ंत खबरों को 2013 से प्रचारित किया जा रहा है और ऐसे प्रोपेगेंडा करने वाले अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होती है तो जनता को इस पर विश्वास होने लगता है कि यह सच ही होगा.
इम्पार ने कहा है कि उसे पूरा विश्वास है ऐसे प्रचार करने वाले अपने उद्देश्य में कभी कामयाब नहीं होंगे. इस पूरे मामले को लेकर इम्पार ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को पत्र लिखकर इस पर संज्ञान लेने और अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की है. इम्पार ने कहा है कि जिस समूह या व्यक्ति ने "मुस्लिम रेजिमेंट" की पोस्ट बनाई और जिन लोगों ने इसे साझा किया है जांच के बाद तत्काल प्रभाव से उनके विरुद्ध नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के अंतर्गत कार्यवाही की जाए. इम्पार ने ऐसे मेनस्ट्रीम मीडिया चैनलों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने इस तरह के प्रोपेगेंडा को अपने यहां जगह दी और देश की सेना के मनोबल से खेलने का प्रयास किया.
इम्पार ने केंद्र सरकार से सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी करने की अपील की है कि देश विरोधी संदेश जिस तरह से परोसे जा रहे हैं उस पर सतर्कता से एक्शन लिया जाये और राष्ट्र की सुरक्षा को इनटेक्ट किया जाये. इंपार ने अपने पत्र में इस बात की भी मांग की है कि सरकार की ओर से एक आधिकारिक बयान जारी कर के यह बताया जाए कि स्वतंत्र भारत में धर्म पर आधारित कोई रेजिमेंट नहीं थी और इसे सभी चैनलों पर प्रसारित किया जाये. इम्पार ने सरकार और राष्ट्र से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हमारे सशस्त्र बलों के मनोबल पर ऊँगली उठाना देश की एकता को खंडित करने जैसा है, इस लिए ऐसे अपराधियों के विरूद्ध कठोर करवाई की जाए.
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