गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 23 राजनीतिक पार्टियों की मीटिंग चार-पांच दिन पहले हुई थी, जिसमें सभी पार्टी के प्रेजिडेंटस शामिल हुए थे। इसमें ये तय हुआ था कि चुनाव आयोग के पास जाएंगे और ईवीएम में जो कमियां हैं, कमजोरियां हैं, वो चुनाव आयोग के सामने लाएंगे। उस मीटिंग में जितने यहाँ लीडर हैं, इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी, एनसीपी के अध्यक्ष श्री शरद पवार भी शामिल हुए थे और बाकी जो तमाम लीडर 23 पार्टियों के नेता जो यहाँ मौजूद हैं, सब शामिल थे।
चुनाव आयोग के साथ हुई मीटिंग में सभी राजनीतिक पार्टियों ने बताया कि पिछले 3-4 साल से अनेक मामले सामने आए हैं कि जब वोटिंग होती है, तो ईवीएम मशीन पर जब बटन दबाते हैं, चाहे हाथ का बटन दबाएं, हाथी का बटन दबाएं, साईकिल का बटन दबाएं या किसी दूसरे चिन्ह का बटन दबाएं तो वोट बीजेपी को जाता है, वो फूल पर लगता है और कई पोलिंग बूथ पर झगड़े हुए, लड़ाई हुई, लेकिन चुनाव आयोग या वहाँ जो भी अधिकारी होता है कमीशन की तरफ से, वो कभी भी राजनैतिक पार्टियों को संतुष्ट नहीं कर पाया, कि ऐसा क्यों होता है?
सारी राजनीतिक पार्टियां चाहती थी कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल चुनाव में दोबारा से शुरु हो जाए, लेकिन 3-4 दिन पहले जो सब नेताओं की मीटिंग हुई, उसमें ये तय हुआ कि कम समय होने की वजह से अभी हम सिफारिश नहीं कर सकते हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव हो, अभी जो ईवीएम सिस्टम है, इसी में कितनी ट्रांसपेरेंसी हो सकती है, वो रिकमेंडेशन की जाए। जो रिकमेंडेशन ऑल पार्टी मीटिंग में हुई थी, वही रिकमेंडेशन लेकर हम 23 पार्टियों के दोनों सदनों के लीडर, लोकसभा और राज्यसभा से, उनके अलावा 2 पार्टियों के अध्यक्ष भी थे, श्री चन्द्रबाबू नायडू जी और श्री उमर अब्दुल्ला साहब भी इस मीटिंग में शामिल हुए।
हमने मांग की है कि चाहे लोकसभा चुनाव हो, या विधानसभा का चुनाव हो तो इसमें 100 प्रतिशत में से 50 प्रतिशत जो वोट है, वो ईवीएम से गिनना चाहिए और 50 प्रतिशत वोट पेपर ट्रेल (VVPAT) से गिनना चाहिए, उसको खत्म नहीं करना चाहिए, उसको रखना चाहिए। तो जब भी कोई चुनाव आएंगे सामने, उसमें 50 प्रतिशत वोट ईवीएम से काउंट किया जाए और 50 प्रतिशत वोट को पेपर ट्रेल से काउंट किया जाए। ताकि बाद में टैली कर सकें कि 50 प्रतिशत तो मशीन से काउंट किए गए उसमें उम्मीदवार आगे या पीछे है और जो 50 प्रतिशत बैलेट पेपर से काउंट किए थे, वो टैली करके साथ-साथ पता चल जाएगा कि मशीन ठीक है या खराब है। यही आज राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग के सामने रखा और चुनाव आयोग ने हमें ये विश्वास दिलाया है कि उन्होंने हमने कोई कमेटी बैठाई है, इसको देखने के लिए, उसकी रिपोर्ट आएगी, चुनाव से पहले उस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जाएगा। हमने कहा कि ऐसी रिपोर्ट चुनाव आयोग के द्वारा डिसाईड होनी चाहिए, खाली टेक्निकल कमेटी की रिकमेंडेशन से नही करना चाहिए, क्योंकि टेक्निकल कमेटी तो कमरे में बैठ कर टेक्निकल चीज जानती है, लेकिन फील्ड में कौन सी मशीन चलती है या नहीं चलती है, किसका वोट किसी और पार्टी को जाता है या नहीं जाता है, ये सिर्फ राजनीतिक पार्टी को ही पता होता है, ये किसी भी टेक्निकल कमेटी को नहीं मालूम हो सकता है, ये फील्ड का काम है, ये कमरे का काम नहीं है।
हम सबको पूरा विश्वास है कि चुनाव आयोग लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाएगा। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमें चुनाव आयोग और लोकतंत्र पर पूरा विश्वास है, परंतु हमारा वोट, जिसको हम चाहते हैं, उसी को चला गया, तब तो ठीक है, पर हम किसी मंशा से जाएं किसी एक पार्टी या व्यक्ति को वोट डालने के लिए और मशीन उसको दूसरे व्यक्ति को या पार्टी दूसरी को दे तो ये डेमोक्रेसी के खिलाफ है, ये लोकतंत्र के खिलाफ है।
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