नयी दिल्ली: कांग्रेस पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा? पार्टी की कमान किसको दी जाएगी? इन तमाम सवालों के बीच कांग्रेस पार्टी के शीर्ष सूत्रों से खबर आ रही है कि अब राहुल गांधी मान गए हैं. जनवरी के आखिर में या फरवरी के शुरुआती दिनों में उनके सर पर एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का ताज रखा जाएगा. सूत्रों ने वतन समाचार को बताया कि राहुल गांधी इस शर्त के साथ अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हुए हैं कि पार्टी में इलेक्शन हो. इलेक्शन की प्रक्रिया को पूरी तरह से साफ और शफ़्फ़ाफ़ रखा जाए.
सभी लोगों को नॉमिनेशन फॉर्म भरने की आजादी मिले और जिसको अध्यक्ष चुना जाए वह पार्टी का नेतृत्व करे. उसमें राहुल गांधी भी पर्चा भर सकते हैं और तमाम लोग, जो चाहें वह पर्चा भर सकते हैं. अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में जब पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होगा तो राहुल गांधी के विरुद्ध कौन पर्चा भरता है? यह बहुत दिलचस्प होगा, क्योंकि इससे पहले सोनिया गांधी के अध्यक्ष चुनाव के दौरान पार्टी के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद ने भी इलेक्शन लड़ा था, हालांकि उन को हार का सामना करना पड़ा था और सोनिया गांधी जीतने में सफल हुई थीं.
ज्ञात रहे कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह एक बार फिर से पार्टी की कमान संभालें, जिस पर राहुल ने कहा कि पार्टी उन्हें, जो भी जिम्मेदारी देगी उसे निभाएंगे। साथ ही, राहुल गांधी ने यह भी कहा कि अध्यक्ष को चुनने का फैसला चुनाव पर छोड़ना चाहिए। सूत्रों ने यह भी बताया कि बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने एकमत से राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की इच्छा जाहिर की। इन नेताओं में कई ऐसे वरिष्ठ नेता भी शामिल थे, जिन्होंने सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पहले पत्र लिखा था।
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं वरिष्ठ नेताओं को महत्व देता हूं। इनमें से बहुत सारे लोगों ने मेरे पिता के साथ काम किया है।’’ अध्यक्ष बनने के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह पर उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाने के लिए तैयार हूं।’’ सूत्रों के मुताबिक, जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार करने की बात करने के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अध्यक्ष के बारे फैसला चुनाव पर छोड़ना चाहिए।
बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि सभी नेताओं को साथ मिलकर चलने और संगठन को मजबूत बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में संगठन, विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा। बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बैठक में सकारात्मक चर्चा हुई।
सोनिया गांधी ने कहा कि हम बड़ा परिवार हैं और पार्टी को मजबूत करना है। यही बात राहुल गांधी ने कही।’’ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया, ‘‘आज यह पहली बैठक थी। आगे ऐसी बैठकें और होंगी। शिमला और पंचमढ़ी की तर्ज पर चिंतन शिविर भी होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे वातावरण में चर्चा हुई। पार्टी को मजबूत करने के लिए जो भी मुद्दे उठाए गए थे, उनका संज्ञान लिया जाएगा। आगे कुछ लोग बैठेंगे और उनकी बात भी सुनी जाएगी।’’
राहुल गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ए के एंटनी, अंबिका सोनी, अशोक गहलोत, पी चिदंबरम, कमलनाथ और हरीश रावत की मौजूदगी में पत्र लिखने वाले नेताओं की सोनिया से मुलाकात हुई। सोनिया के आवास 10 जनपथ पर हुई इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर और कई अन्य नेता शामिल हुए। ये नेता पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यममंत्री कमलनाथ की अहम भूमिका थी।
कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले भी सोनिया से मुलाकात की थी। इस बैठक से एक दिन पहले शुक्रवार को पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के 99.99 फीसदी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की भावना है कि राहुल गांधी एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करें। उल्लेखनीय है कि गत अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी का सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी।
इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया। कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ प्रदेशों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी, आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी और इसमें व्यापक बदलाव की मांग की थी। जिसके बाद वे फिर से कांग्रेस के कई नेताओं के निशाने पर आ गए थे, लेकिन आज की चर्चा कांग्रेस के लिए काफी अहम मानी जा रही है।
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