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शिवसेना भड़की पूछा जब दिल्ली जल रही थी तो गृहमंत्री कहां थे?

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि जब दिल्ली जल रही थी तो देश के गृहमंत्री अमित शाह कहां थे? ज्ञात रहे कि दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी देश के गृहमंत्री अमित शाह की है, क्योंकि दिल्ली पुलिस सीधे-सीधे देश के गृहमंत्री अमित शाह के अधीन आती है. ऐसे में शिवसेना का सामना के जरिए से यह सवाल काफी गंभीर है. गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा में मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ती रही है.

By: वतन समाचार डेस्क
  • शिवसेना भड़की पूछा जब दिल्ली जल रही थी तो गृहमंत्री कहां थे?

नई दिल्ली: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि जब दिल्ली जल रही थी तो देश के गृहमंत्री अमित शाह कहां थे? ज्ञात रहे कि दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी देश के गृहमंत्री अमित शाह की है, क्योंकि दिल्ली पुलिस सीधे-सीधे देश के गृहमंत्री अमित शाह के अधीन आती है. ऐसे में शिवसेना का सामना के जरिए से यह सवाल काफी गंभीर है. गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा में मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ती रही है.

 

 

अब तक 39 लोगों की जान जा चुकी है और 200 से ज़्यादा घायल हैं. हालात पहले से ज़रूर बेहतर हैं लेकिन तनाव अभी भी बन हुआ है. क्राइम ब्रांच की दो टीमें मिलकर हिंसा की जांच करेगी. एक टीम का ज़िम्मा डीसीपी जॉय तिर्की, तो दूसरी का ज़िम्मा डीसीपी राजेश देव को दिया गया है.  अब तक 48 FIR दर्ज हुई हैं, एक हज़ार CCTV फुटेज की जांच हो रही है.  पुलिस ने अब तक 514 संदिग्धों से पूछताछ की है.  

 

 

वहीं गृह मंत्रालय ने आज दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में धारा 144 में 10 घंटे की छूट देने की बात की है. गृहमंत्री अमित शाह ने लोगों से शांति की अपील की है और कहा है कि वो अफ़वाहों पर भरोसा न करें.

दिल्ली में हिंसा को लेकर शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में आगे कहा है कि जब दिल्ली जल रही थी गृह मंत्री कहां थे? दंगों के वक़्त आधा मंत्रिमंडल अहमदाबाद में था. राष्ट्रपति ट्रंप को नमस्ते, नमस्ते साहेब कर रहे थे. 3 दिन बाद पीएम मोदी ने शांति रखने का आह्वान किया. 4 दिन बाद NSA अजीत डोभाल लोगों के बीच गए. इससे क्या होगा? जो नुकसान होना था पहले ही हो चुका. देश को मजबूत गृह मंत्री मिला है लेकिन वे दिखे नहीं. विपक्ष सवाल उठाएगा तो क्या उन्हें देशद्रोही ठहराया जाएगा? 24 घंटे में जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आदेश निकल गया. सरकार ने न्यायालय द्वारा व्यक्त 'सत्य' को मार दिया. शाहीन बाग़ का मामला भी सरकार ख़त्म नहीं कर सकी. भड़काऊ भाषण ही राजनीति में निवेश बन गए हैं. अर्थव्यवस्था धाराशायी लेकिन भड़काऊ भाषण का बाज़ार गरम'.

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