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सोनिया गांधी का ऑफर गाँधी परिवार कांग्रेस पार्टी छोड़ने को तैयार

पांच राज्यों में चौंका देने परिणाम से कांग्रेस पार्टी पूरी तरह हिल चुकी है। कांग्रेस पार्टी के हाथ एक भी राज्य की जीत नही लगी। इसी उपलक्ष में सोनिया गांधी की अगुवाई में CWC (कांग्रेस वर्किंग समिति) की मीटिंग रखी गई। यह मीटिंग करीब 5 घंटे चली। जिसमे कांग्रेस के सभी बड़े नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, तारिक़ अनवर, गुलाम नबी आज़ाद, अजय माकन, सुरजेवाला, PL पुनिया, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और वेणुगोपाल जैसे और भी नेता मौजूद थे।

By: Saima Parveen

सोनिया गांधी का ऑफर गाँधी परिवार कांग्रेस पार्टी छोड़ने को तैयार

 

 

पांच राज्यों में चौंका देने परिणाम से कांग्रेस पार्टी पूरी तरह हिल चुकी है। कांग्रेस पार्टी के हाथ एक भी राज्य की जीत नही लगी। इसी उपलक्ष में सोनिया गांधी की अगुवाई में CWC (कांग्रेस वर्किंग समिति) की मीटिंग रखी गई। यह मीटिंग करीब 5 घंटे चली। जिसमे कांग्रेस के सभी बड़े नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, तारिक़ अनवर, गुलाम नबी आज़ाद, अजय माकन, सुरजेवाला, PL पुनिया, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और वेणुगोपाल जैसे और भी नेता मौजूद थे।

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लगभग चार घंटे तक चली इस मीटिंग में शुरुआत में सोनिया गांधी ने मंच संभाला, और कांग्रेस कार्यसमिति CWC में मौजूद नेताओं से उनका मत जाना। और कहा, “मेरे लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महत्वपूर्ण है। हम इसके लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। अगर आप लोगो को ऐसा लगता है कि गांधी परिवार ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो हम तीनों पीछे हटने को तैयार हैं।”

 

उन्होंने यह भी कहा कि, “यदि यह महसूस किया जाता है कि नेतृत्व में स्थिरता की कमी है। अर्थात सोनिया गांधी का कहना था कि अगर किसी को भी पार्टी के नेतृत्व में अस्थिरता लगती है तो हम तीनों पार्टी से इस्तीफा देने को तैयार हैं।”

 

जबकि गुलाम नबी आजाद सहित पूरी सभा ने असहमति दिखाई और सोनिया से अध्यक्षता जारी रखने का आग्रह किया। और अपनी बात रखते हुए आजाद ने सोनिया गांधी से कहा कि, "हमने आपके नेतृत्व पर कभी सवाल नहीं उठाया, बल्कि पार्टी प्रबंधन में खामियों को ही हरी झंडी दिखा दी।"

 

वहीं बैठक के बाद जारी एक बयान में अनुरोध किया गया कि, “सोनिया गांधी ही आगे से नेतृत्व करें, संगठनात्मक कमजोरियों को दूर करें, राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक और उचित व्यापक संगठनात्मक परिवर्तनों को प्रभावित करें।

 

दूसरी ओर मीटिंग में सदस्यों की आलोचनात्मक टिप्पणियां भी देखी गईं। बात करे गुलाम नबी आजाद की तो उन्होंने संगठनात्मक प्रबंधन का मुद्दा उठाया जो असहमति वाले गुट के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा। और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि "निर्णय लेना सामूहिक होना चाहिए।"

 

वहीं उत्तराखंड के प्रभारी यादव ने माना कि पार्टी जमीनी स्थिति और लाभार्थी योजनाओं के प्रभाव का सही आकलन करने में विफल रही।

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