नयी दिल्ली: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले से जुड़े एक अहम केस में सुप्रीम कोर्ट इस माह के आखिर में अपना फैसला सुना सकता है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला महफूज़ रखा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर्ड हो रहे हैं और उस से पहले इस का फैसला आने की पूरी उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि अदालत इस मामले में अपना फैसला 28 सितम्बर को देगी.
इस बात पर फैसला होगा कि मस्ज़िद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का आतंरिक हिस्सा है या नहीं. इस बात पर फैसला सुनाने के बाद ही टाइटल सूट के मुद्दे पर फैसला आने की संभावना है. 1994 में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला दिया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है, इसके साथ ही राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया गया था, ताकि हिंदू धर्म के लोग वहां पूजा कर सकें.
अब कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या 1994 वाले फैसले की समीक्षा की ज़रूरत है या नहीं. कोर्ट ने 20 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था. 1994 के फैसले में पांच जजों की पीठ ने कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई रामलला को दिया था.
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