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बिल किसानों के हित में है लेकिन समस्या की वजह किसानों से संवाद न करना है: डॉ एमजे खान

संसद में कृषि विधयक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जरिए पेश और पास कराये जाने और उस पर एमएसपी का आश्वासन दिए जाने और कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों के जरिए इसे किसान विरोधी और किसानों के विरुद्ध षड्यंत्र बताये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन डॉ एम् जे खान ने कहा कि "केंद्र सरकार 'एक देश, एक कृषि मार्केट' बनाने की बात कह रही है। इस अध्यादेश के माध्यम से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कम्पनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री APMC यार्ड में होने की शर्त केंद्र सरकार ने हटा ली है।

By: वतन समाचार डेस्क
  • बिल किसानों के हित में है लेकिन समस्या की वजह किसानों से संवाद न करना है: डॉ एमजे खान
  • The bill is in the interest of farmers but the reason for the problem is not to communicate with the farmers: Dr. MJ Khan


संसद में कृषि विधयक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जरिए पेश और पास कराये जाने और उस पर एमएसपी का आश्वासन दिए जाने और कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों के जरिए इसे किसान विरोधी और किसानों के विरुद्ध षड्यंत्र बताये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन डॉ एम् जे खान ने कहा कि "केंद्र सरकार 'एक देश, एक कृषि मार्केट' बनाने की बात कह रही है। इस अध्यादेश के माध्यम से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कम्पनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री APMC यार्ड में होने की शर्त केंद्र सरकार ने हटा ली है।

 


महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कृषि माल की जो खरीद APMC मार्केट से बाहर होगी, उस पर किसी भी तरह का टैक्स या शुल्क नहीं लगेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि APMC मार्केट व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी क्योंकि APMC व्यवस्था में टैक्स व अन्य शुल्क लगते रहेंगे।"
उन्हों ने कहा कि किसानों को इस बात पर आपत्ति है कि "पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है। देश में 85% लघु किसान हैं, किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानी यह अध्यादेश बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाज़ारी के लिए लाया गया है, ये कम्पनियाँ और सुपर मार्केट अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे और बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे।"

 


जहां तक तीसरे बिल की बात है तो किसानों को लगता है कि "इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ खेती करेंगी और किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस नए बिल के तहत किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जायेगा।"

 



इंडियन काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन डॉ एमजे खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जिस तरह से किसान संगठन सड़क पर हैं उसके पीछे कारण है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में किसानों से संवाद किए बगैर उद्योग जगत से बात करके इस मुद्दे को अंतिम रूप दिया है उससे किसानों के मन में आशंका बैठी है कि क्या अब किसानों की समस्या को भी उद्योग जगत से संवाद करके हल किया जाएगा और किसानों से बात भी नहीं की जाएगी।

 



डॉ खान ने कहा कि इस बिल के जरिए से विपक्ष यह बताने की कोशिश कर रहा है कि किसानों और कारपोरेट के बीच में लड़ाई है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह बिल किसानों के हित में है लेकिन किसान इसलिए नाराज हैं कि आने वाले दिनों में ₹10 का फायदा होता है और उसमें से ₹2 सिर्फ उन्हें अगर मिलता है तो बाकी ₹8 क्या कारपोरेट को चला जाएगा और मेहनत पूरी किसान की होगी"। इसलिए आशंका का माहौल बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हमें शुरू से ही आशंका थी कि जब जल्दबाजी में इस तरह का किसानों से संवाद किए बिना कोई भी बिल आएगा तो इस तरह की समस्या उत्पन्न होगी। जहां तक मंडी की बात है तो मंडी पर पहले भी कोई पाबंदी नहीं थी। किसान खुद स्टॉक कर सकते थे, लेकिन जहां तक प्राइवेट जगत को लाने की बात है तो इसके लिए पहले किसानों से संवाद ज़रूरी था।

 



उन्होंने कहा कि पहले भी किसान आजाद था और व्यापारी पर पाबंदी थी। जहां तक मार्केट रिफॉर्म की बात है तो इस पर किसान को कोई आपत्ति नहीं है। अब किसानों को यह शका हो रहा है कि उनकी सब्सिडी चली जाएगी, हालांकि सरकार ने संसद में भरोसा दिया है कि "एपीएमसी अधिनियम के प्रावधान किसानों के उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (पदोन्नति और सुविधा) विधेयक से प्रभावित नहीं होते हैं। वर्तमान में मंडियों में 50-60 व्यापारी हैं। दोनों विधानों के कारण कृषि व्यापारियों के बीच तालमेल बढ़ेगा। एमएसपी किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, और मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा विधेयक पर (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते से प्रभावित नहीं होगा।" इस लिये हमें पूरा विश्वाश है कि सरकार अपने कहे का पलान करेगी।  

 


उन्होंने कहा कि जहां-जहां गवर्नमेंट ने प्राइवेट सेक्टर को छूट दी है वहां बहुत सारी समस्याएं भी आई हैं, लेकिन बहुत सारी जगह ऐसी भी हैं जहां प्राइवेट सेक्टर के जाने से भूमिकारूप व्यवस्था अच्छी हुयी है और सप्लाई चैन में बेहतरी आई है। अभी भी समय है कि सरकार किसानों से संवाद करे और बिल पास होने के बाद भी इस में अगर संशोधन की ज़रुरत हो तो लाये। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि सरकार प्राइवेट की निगरानी करे और किसानों को सुरक्षा दे। उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि यह बिल किसानों की समस्याओं को दूर करने और उनकी आय को न सिर्फ दोगुनी बल्कि तीन गुनी करने में महत्वपूर्ण होगा और किसानों की बदहाली दूर होगी और अन्न दाता के आंगन में खुशहाली आएगी। 

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