भारत के किसानों एवं खेत मजदूरों के जीवन व आजीविका की निर्णायक लड़ाई
मोदी सरकार द्वारा अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए खेती व किसानी के खिलाफ कुत्सित भावना से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारत के करोड़ों किसान अपने खेत एवं जमीन, जीवन व आजीविका, अपने वर्तमान एवं अपने भविष्य को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। कंपकपाती ठंड, ओले और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं। किसान संगठनों के अनुसार मोदी सरकार के इस बर्बर खेल में अभी तक 147 किसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं। प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी भाजपा सरकार फिर भी उनका दर्द व पीड़ा समझने तथा उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार करती है।
पूरे देश में किसान व खेत मजदूर आंदोलन कर रहे हैं, रैलियां निकाल रहे हैं, भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ट्रैक्टर यात्रा कर रहे हैं और व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अत्याचारी भाजपा सरकार लाखों किसानों के रोष को खारिज कर उनको जबरन ‘राष्ट्र विरोधी’ साबित करने के षडयंत्र में लगी है।
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) का मानना है कि ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद एवं राशन प्रणाली यानि पीडीएस को खत्म करने की शुरुआत हैं। सीडब्लूसी का यह भी मानना है कि इन तीन कृषि कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया। खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को ध्वनि मत द्वारा अप्रत्याशित तरीके से पारित कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था।
अंत में, इन तीनों कानूनों को लागू करने से देश का हर नागरिक प्रभावित होगा क्योंकि खाने-पीने की हर चीज की कीमत का निर्धारण मुट्ठीभर लोगों के हाथ में होगा। एक समावेशी भारत में इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
भारत के किसानों एवं खेत मजदूरों की केवल एक मांग है - इन तीन विवादास्पद कानूनों को खत्म किया जाए। लेकिन केंद्र सरकार किसानों को बरगलाकर, बांटकर, धमकाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार, धोखा एवं छल कर रही है। भाजपा सरकार को यह अटल सच्चाई जान लेनी चाहिए कि भारत का किसान न तो झुकेगा और न ही पीछे हटेगा।
कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को फौरन निरस्त करे।
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