नई दिल्ली, 31 जुलाई: जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने एनआरसी सूची से लगभग 40 लाख लोगों को भारत की नागरिकता से वंचित होने का संदेह हो गया है, जो कि चिंता का कारन है । 1985 में असम समझौते के अनुसार 24 मार्च 1971 के बाद जो कोई राज्य में प्रवेश किया उसे अवैध नागरिक माना जाता है। एनआरसी में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदकों पर दायित्व था कि वे सबूत उपलब्ध करायें। लेकिन वे वास्तविक नागरिक जो ग़रीब, पिछड़े या प्राकृतिक प्रकोप और मुसलसल दरबदर के कारण अपने दस्तावेज़ों को सुरक्षित नहीं रख सके उनके नाम एन आर सी में दर्ज होने से रह गया है। एनआरसी में शामिल न हो सकने वालों में से अधिकतर ऐसे लोग हैं जिनके दस्तावेज़ों में मामूली त्रुटियां थीं। सरकार को चाहिए कि वह एनआरसी अधिकारियों के बारे में शिकायतों पर ग़ौर करे जिन्होंने विशेष भाषाई समुदाय के खिलाफ़ पक्षपात और भेदभाव बरता । ऐसी भी शिकायतें मिली हैं कि उन अधिकारियों ने प्रयाप्त दस्तावेज़ पेश करने के बावजूद उन्हें रद्द करने का रवैया अपनाया ।
मौलाना उमरी ने कहा कि जिनके नाम एनआरसी सूची में दर्ज होने से रह गए हैं उन्हें आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध कराने, विसंगतियों को दूर करने और प्रक्रियाओं और औपचारिकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर देना सरकार का काम है। एनआरसी सूची में यह भी विसंगतियां पायी गयी हैं कि बच्चे का नाम तो शामिल है परंतु माता-पिता का नाम शामिल नहीं है। सरकार की दूसरी ज़िम्मेदारी यह है कि वह क़ानून और व्यवस्था पर पैनी निगाह रखे और एनआरसी सूची को मुद्दा बनाकर और अल्पसंख्यक समुदाय को विदेशी, घुसपैठिए और आतंकवादी बताकर उनके खि़लाफ़ बड़े पैमाने पर हिंसा और दंगा करने से असामाजिक तत्वों को रोके। कुछ मीडिया कर्मियों की भूमिका भी असहयोगपूर्ण रही है क्योंकि उन्होंने 40 लाख लोगों के ख़िलाफ़ आभासी नफ़रत अभियान शुरू कर दिया है और जिससे देश में सांप्रदायिक और फ़ासीवादी ताकतों के घृणित एजेंडों को मदद मिल रही है।
जमाअत इस्लामी के अमीर ने इस बात पर भी नापसन्दीदगी व्यक्त किया है कि मीडिया के एक वर्ग ने इस संवेदनशील मुद्दे पर ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए उन 40 लाख प्रभावित लोगों के खिलाफ नफरत और पक्षपात का वातावरण बनाने का अशोभनीय प्रयास किया है। मीडिया का यह ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैया निंदनीय है।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.