अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविघालय की संविधान में भारतीय मुसलमानो के शिक्षार्णिक उत्थान की ज़िम्मेदारी भी संसद ने दी है जिसके तहत मदरसों के छात्रों को एएमयू के बी॰ए॰ लेवल के पाठयक्रमो में जैसे उर्दू, अरबी, इस्लामिक स्टडीज़, थीयलॉजि और फ़ारसी भाषा में केवल प्रवेश परीक्षा में प्रवेश लेने हेतु अनुमति मिलता है।
ए॰एम॰यू॰ के पूर्व मीडिया सलाहकार डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कुलपति डॉक्टर तारिक मंसूर को पत्र लिखकर स्नातक स्तर के सभी पाठयक्रमो में मदरसा के छात्रों को प्रवेश के लिए प्रवेशपरीक्षा में फ़ार्म भरने की अनुमति और छूट देने की प्रार्थना किया है।
डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कहा की यदि ए॰एम॰यू॰ के मौजूदा कुलपति को ए॰एम॰यू॰ की संविधान के धारा 5 (2) (C) का अध्यायन करने की अवशक्ता है और मदरसा के छात्रों को देश के मुखधारा और रोज़गार परक़ पठक्रमो में प्रवेश देकर एएमयू के निर्माणकर्ता सदस्यों और फ़ाउंडर सर सैयेद अहमद खान के मुसलमानो में वैज्ञानिक स्वभाव का विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कहा की भारत में मदरसा राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी करता है और मदरसा हमारे जीवन का मार्गदर्शक भी है। ऐसे समय में ए॰एम॰यू॰ कुलपति डॉक्टर तारिक मंसूर द्वारा कुछ मदरसा के छात्रों को केवल उर्दू, अरबी, इस्लामिक स्टडीज़, थीयलॉजि और फ़ारसी भाषा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रवेशपरीक्षा में बैठने की अनुमति देना एक सोच को दर्शाती है।
डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कहा की भारत में अरबी और उर्दू के मदरसा के छात्र- छात्राओं में जो प्रतिभा है वो आज के अंग्रेज़ी स्कूलो के छात्रों में नहीं देखने को मिलती। मदरसा के छात्रों में किसी चीज़ को याद करने और पढ़ने और समझने की प्रतिभा अन्य से बेहतर होती है।
उन्होंने कहा कि, ए॰एम॰यू॰ कुलपति डॉक्टर तारिक मंसूर यदि इस सत्र से मदरसा के छात्रों को स्नातक स्तर के सभी पठक्रमो में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा में बैठने और फ़ार्म भरने की अनुमति नहीं देते है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मदरसा के विद्वानो के साथ मिलकर ए॰एम॰यू॰ कुलपति डॉक्टर तारिक मंसूर के विरुद्ध देश भर आंदोलन चलाउंगा।
डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कहा की पत्र की प्रतिलिपि एएमयू के ई॰सी॰, कोर्ट और ऐकडेमिक काउन्सिल के सदस्यों के अलावा ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों को प्रेषित किया है।
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