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ये दूसरी ऐसी मस्जिद है जिसमें आग लगाकर उपद्रवियों ने भगवा झंडा लगा दिया था

गोकलपुरी की जन्नती मस्जिद मरम्मत व सुन्दरीकरण के बाद नमाज़ियों के हवाले ये दूसरी ऐसी मस्जिद है जिसमें आग लगाकर उपद्रवियों ने भगवा झंडा लगा दिया था

By: वतन समाचार डेस्क
  • गोकलपुरी की जन्नती मस्जिद मरम्मत व सुन्दरीकरण के बाद नमाज़ियों के हवाले

  • ये दूसरी ऐसी मस्जिद है जिसमें आग लगाकर उपद्रवियों ने भगवा झंडा लगा दिया था

  • सत्ता के लिए नफरत की राजनीति देश के लिए अति घातक: मौलाना अरशद मदनी

 

 

नई दिल्ली, 22 फरवरी 2021: पिछली फरवरी में दिल्ली के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में जो भयानक दंगा हुआ उसमें जान-माल की हानि ही नहीं हुई बल्कि सांप्रदायिकता के जुनून में उपद्रवियों ने बहुत सी इबादत गाहों को अपवित्र यिका था, उनमें आग लगाई गई थी और अंदर घुस कर भड़काऊ नारे भी लगाए थे, गोकलपुरी में स्थित जन्नती मस्जिद ऐसी दूसरी मस्जिद है जिसको दंगे के समय जला दिया गया था, उपद्रवियों ने इसी पर बस नहीं किया था बल्कि उसके दोनों मीनारों पर भगवा झंडा भी लगा दिया था, उसकी तस्वीरें सभी अखबारो में प्रकाशित हुई थीं और सोशल मीडीया पर भी उसे खूब वाइरल किया गया था। मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीअत उलमा दिल्ली स्टेट के कार्यकर्ता और सदस्य दंगे के समय लोगों की धर्म से ऊपर उठकर सहायता कर रहे थे और जहां कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना मिलती थी, प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारियों से संपर्क करके जमीअत उलमा-ए-हिंद के लोग उस क्षेत्र में तुरंत पहुंच जाते थे। इसलिए जब जन्नती मस्जिद के संबंध में खबरें सामने हुईं तो जमीअत उलमा दिल्ली के जिम्मेदारों का एक प्रतिनिधिमण्डल पुलिस के साथ तुरंत वहां पहुंच गया और मस्जिद से झंडा उतरवाया। उल्लेखनीय बात ये है कि गोकलपुरी एक हिंदू बहूल क्षेत्र है जहां मुसलमानों के गिनेचुने मकान ही हैं, इसलिये जैसे ही स्थिति थोड़ी समान्य हुई जमीअत उलमा-ए-हिंद ने मस्जिदों की मरम्मत के काम को विशेष रूप से प्राथमिकता दी। आज तीसरे चरण में जन्नती मस्जिद की चारों मंजिलों के निर्माण, मरम्मत और सुन्दरीकरण के बाद अब मस्जिद स्थानीय मुसलमानों के हवाले कर दी गई है, उसी दंगा में ज्योति नगर के क़ब्रिस्तान की चारदीवारी, पानी की टंकी, क़ब्रिस्तान में बने गार्ड के कमरे को भी उपद्रवियों ने पूर्ण रूप से क्षति ग्रस्त कर दिया था, उसकी भी मरम्मत कराई गई। भागीरती विहार और करावल नगर में पुनर्निर्माण और मरम्मत किये गए 30 मकान परिवार वालों को सौंप दिए गए हैं।

 

 

 

स्पष्ट रहे कि पहले चरण में 55 मकान, 2 मस्जिदें, दूसरे चरण में 45 मकान और एक मस्जिद, अब तक जमीअत उलमा-ए-हिंद दिल्ली दंगे में तबाह जुए 130 मकानों को निर्मित एवं सुन्दरीकरण करके दंगा प्रभावितों के हवाले कर चुकी है और पीड़ितों को न्याय दिलाने और निर्दोषों की रिहाई और असल दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए वकीलों का एक पैनल बनाया गया है जो पीड़ितों के मुकदमों की पैरवी कर रहा है। इन वकीलों की सफल पैरवी के कारण अब तक 56 केस में ज़मानतें मिल चुकी हैं।

जन्नती मस्जिद गोकलपुरी के पुनर्निर्माण, सुन्दरीकरण और दंगों में जलाए गए मकान प्रभावितों के हवाले करने के अवसर पर अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम इसके लिए अल्लाह का जितना भी शुक्र अदा करें कम है। उसने इस अहम काम के लिए न केवल जमीअत उलमा-ए-हिंद को माध्यम बनाया बल्कि उसके लिए साधन भी प्रदान किए। उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगा क्षेत्रों में अपनी परंपरा के अनुसार जमीअत उलमा-ए-हिंद ने धर्म से ऊपर उठकर केवल मानवीय आधार पर सभी पीड़ितों और जरूरतमंदों को रीलीफ प्रदान कराई है, आगे भी अल्लाह ने चाहा तो ये सिलसिला जारी रहेगा।

 

 

 

 भारत में मुसलमानों के खिलाफ होने वाले दंगों को मुसलमानों को आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से पीछे धकेलने की एक रणनीति करार देते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि दिल्ली के पूवोत्तर क्षेत्रों में होने वाला दंगा अति भयानक और योजनाबद्ध था, इसमें पुलिस और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध रही है, जिसके कारण जान-माल की हानि भी एकतरफा हुई लेकिन जिस तरह धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया और घरों को जलाया गया वो यह बताने के लिए काफी है कि दंगा अचानक नहीं भड़का था बल्कि उसकी पहले से योजना बनाई गई थी और पुलिस प्रशासन की अक्षमता के कारण देखते ही देखते उसने एक भयानक रूप ले लिया। मौलाना मदनी ने कहा कि योजनाबद्ध दंगों की ज़िम्मेदारी से सरकार बच नहीं सकती। शांति व्यवस्था की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है लेकिन वह दंगों के समय हमेशा शांति व्यवस्था बरक़रार रखने में असफल रही है, भारत में इसका एक अतिहास है।

 

 

 

उन्होंने कहा कि हमारा हज़ारों बार का अनुभव है कि दंगा होता नहीं है बल्कि कराया जाता है। अगर प्रशासन न चाहे तो भारत में कहीं भी दंगा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कभी कभी तो पुलिस ऐक्शन होता है और दिल्ली दंगों में भी पुलिस की यही भूमिका रही है। सभी सरकारों में एक चीज़ जो समान नज़र आती है वह यह है कि हमला भी मुसलमानों पर होता है और मुसलमान ही मारे भी जाते हैं, उन्ही के मकानों और दूकानों को जलाया जाता है, फिर उन्ही पर गंभीर धाराएं लगाकर गिरफ्तार भी किया जाता है। दुखद पहलू यह है कि दंगों की किसी एक घटना में भी कानून के अनुरूप न्याय नहीं किया गया। किसी देषी को सज़ा नहीं दी गई बल्कि दोषियों को पुरस्कृत किया गया और उनको वाई क्लास सुरक्षा भी दी गई, यही कारण है कि समय बीतने के साथ साथ सांप्रदायिक शक्तियों के हौसले भी बुलंद होते गए।

 

 

 

मौलाना मदनी ने कहा कि जो लोग यह समझते हैं कि दंगों से केवल मुसलमानों की हानि होती है वह गलत समझते हैं, दंगों से वास्तव में देश बर्बाद होता है, इसकी गरिमा धूमिल होती है और विश्वास टूटता है। उन्होंने कहा कि आज देश में हिंदू और मुसलमान के बीच होने वाले हर प्रकार के अपराध को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ दिया जाता है, चरमपंथी संगठन और देश का पक्षपाती मीडीया मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ प्रचार करने में व्यस्त हो जाता है। उन्होंने रिंकू शर्मा हत्या काण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह हत्या व्यावसायिक आधार पर हुई, इस प्रकार की सैंकड़ों हत्याएं प्रति दिन देश में होती हैं लेकिन कभी मीडीया और चरमपंथी संगठन इसको सांप्रदायिकता कारंग नहीं देते। ऐसा लगता है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को सांप्रदायिक रंग देने का उद्देश्य किसान आंदोलन और उसके नतीजे में हिंदू-मुसलमान के बीच पटने वाली खाई को हानि पहुंचाना है और किसान आंदोलन से लोगों का ध्यान हटा कर हिंदू-मुस्लिम की ओर करना है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने केवल दंगा पीड़ितों का पुनर्वास ही नहीं बल्कि उन्हें पैरों पर खड़ा करने का प्रयास भी करती है, इसी मिशन के अंतर्गत दिल्ली दंगा पीड़ितों में से कुछ लोगों को व्यावसाय के लिए आर्थिक सहायता, आटो रिक्शा, बैट्री रिक्शा खरीद कर देना और बच्चियों के विवाह में भी अािर्थक सहायता करना है।

 

 

 

अंत में मौलाना मदनी ने अपना गहरा दुख प्रकट रकरते हुए कहा कि पिछले दंगों के विपरीत इस दंगों में यह चीज़ देखने में आई कि उपद्रवियों ने योजनाबद्ध तरीक़े से इबादत गाहों को टार्गेट किया और उनको हानि पहुंचाई जो सांप्रदायिकता की इंतिहा है, जबकि हमारा यह मानना है कि हर पूजा स्थल चाहे मस्जिद हो या मंदिर या दूसरी इबादत गाहें, सबको गरिमा की दृष्टि से देखा जाना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए। इस गंभीर मुद्दे पर शासकों को सोचना चाहिए लेकिन अफसोस राजनेता सत्ता की खातिर देश और जनता के मुद्दों की जगह केवल धर्म के आधार पर घृणा की राजनीति कर रहे हैं जो देश के लिए अति घातक है।

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