नयी दिल्ली: सियासत में ऐसा अक्सर होता है कि नेता पैराशूट से आते हैं और टिकट लेकर इलेक्शन लड़ते और जीत जाते हैं. फिर 4 साल 11 महीने 15 दिन वह पूरी तरह से गायब हो जाते हैं. लग्जरी गाड़ी से कभी अपने छेत्र के कुछ लोगों से आकर मिलते हैं और मिलने के बाद फिर सीधे दिल्ली पहुंच जाते हैं, यानी नेता बनने के बाद ज़मीन की नहीं बल्कि वह ड्राइंग रूम की सियासत को अपना ओढ़ना बिछौना बना लेते हैं.
यही वजह है कि लग्जरी पॉलिटिक्स के चलन ने देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया, जिस के चलते धीरे धीरे क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ और फिर 1 दिन ऐसा आया कि छत्रपों ने राष्ट्रीय दलों को अपने चंगुल में फंसा लिया और राष्ट्रीय दलों की मजबूरी हो गई कि वह छत्रपों को साथ लेकर के चलें, लेकिन इन सब के बीच आज भी ज़मीन की सियासत लोग करते हैं और कांग्रेस में भी करते हैं. यही वजह है कि उनका अपना वजूद है.
मेहनत कभी ना कभी रंग लाती जरूर है. कहते हैं कि कोशिश कभी बर्बाद नहीं जाती और कोशिश करने वालों कि कभी हार नहीं होती. आप परिश्रम करते रहिए उसका फल जरूर आपको मिलेगा. महाराष्ट्र के अन्टोप हिल से कांग्रेस पार्टी के नगर सेवक सुफियान नियाज़ ए वाणु परिश्रमों का पूरा एक मुजस्समा हैं. उन्होंने बीएमसी चुनाव में पहले शिवसेना से दो-दो हाथ किए और फिर जीत हासिल करने के बाद जिस तरह से अपने क्षेत्र में दूसरे नेताओं के लिए खुद को एक रोल मॉडल के तौर पर पेश किया है वह प्रशंसनीय है सराहनीय है.
नगर सेवक सुफियान नियाज़ ए वाणु हमेशा सादे कुर्ते पजामे में नजर आने वाले एक ऐसे नेता है जो अन्टोप हिल के न सिर्फ हिंदू और मुसलमानों में बराबर मकबूल है बल्कि उन्होंने अब धीरे-धीरे अपनी छाप पूरे महाराष्ट्र में छोड़ दी है और महाराष्ट्र से बाहर अब दिल्ली में भी उनके कामों को काफी मोहब्बत की नजरों से देखा जाता है और लोग उस का ज़िक्र करते हैं.
कांग्रेस पार्टी के लिए एक योद्धा के तौर पर नजर आने वाले नगर सेवक सुफियान नियाज़ ए वाणु
कभी संजय निरुपम के साथ पार्टी के लिए संघर्ष करते नज़र आते हैं तो कभी अपने क्षेत्र में सड़क से लेकर रोजगार सीवर शिक्षा स्वास्थ्य मुफ्त शिक्षा स्कूल सिलाई कढ़ाई बुनाई के सेंटर या मशीनों का वितरण समेत कोई ऐसा काम नहीं जो वह अपने छेत्र के लोगों के लिए ना कर रहे हों.
नगर सेवक सुफियान नियाज़ ए वाणु को जब बारिश की वजह से मुंबई डूब जाती है उस वक़्त बाढ़ के बीच कमर भर पानी में खड़े होकर लोगों की मदद के लिए एक नहीं अनेकों बार देखा गया. हमारे नेताओं के लिए जरूरी है कि वह नगर सेवक सुफियान नियाज़ ए वाणु जैसे नेता से सबक लें और नेता वही है जो जनता के दुख का पूरी तरह से दुखियारा हो अन्यथा सुख में तो ढोल बजाने के लिए लोगों की कमी नहीं होती है.
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