नयी दिल्ली:
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों के मुकदमे के बोझ को कम करने के लिए दो लॉ अफसर और चार अन्य अधिकारी मुहैया कराने का फैसला किया है।
ये वक्फ बोर्ड ज्यादातर अतिक्रमण से जुड़े मुकदमे लड़ रहे हैं। मंत्रालय ने कल 'राष्ट्रीय वक्फ सम्मेलन' के दौरान राज्य वक्फ बोर्डों के प्रतिनिधियों की मांग पर यह फैसला किया।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ''राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों वक्फ बोर्डों की शिकायत रही है कि वे मुकदमों के बोझ तले दब चुके हैं और उनके राजस्व के माध्यम भी सीमित हैं। मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए मंत्रालय हर राज्य के वक्फ बोर्ड को दो विधि अधिकारी, दो जोनल अधिकारी और दो कार्यालयी अधिकारी मुहैया कराएगा।''
उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों की तैनाती का पूरा खर्च मंत्रालय वहन करेगा।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कल कहा था कि अगर मुकदमों की संख्या कम हो जाए तो राज्य वक्फ बोर्डों की बहुत सारी दिक्कतें कम हो जाएंगी।
केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्य रईस खान पठान ने कहा, ''कई ऐसे राज्य हैं जहां के वक्फ बोर्ड तीन हजार-चार हजार मुकदमें लड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मुकदमे अतिक्रमण से जुड़े हुए हैं। राज्य वक्फ वक्फ बोर्डों के राजस्व का बड़ा हिसा इन मुकदमों पर खर्च हो जाता है। मंत्रालय की ओर से छह अधिकारियों की तैनाती करने से इन बोर्डो की मुश्किल जरूर कम होगी।''
नकवी ने कल इस सम्मेलन में कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में स्वीकृत प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम’ के तहत देश भर में वक्फ संपत्तियों का भी विकास होगा ताकि मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण को गति दी जा सके।
उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों के लीज संबंधी नियमों की समीक्षा के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है ताकि इन नियमों को भ्रांतियों को दूर किया जा सके और अधिक स्पष्टता हो सके।
कुछ दिनों पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) करने और विभाग के पुनर्गठन की मंजूरी दी थी।
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