नई दिल्ली: राहुल को छोड़ कर राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में आखिर पूरा विपक्ष मौन क्यों है? यह एक ऐसा सवाल है जो आज हर देशवासी के मन में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजराती उद्योगपति अंबानी के खिलाफ सबसे अधिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बोल रहे हैं।
इस पर एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि पहले भाजपा के बड़े नेता अंबानी को आगे बढ़ाने का आरोप कांग्रेस पर लगाते रहे हैं। उपराष्ट्रपति बनने के पहले वेंकैया नायडू ने भी जब वह सूचना प्रसारण मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय के मंत्री थे, तो कहा था कि अंबानी को तो कांग्रेस ने ही बनाया है। लेकिन आज सच्चाई यह है कि गुजरात के तीन उद्योगपति मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी व गौतम अडानी, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मूलचंद मोदी के अति प्रिय हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यदि विपक्ष में कुछ फेस सेविंग की मजबूरी में बोल भी रहे हैं तो सीबीआई, आयकर, ईडी के डर से दबे स्वर में। चाहे ममता बनर्जी हों या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, मायावती, स्टालिन या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव। सब के सब मुंह बंद किये हुए हैं।
सूत्रों का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इनके या इनके परिजनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार या घोटालों के मामले में सीबीआई जांच चल रहे हैं। कोई खुद ऐसे मामले में आरोपी है या उसके परिवारी जन आरोपी हैं या उसका घनिष्ठ सहयोगी पार्टी पदाधिकारी आरोपी है, जिसके कारण राफेल मुद्दे पर ये चुप्पी साधे हुए हैं।
सवाल लगभग 1100 करोड़ रुपये अधिक दाम पर राफेल लड़ाकू विमान का सौदा करने और इस सौदे के लगभग तीन माह पहले 5 लाख रुपये में बनाई गई अनिल अंबानी की कम्पनी को तथाकथित लाभ पहुंचाने का है, लेकिन विपक्ष खामोश है।
इस मुद्दे को लेकर लोगों में बातचीत शुरू हो गई है। लोग कहने लगे हैं कुछ न कुछ तो है। इस मुद्दे पर बीएचयू के प्रंबध संस्थान के डीन रहे डा. छोटेलाल का कहना है कि यह एक तरह से राहुल गांधी के लिए शुरूआती सफलता के लक्षण हैं। आज की तारीख में देश में नरेंद्र मोदी के बाद राहुल गांधी की रेटिंग दूसरे नंबर पर है।
उधर, 2014 के मुकाबले नरेंद्र मोदी की रेटिंग में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि राहुल गांधी की रेटिंग में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार डा. हरि देसाई का कहना है कि राहुल गांधी मुद्दा उठा रहे हैं, मेहनत भी कर रहे हैं, लेकिन उनको यह समझना होगा कि उनका पाला नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जुझारू जोड़ी से पड़ा है। जो चुनाव जीतने के लिए किसी भी स्तर पर जाकर हर तरह का उपक्रम व मेहनत करते हैं।
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