हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की हिदायत से क्या अंधकार में चला जाएगा छात्राओं का भविष्य?
अभी तक इंतज़ार है कि अदालत इस याचिका पर सुनवाई कब करेगी और आखिरी फैसला क्या होगा? क्या हाल में होने वाले इम्तेहान में हिजाब की अनुमति दी जाएगी या नहीं, यह एक अहम सवाल है.
नयी दिल्ली: कर्नाटक के स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने इस मामले की तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। यही नहीं कोर्ट ने हिजाब समर्थक छात्राओं के वकील से कहा कि इस मामले में सनसनी फैलाने से बचें। दरअसल देवदत्त कामत ने कहा कि था कि एग्जाम शुरू होने वाले हैं, ऐसे में किसी की पढ़ाई को नुकसान से बचाने के लिए तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
इस पर अदालत ने कहा कि आप इस मामले को सनसनीखेज बनाने से बचें। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि हिजाब विवाद का परीक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है। देवदत्त कामत की दलील पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, 'परीक्षाओं का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है। इसका जिक्र कर सनसनी न फैलाएं।' इससे पहले भी अदालत ने हिजाब विवाद पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि होली की छुट्टियों के बाद इस पर विचार किया जाएगा।
गुरुवार को चीफ जस्टिस के समक्ष इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए रखा गया था। इस दौरान एडवोकेट कामत ने कहा कि 28 मार्च से छात्रों की परीक्षाएं होने वाली हैं। ऐसे में यदि उन्हें हिजाब के साथ एंट्री नहीं दी गई तो फिर उनका एक साल बर्बाद हो जाएगा।
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट की ओेर से स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को बरकरार रखा गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है। इसके अलावा अदालत ने साफ कहा था कि संस्थान की ओर से यूनिफॉर्म को लेकर तय किए गए नियम को छात्र चैलेंज नहीं कर सकते। इस फैसले के बाद ही हिजाब समर्थकों के वकील का कहना था कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। गौरतलब है कि हिजाब विवाद पर फैसला देने वाले हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी समेत तीन न्यायाधीशों को वाई कैटिगरी सुरक्षा प्रदान की गई है।
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