जामिया मिल्लिया इस्लामिया में विश्व ब्रैल दिवस मनाया गया। लुईस ब्रैल वह महान व्यक्ति थे, जिन्होंने ब्रैल लिपि का अविष्कार किया था जिसकी मदद से आज नेत्रहीन खुद के प्रयास से पढ- लिख पाने में सक्षम हुए हैं।
इस महीने की चार तारीख को विश्व ब्रैल दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के अध्यापकों, छात्रों और कर्मचारियों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया जिनमें नेत्रहीन भी शामिल हैं। इन नेत्रहीनों ने ब्रैल लिपी के ज़रिए पढ़-लिख कर दिखाया कि लुईस ब्रैल ने उनके लिए शिक्षा ग्रहण करना कितना आसान बना कर उन्हें इसमें स्वालंबी बना दिया है।
ब्रैल दिवस के मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन शिक्षा विभाग के डीन प्रो इलियास हुसैन ने संयुक्त रजिस्ट्रार अब्दुल मलिक के साथ किया, जो कि जामिया मिल्लिया में विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों की सुविधाओं का ध्यान रखते हैं। इस मौके पर आईएएसई की विभाग प्रमुख प्रो सारा बेगम और पीडब्ल्यूडी के प्लेसमेंट आफिसर डा मुहम्मद फैज़ुल्लाह खान भी उपस्थित थे।
प्रो सारा बेगम ने लुईस ब्रैल और ब्रैल लिपि के बारे में विस्तार से बताय कि कैसे इस लिपि के अविष्कार से नेत्रहीन खुद ही पढ़ने लिखने में सक्षम हो गए। इस लिपि कि अक्षर कागज पर डाॅट-डाॅट उकेरे होते हैं जिन्हें उंगलियों से छू कर नेत्रहीन उन्हें पढ़ सकते हैं और इन्हीं को वह कागज पर उकेर कर लिख भी सकते हैं। प्रो सारा ने उर्दू में ब्रैल लिपी का प्रारूप विकसित किया है।
प्रो इलियास हुसैन ने बताया कि कैसे ब्रैल लिपि से नेत्रहीनों का पूरा जीवन ही बदल गया और वे पढ़ने लिखने में सक्षमा हो गए।
डा अब्दुल मलिक ने बताया कि जामिया मिल्लिया नेत्रहीन छात्रों को पढ़ने लिखने की खास सुविधाएं मुहैया कराने में विशेष ध्यान रखता है और ऐसे लोगों को नौकरियां भी देता है।
जेएमआई के आईएएसई में असिसटेंट प्रोफेसर सौरभ रे ने कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
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