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संसद में छिन सकता है आडवाणी का कमरा, अमित हो सकते हैं 'शाह'

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए एक और बुरी खबर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संसद भवन में अडवाणी को मिला कमरा अब उनसे छिन सकता है और एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के संयोजक के तौर पर यह जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह को दी जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह जल्द ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संयोजक बन सकते हैं. 15 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एनडीए संसदीय दल, जिसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, इसका फैसला ले सकता है. फैसला होने पर संसद में लालकृष्ण आडवाणी को अपना कमरा खाली करना पड़ सकता है. ज्ञात रहे कि 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद बीजेपी के बानी नेता और पार्टी को 2 से 2०० सीटों तक पहुंचाने वाले लालकृष्ण आडवाणी के लिए हर रोज नई मुसीबत आती जा रही है. 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता (नेतृत्व) लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी की मेन बाड़ी से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया. उसके बाद इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि आडवाणी को भारत के राष्ट्रपति की कुर्सी दी जा सकती है क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संरक्षक कहा जाता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2002 के गुजरात फसादात के बाद जब नरेंद्र मोदी की कुर्सी गुजरात में खतरे में थी उस वक्त लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें बचाया था और पार्टी को उन्हें न हटाने की सलाह दी थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उस वक्त के भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात फसादात के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना चाहते थे. ज्ञात रहे कि संसद भवन में भू-तल पर भाजपा संसदीय दल के लिए कक्ष आबंटित है. इसमें मुख्य रूप से तीन कमरे हैं. एक बड़ा कक्ष है जिसमें पार्टी सांसद बैठते हैं. एक कमरा एनडीए अध्यक्ष/संयोजक के लिए आबंटित है. इस कक्ष में आडवाणी बैठते हैं. तीसरा कमरा काफी छोटा है जो राज्यसभा में भाजपा के उपनेता के लिए आबंटित है. चूंकि लालकृष्ण आडवाणी अभी एनडीए या भाजपा में किसी पद पर नहीं है ऐसे में एनडीए संयोजक के लिए आबंटित कमरा उन्हें खाली करना होगा. गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी संसद सत्र के दौरान बतौर सांसद नियमित रूप से संसद में अपने कक्ष में सुबह 11 बजे से पहले आ जाते हैं. वे प्रश्नकाल में जरूर मौजूद रहते हैं. प्रश्नकाल के बाद वे दोबारा अपने कक्ष में उपस्थित होते हैं जहाँ भाजपा और अन्य दलों के कई नेता उनसे आकर मुलाक़ात करते हैं.

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